मध्यप्रदेश में असंगठित क्षेत्र में चल रही आर्थिक गतिविधियों तथा छोटे-छोटे व्यवसायों की गणना के लिये घर-घर जाकर जनगणना का कार्य किया जायेगा। इससे आर्थिक विकास की सही तस्वीर सामने आ सकेगी। यह छठवीं आर्थिक जनगणना होगी जिसका काम इसी वर्ष अक्टूबर में शुरू हो जायेगा।
योजना एवं आर्थिक सांख्यिकी विभाग द्वारा केन्द्रीय सांख्यिकी मंत्रालय तथा केन्द्रीय सांख्यिकी संगठन के सहयोग से आज यहाँ कार्यशाला की गई जिसमें पाँच राज्यों तथा दो केन्द्र शासित प्रदेशों के अधिकारियों को आर्थिक जनगणना के संबंध में प्रशिक्षण दिया गया।
योजना एवं आर्थिक सांख्यिकी मंत्री श्री राघवजी ने कार्यशाला का शुभारंभ करते हुए कहा कि सटीक जानकारी से ही उपयुक्त योजनाएँ बनाई जा सकती है। फिलहाल छोटी-छोटी आर्थिक गतिविधियों की गणना नहीं होने से आर्थिक विकास की सही तस्वीर सामने नहीं आ पाती। आर्थिक जनगणना से यह कमी दूर हो सकेगी। यह जनगणना दस वर्ष में की जाने वाली जनगणना से भी ज्यादा महत्वपूर्ण है। मध्यप्रदेश में असंगिठत क्षेत्र में ज्यादा लोग कार्यरत है और अर्थ-व्यवस्था में उनका योगदान संगठित क्षेत्र से ज्यादा है। संतुलित विकास की दिशा में आर्थिक जनगणना को महत्वपूर्ण कदम बताया।
भारत सरकार के आर्थिक सांख्यिकी मंत्रालय में सचिव श्री टी.सी.ए. अनन्त ने कहा कि आर्थिक जनगणना का मुख्य उद्देश्य आर्थिक इकाइयों की गणना करना है। भारत में असंगठित क्षेत्र किसी भी देश की तुलना में सबसे बड़ा है और इसका राष्ट्रीय अर्थ-व्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान है। उन्होंने कहा कि छठवीं आर्थिक जनगणना में हस्त-शिल्प और हैण्डलूम को शामिल किया जाना एक महत्वपूर्ण कदम है। सेवा क्षेत्र की गणना का कार्य भी पायलट आधार पर किया जा रहा है।
केन्द्रीय सांख्यिकी संगठन के अपर महानिदेशक श्री आशीष कुमार ने कार्यशाला के उद्देश्यों पर बोलते हुए कहा कि यहाँ पर प्रशिक्षत अधिकारी अपने राज्यों में दूसरों को प्रशिक्षण देंगे। छठवीं आर्थिक जनगणना में एक लाख 83 हजार संगणक कार्य करेंेगे।
मध्यप्रदेश के योजना सचिव श्री एस.आर.मोहंती ने कहा कि ग्रीष्म फसलों और उद्यानिकी सहित अनेक गतिविधियाँ हैं, जो गणना में नहीं आ पाती। इस आर्थिक जनगणना में इस क्षेत्र को भी शामिल किया गया है। उन्होंने बताया कि प्रत्येक विभाग के सांख्यिकी अधिकारियों को सांख्यकी विभाग के सीधे नियंत्रण में लाने का कार्य किया जा रहा है।
कार्यशाला में मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, गुजरात, गोवा राज्यों तथा दमन एवं दीव तथा दादर-नगर हवेली केन्द्र शासित प्रदेशों के अधिकारी भाग ले रहे हैं।