महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा गंभीर कुपोषण बाहुल्य वाले ग्रामों में विशेष सुधारात्मक गतिविधियाँ होगी। इस हेतु लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग द्वारा समुचित सहयोग दिया जायेगा।
ज्ञातव्य हो कि बाल मृत्यु के प्रकरणों में से 45 प्रतिशत प्रकरणों में कुपोषण अन्तरनिहित कारण होता है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण अनुसार प्रदेश में गंभीर कुपोषण का दर 9.2 प्रतिशत होना प्रतिवेदित किया गया है अर्थात 1000 की जनसंख्या वाले ग्रामों में 5 वर्ष से कम उम्र के लगभग 10 से 12 गंभीर कुपोषित बच्चे होंगे। अतः इन बच्चों को शीघ्र चिन्हांकन, रेफरल एवं संस्था पर मानक प्रबंधन हेतु जहां एक ओर प्रयास करना अत्याधिक आवश्यक है, वहीं दूसरी ओर कुपोषण के सामाजिक एवं पारिवारिक कारणों की पहचान कर उसकी रोकथाम करना उतना ही जरूरी है। प्रायः इन बच्चों की समय पर पहचान नही हो पाती है जिससे वे आम बाल्यकालीन बीमारियों से ग्रस्त होकर कुपोषण-बीमारी-कुपोषण के दुष्चक्र में फँस जाते है। विभाग द्वारा प्रदेश के पोषण पुनर्वास केन्द्रों में भर्ती बच्चों का गता विलोकि विश्लेषण किया जाकर कुपोषण बाहुल्य ग्रामों का चिन्हांकन किया गया है जहां चालू वित्तीय वर्ष में 10 से अधिक गंभीर कुपोषित बच्चे संदर्भित हुए हैं।
कुपोषण बाहुल्य ग्रामों में स्वास्थ्य, एकीकृत बाल विकास सेवायें, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी, आदिवासी विकास आदि विभागों के समन्वित प्रयास एवं नियोजन से इन ग्रामों में स्वास्थ्य सेवा प्रदायगी जैसे ग्राम स्वास्थ्य पोषण दिवस का आयोजन, बच्चों का टीकाकरण, दस्त व निमोनिया रोग प्रबंधन आदि के साथ-साथ पेयजल व्यवस्था, पूरक पोषण आहार का वितरण, मासिक वृद्धि निगरानी तथा गंभीर कुपोषित बच्चों की त्वरित पहचान एवं रेफरल गतिविधि का सुदृढ़ीकरण कराया जायेगा।