भोपाल, दिसंबर 2012/ भारत की जनगणना के साथ-साथ मध्यप्रदेश की जनगणना दो चरणों में सम्पन्न हुई। जनगणना-2011 का विश्लेषण कर उन्हें पुस्तकों के रूप में प्रकाशित किया गया। द्वितीय चरण जिसे जनसंख्या की गणना कहा गया, उनके आँकड़ों के उपयोग को सुविधाजनक बनाने के लिये जनगणना कार्य निदेशालय मध्यप्रदेश ने उन्हें सी.डी. फार्म में भी तैयार किया है। इन सब बिन्दुओं पर चर्चा करने के लिये आज से भोपाल में दो दिवसीय कार्यशाला की गई। कार्यशाला में सिविल सोसायटी के सदस्य, एनजीओ, विभिन्न शासकीय विभाग के अधिकारी भाग ले रहे हैं। प्रमुख रूप से चर्चा यह हुई कि प्रदेश के जनसंख्या संबंधी आँकड़ों का तुलनात्मक रूप से अध्ययन कर प्रदेश के विकास में अधिक से अधिक उपयोग किया जाये।
शुभारंभ सत्र में ग्रामीण विकास के सचिव डॉ. राजेश राजौरा ने कहा कि 10 वर्ष बाद की गई जनसंख्या के आँकड़ों का उपयोग सतत रूप से आगामी 10 वर्ष तक किये जाने की आवश्यकता है। योजनाओं की प्रगति के विश्लेषण के दौरान समान रूप से जनसंख्या संबंधी आँकड़ों का भी विश्लेषण हो। केन्द्र एवं राज्य सरकार की अनेक योजनाएँ, जिनमें आवास, पेयजल, विद्युतीकरण, स्वास्थ्य, शिक्षा ऐसे विषय हैं, जिनकी हकीकत को जानने के लिये जनसंख्या संबंधी आँकड़ें होना बेहद जरूरी है। भारतीय प्रशासनिक सेवा के पूर्व अधिकारी एवं विश्व खाद्य कार्यक्रम के सलाहकार वसीम अख्तर ने कहा कि जनसंख्या संबंधी आँकड़ों को जिला-स्तर पर भी पहुँचाने की आवश्यकता है। प्रत्येक जिले की अपनी सामाजिक एवं भौगोलिक स्थिति है। उन्होंने कार्यशाला को जिला-स्तर पर भी करने पर जोर दिया।
निदेशक सचिन सिन्हा ने बताया कि मध्यप्रदेश में 7 मई से 22 जून, 2010 तक मकान सूचीकरण का कार्य किया गया। इस कार्य में लगभग एक लाख 20 हजार प्रगणक की मदद ली गई है। लगभग 19 हजार पर्यवेक्षक इस कार्य की निगरानी के लिये तैनात किये गये थे। उन्होंने बताया कि मध्यप्रदेश में 2001 में मकानों की संख्या 140 लाख थी, जो बढ़कर 185 लाख हो गई है। प्रदेश में गैर-आवासीय जनगणना में भी गिरावट आई है। जहाँ 2001 में इनका प्रतिशत 18.6 था, वह गिरकर 14.7 प्रतिशत रह गया है। कार्यशाला में प्रदेश में अनुसूचित-जाति एवं जनजाति वर्ग की सामाजिक स्थिति पर केन्द्रित आँकड़ों पर भी चर्चा की गई। कार्यशाला को यूनीसेफ के प्रतिनिधि कुमार प्रेमचंद और एक्शन ऑफ सोशल एडवांस के प्रतिनिधि आशीष मण्डल ने भी संबोधित किया।
जनसंख्या आँकड़ों को वेबसाइट http://www.censusindia.gov.in/ एवं www.devinfo.org//indiacensuse2011 पर भी डाला गया है। कार्यशाला के दूसरे दिन आँकड़ों का उपयोग कम्प्यूटर पर करने के संबंध में विषय-विशेषज्ञ जानकारी देंगे।