भोपाल, नवंबर 2012/ पिछली बार के कटु अनुभव से सबक लेते हुए मध्‍यप्रदेश सरकार ने रबी की अगली फसल में समर्थन मूल्‍य पर ख्‍रीदी के लिए अभी से प्रयास शुरू कर दिए हैं। पिछली बार आई बारदानों की कमी को ध्‍यान में रखते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अभी से ही केन्द्र सरकार से आग्रह किया है कि गेहूँ उपार्जन के लिये समय पर पर्याप्त बारदाना उपलब्ध करवाया जाये। साथ ही उपार्जित किये गये सरप्लस गेहूँ का उठाव भी किया जाये।

इस बारे में केन्द्रीय खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री के.वी. थामस को लिखे पत्र में मुख्यमंत्री ने कहा है कि मध्यप्रदेश को चालू खरीफ मौसम और आने वाले रबी उपार्जन सीजन के लिये फिर से बारदानें की आपूर्ति की समस्या का सामना करना पड़ रहा है। रबी उपार्जन के लिये प्रदेश में अभी से तैयारी शुरू कर दी गई है। चालू खरीफ उपार्जन सीजन के लिये मध्यप्रदेश ने केन्द्रीय खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्रालय को इसी वर्ष जुलाई में 72 करोड़ 40 लाख रुपये का पूरा भुगतान करके अपनी आवश्यकता से अवगत करवा दिया गया है। इस संबंध में जुलाई, अगस्त, सितम्बर और अक्टूबर में अनेक बैठक करके मंत्रालय द्वारा इसके लिये एक कार्यक्रम निर्धारित किया गया। इसके अनुसार सितम्बर, 2012 में 10 हजार जूट गनी सितम्बर, 2012 में, 30 हजार जूट गनी गठानें अक्टूबर 2012 में तथा 36 हजार जूट गनी गठानें नवम्बर, 2012 में उपलब्ध करवाई जानी हैं। इसके अलावा प्रदेश को 9,400 एचडीपीपी/पीई गठानें भी मिलनी हैं।

मुख्यमंत्री ने बताया कि लगभग 80 प्रतिशत एचडीपीपी/पीई मिल चुकी हैं, लेकिन जूट गनी की आपूर्ति निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार नहीं की गई है। सितम्बर में प्रदेश को सिर्फ 5,070 जूट गनी गठानें मिलीं, जबकि वायदा 10 हजार का किया गया था। अक्टूबर में प्रदेश को 14 हजार 430 गठानें मिलीं, जबकि 5 हजार का बेकलॉग और 30 हजार का वायदा था। परिणाम स्वरूप प्रदेश में 20 हजार 500 गठानों का बेकलॉग है और 36 हजार गठानें नवम्बर में नियमित रूप से वायदे के अनुसार मिलनी हैं।

मुख्यमंत्री ने श्री थामस से अनुरोध किया कि वे सभी संबंधितों को यह निर्देश दें कि प्रदेश को निर्धारित तिथि के अनुसार शेष 56 हजार 600 जूट गनी गठाने उपलब्ध करवाई जायें और ये प्रदेश को नवम्बर माह में ही प्राप्त हो जायें।

सरप्लस गेहूँ का उठाव

मुख्यमंत्री ने श्री थामस को एक अन्य पत्र लिखकर रबी विपणन सीजन 2012-13 के दौरान गेहूँ के उठाव की धीमी गति के प्रति उनका ध्यान आकर्षित किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह काफी चिन्ताजनक है।

श्री चौहान ने पत्र में कहा कि मध्यप्रदेश विकेन्द्रीकृत उपार्जन राज्य है और भारतीय खाद्य निगम राज्य द्वारा उपार्जित किये गये सम्पूर्ण सरप्लस गेहूँ का उठाव करने के लिये वचनबद्ध है। मध्यप्रदेश में सीजन की शुरूआत पिछले वर्ष के बचे 3 लाख मीट्रिक टन गेहूँ से की गई, जिसे भारतीय खाद्य निगम ने नहीं उठाया। इसके बाद मार्च-मई, 2012 में 85 लाख मीट्रिक टन का और उपार्जन हो गया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि कुल 88 लाख मीट्रिक टन में से 30 लाख मीट्रिक टन स्थानीय सार्वजनिक वितरण प्रणाली/अन्य कल्याणकारी योजनाओं में उपयोग के लिये है। इसका मतलब यह है कि भारतीय खाद्य निगम को 15 मार्च, 2013 से पहले 58 लाख मीट्रिक टन का उठाव करना है, जब अगला रबी उपार्जन सीजन शुरू होगा। भारतीय खाद्य निगम ने 31 अक्टूबर, 2012 तक कुल 24 लाख मीट्रिक टन स्वीकार किया है। इस प्रकार निगम को अभी शेष 5 महीने में 34 लाख मीट्रिक टन का उठाव करना बाकी है। यदि उठाव वांछित स्तर पर नहीं होता, तो प्रदेश में अगले रबी सीजन में भण्डारण का बड़ा संकट उत्पन्न हो जायेगा। प्रदेश में चालू खरीफ सीजन में ही भण्डारण की अत्यधिक समस्या है।

मुख्यमंत्री ने श्री थामस से व्यक्तिगत रूप से स्थिति की समीक्षा करने का आग्रह किया है। यदि भारतीय खाद्य निगम 7 लाख मीट्रिक टन प्रतिमाह की दर से उठाव नहीं कर पाता तो इसका एक व्यवहारिक विकल्प यह है कि प्रत्येक माह ओपन मार्केट सेल स्कीम के माध्यम से बढ़ा हुआ कोटा आवंटित कर दिया जाये। अभी तक प्रदेश को एक लाख 64 हजार मीट्रिक टन कोटा दिया गया है, जो काफी अपर्याप्त है। इससे भण्डारण/उठाव की समस्या नहीं सुलझेगी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि एक अन्य वांछित विकल्प यह है कि बीपीएल श्रेणी के लिये लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली में गेहूँ और चावल का आवंटन बढ़ा दिया जाये। मध्यप्रदेश सरकार यह माँग लम्बे समय से करती आ रही है। मध्यप्रदेश को वास्तविक हितग्राहियों की तुलना में लगभग आधे हितग्राहियों के लिये ही बीपीएल कोटा मिल रहा है। अनाज की भण्डारण और परिवहन लागत को सब्सिडी के रूप में लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत परिवर्तित कर दिया जाये। इससे भण्डारण की समस्या का समाधान होगा और साथ ही लाखों बीपीएल परिवारों को खाद्यान्न सुरक्षा उपलब्ध होगी।

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