भोपाल, नवंबर 2012/ मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने जनजातीय समुदाय के विकास एवं कल्याण के लिये अलग-अलग बनी समान उद्देश्यों वाली योजनाएँ एक साथ लाकर बड़ी एकीकृत योजना बनाने के निर्देश दिये हैं। उन्होंने कहा कि कम बजट की ज्यादा योजनाओं का अपेक्षित परिणाम एवं प्रभाव दिखाई नहीं देता। निगरानी एवं अन्य मैदानी व्यवस्थाओं में भी अतिरिक्त मानव संसाधन एवं ऊर्जा लगती है।

श्री चौहान यहाँ मंत्रालय में अनुसूचित जनजाति कल्याण विभाग की समीक्षा कर रहे थे। उन्‍होंने कहा कि जनजातीय युवाओं के लिये रोजगार के अधिकाधिक अवसर उपलब्ध करवाने के लिये विशेष कार्य-योजना बनाने की जरूरत है। आवास इकाइयों के निर्माण पर भी ध्यान देने की आवश्यकता है। बैठक में बताया गया कि विशेष जनजातियों, जैसे कोल, भारिया, बैगा, सहरिया आदि के लिये बने या प्रस्तावित विकास प्राधिकरणों की गतिविधियों की अलग से विशेष समीक्षा की जायेगी।

श्री चौहान ने विभिन्न योजनाओं में जनजातीय समुदाय के हितग्राहियों के खातों में धनराशि जमा करवाने की प्रक्रिया की लगातार समीक्षा करने के निर्देश देते हुए कहा कि इस कार्य में किसी भी स्तर पर लापरवाही बर्दाश्त नहीं होगी। उन्‍होंने जनजातीय विद्यार्थियों के लिये हॉस्टल, आश्रम, स्कूल भवनों के निर्माण कार्य में तेजी लाने के निर्देश दिये। कहा कि थोड़ी सी धनराशि के लिये निर्माण कार्य अधूरा नहीं रहना चाहिए। इसके लिये पूल फंड स्थापित किया जाए। फंड का उपयोग ऐसे निर्माण कार्यों को पूरा करने में हो सकेगा, जो थोड़ी सी धनराशि के अभाव में अधूरे हैं।

श्री चौहान ने शिक्षण संस्थाओं में बेटियों के लिये अलग से शौचालय सुविधा के निर्देश दिये। बैठक में बताया गया कि ज्यादातर संस्थाओं में शौचालय सुविधाएँ उपलब्ध हैं। उन्होंने आदिम-जाति कल्याण के लिये उपलब्ध राशि का बेहतर और रचनात्मक उपयोग करने को कहा ताकि जनजातीय समुदाय को पूरा लाभ मिल सके। शिक्षण-प्रशिक्षण की गुणवत्ता पर भी निरंतर निगरानी रखने के निर्देश दिये।

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