भोपाल, दिसम्बर 2015/ राज्य शासन द्वारा राष्ट्रीय कृषि वानिकी नीति 2014 के परिप्रेक्ष्य में मध्यप्रदेश कृषि वानिकी नीति 2015 का प्रारूप तैयार करने प्रमुख सचिव वन श्री दीपक खांडेकर की अध्यक्षता में संगोष्ठी हुई। इसका संचालन प्रधान मुख्य वन संरक्षक (लोक वानिकी संयुक्त वन प्रबंधन) श्री जितेन्द्र अग्रवाल ने किया।
संगोष्ठी में वन, कृषि, उद्यानिकी विभागों के वरिष्ठ अधिकारियों के अलावा प्रदेश भर के विभिन्न क्षेत्र से आये हुए प्रतिनिधियों ने भाग लिया। संगोष्ठी में किसान, लकड़ी व्यापार, पत्रकारिता, राजनीति, शोध संस्थान, कागज मिल आदि क्षेत्रों से जुड़े लोगों ने प्रारूप के लिये महत्वपूर्ण सुझाव दिये।
प्रथम सत्र में कृषि वानिकी की आवश्यकता, उद्देश्य की प्राप्ति के लिये रणनीति, संभावनाएँ एवं कृषि वानिकी मॉडल्स, शासन की कृषि वानिकी प्रोत्साहन योजना पर चर्चा हुई। द्वितीय सत्र में निजी भूमि पर रोपित वृक्षों की कटाई एवं परिवहन के प्रचलित नियमों पर चर्चा हुई। संगोष्ठी में कृषि वानिकी के उत्पादन का बाजार एवं विपणन, मजबूत सूचना तंत्र पर चर्चा हुई। किसानों और वनाधारित उद्योग से जुड़े लोगों ने अपने अनुभव के आधार पर अनेक बहुमूल्य सुझाव दिये।
संगोष्ठी का उद्देश्य प्रदेश के लिये ऐसी कृषि वानिकी नीति तैयार करना है, जिससे प्रदेश के किसानों को बाढ़ या सूखे की स्थिति का सामना करते हुए भी आमदनी हो। साथ ही प्रदेश का वन क्षेत्र बढ़े, वन आधारित उद्योग-धंधे बढ़े, पर्यावरण संतुलन के लिये अधिक वृक्षों के माध्यम से कार्बन अवशोषण हो और भूमि जलस्तर में वृद्धि हो। प्रदेश ही नहीं देश में भी लकड़ी की आपूर्ति और माँग में बहुत बड़ा अंतर है। कृषि वानिकी नीति में इस खाई को दूर करने के भी प्रयास किये जायेंगे।