भोपाल, जुलाई 2015/ असफलता के बाद सफलता कैसे पाई जा सकती है के बारे में जानना हो तो आप रणजीत सिंह सोलंकी से मिलिये। कुछ साल पहले नौकरी पाने में नाकाम हो चुके रणजीत सिंह आज न केवल एक सफल व्यवसायी हैं, बल्कि नौजवानों का भविष्य सँवारने में भी मदद कर रहे हैं। कामयाबी का राज पूछो तो मुस्कराते हुए कहते हैं- ‘रानी दुर्गावती है न!”
खरगोन जिले के मण्डलेश्वर के मेहनतकश परिवार के रणजीत सिंह सोलंकी ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई तो कर ली पर बहुत ढूँढने के बाद भी मनचाही नौकरी नहीं मिल पाई। खुद का काम-धँधा करने की सोची, तो पूँजी नहीं थी। तभी किसी ने सुझाया कि जिला उद्योग केन्द्र जाओ। खरगोन जिला उद्योग केन्द्र ने उन्हें शासन की रानी दुर्गावती योजना में कम्प्यूटर प्रशिक्षण संस्थान के लिये 6 लाख 77 हजार की आर्थिक सहायता दिलवायी। इसमें 2 लाख 3 हजार का अनुदान शामिल था। आज एस.एस.आई.टी. के नाम से उनके कम्प्यूटर संस्थान की गिनती क्षेत्र के अच्छे संस्थानों में होती है।
संस्थान के विद्यार्थियों से पूछते हैं कि एसएसआईटी को ही प्रशिक्षण के लिये क्यों चुना तो पता चलता है कि रणजीत सिंह का संस्थान अन्य की अपेक्षा कम कीमत पर उत्कृष्ट प्रशिक्षण देता है। अन्य पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति-जनजाति के विद्यार्थियों को या तो मुफ्त या रियायती दर पर प्रशिक्षण दिया जाता है। आज संस्थान में करीब 300 प्रशिक्षु कम्प्यूटर की शिक्षा ले रहे हैं। चार लोग की रोजी-रोटी संस्थान से चल रही है।
रणजीत सिंह कहते हैं पिता की मृत्यु के बाद परिवार की जिम्मेदारी कंधों पर थी। ऐसे में संस्थान की स्थापना एक बड़ा सहारा ले कर आयी। अब तो उन्होंने बड़े भाई को भी निजी स्कूल खुलवाकर स्वावलंबी बना दिया है। परिवार का कच्चा मकान पक्का बनाने के साथ ही नया प्लाट भी ले लिया है। जरूरत और सुख-सुविधा की वस्तुएँ भी जुटा ली हैं। उनके पास यदि कोई विद्यार्थी रोजगार की समस्या लेकर आता हैं तो वे कहते हैं- ‘रानी दुर्गावती है न !”