भोपाल, दिसम्बर 2014/ भोपाल गैस त्रासदी की 30वीं बरसी पर भोपाल के बरकतउल्लाह भवन, सेंट्रल लायब्रेरी में 3 दिसम्बर की पूर्वान्ह 10.30 बजे से सर्वधर्म प्रार्थना सभा होगी। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान इसमें शामिल होंगे। प्रार्थना सभा में विभिन्न धर्म गुरु, धर्म ग्रंथों का पाठ करेंगे और सभी उपस्थित दिवंगत गैस पीड़ितों को श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे।
भोपाल में गैस राहत अस्पतालों में अनेक नवीन सुविधाएँ शुरू की गईं हैं। सुदृढ़ स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए 6 चिकित्सालय, 9 डे-केयर सेंटर और 9 भारतीय चिकित्सा पद्धति के अस्पताल संचालित हैं। गैस प्रभावित नागरिकों और उनके बच्चों को राज्य सरकार ने नि:शुल्क दवाएँ एवं जाँच सुविधा उपलब्ध करवाई है। इससे रोजाना करीब 4000 और सालाना लगभग डेढ़ लाख लोग लाभान्वित हो रहे हैं। राज्य में एक नवंबर 2014 को प्रारंभ की गई स्वास्थ्य सेवा गारंटी योजना में 18 चिन्हित मातृ, शिशु और राष्ट्रीय रोग नियंत्रण कार्यक्रमों का लाभ भी गैस राहत विभाग ने रोगियों को प्रदाय किया है। कमला नेहरू सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल, भोपाल में अत्याधुनिक डायलेसिस इकाई कार्य कर रही है। गैस राहत के 6 बड़े अस्पताल में चिन्हित कैंसर रोगी भी उपचार सुविधा प्राप्त कर रहे हैं।
राज्य सरकार ने भोपाल स्थित यूनियन कार्बाइड और सोलर इवेपोरेशन साइड पर पड़े रसायनों के सुरक्षित निष्पादन की शुरुआत की है। वर्ष 2008 में लाइम स्लज हटाया जा चुका है। शेष रासायनिक अपशिष्ट हटवाने की भोपाल गैस त्रासदी राहत एवं पुनर्वास विभाग ने पहल की है। शासन ने यह निर्णय लिया है कि प्रकियात्मक विषमताओं एवं जटिलताओं के कारण लंबित अपशिष्ट का विनष्टीकरण के लिए निर्धारित पर्यवेक्षकों के समक्ष तथ्यों को प्रस्तुत कर कार्यवाही की जाएगी। अन्य प्रदूषित तत्वों जैसे मिट्टी, मरक्यूरी स्पिलेज और कोरोडेड संयंत्र के निष्पादन के लिए तय की गई एजेंसी के माध्यम से सर्वोच्च न्यायालय की आवश्यक अनुमति के बाद कार्य होगा। न्यायोचित मुआवजे के लिए सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष 675 करोड़ की अतिरिक्त मुआवजा राशि की मांग प्रस्तुत की गई है । अब तक 5 लाख 74 हजार 386 गैस प्रभावितों को त्रासदी के बाद 3,840 करोड़ की सहायता राशि दी गई है। राज्य शासन ने सामाजिक संगठनों और प्रभावित परिवारों की भावना के अनुरूप पूरी प्रतिबद्धता के साथ विभिन्न कदम उठाए हैं। चिकित्सकीय पुनर्वास के तहत सर्वोच्च न्यायालय ने गैस पीड़ितों के इलाज प्रबंधन के लिए एक मानीटरिंग और एक एडवाइजरी कमेटी का गठन किया है। दोनों समितियों ने समय-समय पर जो अनुशंसाएँ की हैं, उनका पालन भी किया जा रहा है।