ग्वालियर, नवंबर 2012/ कहीं थिरक रहे थे कदम तो कहीं हो रहा था नारी शक्ति का जीवंत प्रदर्शन और महिलाओं पर केन्द्रित नाटकीय रूपांतरण। कहीं हो रहा था नारी गाथा का स-स्वर वाचन। नारी सम्मान उत्सव में बने आधा दर्जन रंगमंच सहित सम्पूर्ण प्रांगण में संस्कृति का महासागर निर्मित हो गया, जिसमें ताल से ताल मिलाकर मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने भी नारी के हक में थिरकन पैदा कर दी।
मुख्यमंत्री ने हर सांस्कृतिक रंगमंच के सामने मौजूद युवा शक्ति को कुछ कहकर और कुछ बिना कहे ही उस शपथ और संकल्प से बांध दिया, जिस धड़कन और जोश को लेकर वीरांगना महारानी लक्ष्मीबाई की जयंती पर नारी सम्मान में एक साथ एक लाख हाथ उठाने के लिये लोग ग्वालियर व्यापार मेला प्रांगण में जुटे थे।
मुख्यमंत्री के कदम भी थिरक उठे
ग्वालियर व्यापार मेला के विशाल प्रांगण में नारी सम्मान में आयोजित उत्सव में बने सभी आधा दर्जन रंगमंच पर मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान पहुँचे। इस दौरान लोक मंच पर हो रहे ‘बधाई नृत्य’ में शामिल होने से श्री चौहान अपने आप को रोक नहीं पाए। वह भी नृत्य में शामिल हो गए और लोक कलाकारों के साथ थिरक उठे।
हुए सांस्कृतिक कार्यक्रम
नारी सम्मान उत्सव में मुख्य मंच के अलावा पाँच और मंच बनाए गए थे। इनमें युवा मंच, शिक्षा मंच, बाल मंच, लोक मंच व संस्कृति मंच शामिल थे। इन मंचों के जरिए विभिन्न शैक्षणिक, सामाजिक, स्वयंसेवी एवं सरकारी संस्थाओं द्वारा नारी शक्ति पर केन्द्रित मनोहारी सांस्कृतिक कार्यक्रमों का मंचन किया गया। सम्पूर्ण मेला प्रांगण एक बारगी तो नारीमय हो गया। हर तरफ नारी सम्मान और गरिमा के लिये न केवल चर्चा हो रही थी बल्कि सभीजन बेटियों के हित में संकल्पबद्ध दिखाई दिये।
और लोगों की आँखे नम हो आईं……
नारी सम्मान में आयोजित उत्सव में विभिन्न रंगमंचों पर हुई प्रस्तुतियों ने लोगों के दिलों तक बेटी बचाने का संकल्प पहुँचाया। मुख्य मंच पर हुई विभिन्न प्रस्तुतियों को मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने भी देखा। स्थानीय परिवर्तन समूह के कलाकारों द्वारा कोख में ही बेटियों को मार देने की कुप्रथा पर केन्द्रित मार्मिक गीत पर दी गई प्रस्तुति ने लोगों के दिलों तक गहरी छाप छोड़ी। इस प्रस्तुति में दो बालिका सीमा सोनी व सरिता सोनी द्वारा कन्या भ्रूण बनकर कही गई बातों ने समारोह में मौजूद लोगों के दिलों को गहरे तक झकझोर दिया। लोग इन प्रस्तुतियों से भाव विभोर तो हुए ही, साथ ही यह सोचने पर भी मजबूर भी हुए कि सामाजिक ताने-बाने को बनाये रखने के लिए बेटियों को बचाना ही होगा। मुख्य मंच पर छात्राओं ने जूडो, कराते और अन्य मार्शल आर्ट का प्रदर्शन भी किया।