भोपाल, सितम्बर 2014/ खनिज साधन, ऊर्जा, नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा तथा जनसंपर्क मंत्री राजेन्द्र शुक्ल ने नई दिल्ली में केन्द्रीय वन एवं पर्यावरण राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) प्रकाश जावड़ेकर से भेंट की। श्री शुक्ल ने अनुरोध किया कि 5 हेक्टेयर से कम क्षेत्रफल की गौण खनिजों की खनि रियायतों को पर्यावरण स्वीकृति की अनिवार्यता से मुक्त रखा जाए। भारत सरकार की 9 सितम्बर 2013 की अधिसूचना के जरिये पाँच हेक्टेयर क्षेत्रफल से कम क्षेत्र की खनन परियोजनाओं को भी पर्यावरण की स्वीकृति दिया जाना अनिवार्य किया गया है। इससे प्रदेश में संचालित गौण खनिज की खदानें भी इस अधिसूचना की परिधि में आ गई है।

श्री शुक्ल ने बताया कि सर्वोच्च न्यायालय एवं नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल द्वारा पाँच हेक्टेयर से कम गौण खनिजों की खदानों के पर्यावरण संरक्षण स्वीकृति के प्रावधानों के संबंध में कुछ निर्देश एवं परिपत्र जारी किये गये थे। उन परिपत्रों के परिप्रेक्ष्य में मध्यप्रदेश सहित जिन राज्य सरकारों ने जारी गाइड लाइन्स के अनुरूप अपने गौण खनिज नियमों में संशोधन कर पर्यावरण संरक्षण संबंधित प्रावधान कर लिए हैं, उन्हें पर्यावरण स्वीकृति की अनिवार्यता से मुक्त रखा जाये।

प्रदेश में पाँच हेक्टेयर से कम क्षेत्रफल की गौण खनिज की लगभग 6897 खदान स्थापित/संचालित हैं। गौण खनिजों की निर्बाध आपूर्ति, निर्माण एवं विकास कार्यों के लिए जरूरी होती है। उन्होंने कहा कि पर्यावरण स्वीकृति प्राप्त करने की प्रक्रिया को पूर्ण करने में समय लगना स्वाभाविक है। इससे गौण खनिजों की खदानों की स्वीकृति तथा संचालन में विलम्ब होने से निर्माण तथा विकास कार्यों के लिए इनकी उपलब्धता में कठिनाई के साथ ही प्रदेश के निवासियों के रोजगार से भी वंचित होने की स्थिति भी निर्मित होगी।

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