भोपाल, अप्रैल 2013/ संयुक्त राज्य अमेरिका स्थित प्रिन्सटन यूनिवर्सिटी के शिक्षाविद् डीन स्पेयर्स ने खुले में शौच की बुराई की वजह से भारतीय बच्चों के स्वास्थ्य पर पड़ रहे विपरीत प्रभाव के संबंध में अपनी अध्ययन रिपोर्ट के तथ्यों का खुलासा करते हुए राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ विमर्श किया। उन्होंने बताया कि खुले में शौच की बुराई की वजह से बच्चों के कद में कमी देखी जा रही है। बच्चों के जन्म के दो वर्ष का समय उनके शारीरिक विकास के लिये महत्वपूर्ण होता है। इस अवधि में खुले में शौच की वजह से विभिन्न बीमारियों के कीटाणु बच्चों के स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं। बच्चों के सामान्य कद में आ रही कमी की यह भी एक वजह है। बच्चों में दुबलापन तथा उनका कद कम होना कई कारणों पर निर्भर करता है। सही तरीके से स्तनपान नहीं किया जाना, गरीबी, सही पोषण आहार न मिल पाना जैसे अन्य कारण भी इसके लिये जिम्मेदार हैं।
अपर मुख्य सचिव श्रीमती अरुणा शर्मा ने बताया कि मध्यप्रदेश में खुले में शौच की बुराई को दूर करने के लिये सुनियोजित प्रयास हो रहे हैं। राज्य में महिलाओं के सम्मान की सुरक्षा के लिये मर्यादा अभियान से इस कार्यक्रम को जोड़ा गया है।
यूनीसेफ की डॉ. तान्या गोल्डनर ने समाज में शिक्षा को बढ़ावा देकर इस बुराई की रोकथाम के प्रति जागरूक बनाये जाने पर जोर दिया।