भोपाल, अक्टूबर 2014/ कभी मैं गिट्टी तोड़ती थी, अब ए-क्लास कांट्रेक्टर हूँ। यह बात राजगढ़ जिले की एंटरप्रोन्योर सुश्री लीलाबाई ने ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में सेक्टोरल सेमीनार ‘वूमेन एंटरप्रेन्यूर्स’ में कही। अन्य महिलाओं ने भी अपने अनुभव शेयर किये।
केसला जिला होशंगाबाद की अनीताबाई और उसकी सहयोगी ने बताया कि वे स्वयं की सहकारी समिति चलाने के साथ ही महिलाओं को सामाजिक कुरीतियों से लड़ने की समझाइश भी देते हैं। डिंडोरी की रेखा प्रदान ने बताया कि समूह में 1500 महिला जुड़ी हैं। समूह कोदो-कुटकी से संबंधित कार्य करती हैं। उन्होंने बताया कि स्व-रोजगार से जुड़ने पर साहूकारों के कर्ज से मुक्ति मिली है।
अध्यक्ष मध्यप्रदेश एसोसिएशन ऑफ महिला एंटरप्रोन्योर श्रीमती अर्चना भटनागर ने कहा कि स्कूल और कॉलेज स्तर से ही लड़कियों को उनकी रूचि अनुसार व्यवसाय की ट्रेनिंग दी जाय। उन्होंने बताया कि मैंने अपना बिजनेस 500 से कम रुपये में तब शुरू किया था जब मेरे एक साल का बच्चा था। उन्होंने कहा कि शासन की योजनाओं का लाभ लेकर महिलाएँ अपना व्यवसाय शुरू कर सकती हैं। श्रीमती भटनागर ने कहा कि इम्प्रूवमेंट की गुंजाइश हमेशा रहती है इसलिए सीखने की आदत कभी नहीं छोड़ी। उन्होंने वित्त, मार्केट और तकनीकी की उपलब्धता के संबंध में भी बताया।
डायरेक्टर ओमेगा रेंक बियरिंग श्रीमती दीपा प्रकाश ने कहा कि मध्यप्रदेश में महिला एंटरप्रोन्योर के लिए परिस्थितियाँ अनुकूल हैं। उन्होंने स्वयं के एंटरप्रोन्योर बनने की पूरी कहानी भी बतायी।
भारतीय युवा शक्ति ट्रस्ट के मेंटर श्री अजय जोशी ने बिजनेस शुरू करने की विभिन्न्प्रक्रियाओं के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि 72 करोड़ का लोन विभिन्न एंटरप्रोन्योर को वितरित किया जा चुका है। श्री जोशी ने बताया कि महिलाओं को नि:शुल्क परामर्श दिया जाता है।
आयुक्त महिला-बाल विकास श्रीमती कल्पना श्रीवास्तव ने राज्य सरकार द्वारा महिलाओं को स्व-रोजगार स्थापित करने के लिये चलायी जा रही विभिन्न योजनाओं के बारे में जानकारी दी। उन्होंने 200 बी.सी. से 2014 तक की महिला एंटरप्रोन्योर के विकास की स्थिति भी बतायी। श्रीमती श्रीवास्तव ने बताया कि प्रदेश में 27 हजार महिला विभिन्न एंटरप्रोन्योरशिप गतिवधियों से जुड़ी हैं।
प्रमुख सचिव महिला-बाल विकास श्री जे.एन. कंसोटिया ने महिला एंटरप्रोन्योर की शंकाओं का समाधान किया।