भोपाल, जनवरी 2015/ महिला-बाल विकास मंत्री माया सिंह ने कहा है कि कुपोषण और महिलाओं और बच्चों की दुर्बलता राष्ट्रव्यापी समस्या है। यह व्यक्तिगत नहीं बल्कि राष्ट्रीय हानि है। एक स्वस्थ समाज के साथ ही हम सबल राष्ट्र का निर्माण कर सकते हैं। इसके लिए जरूरी है कि कुपोषण निवारण कार्यक्रम को गरीबी उन्मूलन और आर्थिक सशक्तिकरण कार्यक्रम से जोड़ा जाये। श्रीमती सिंह हरियाणा के पानीपत में केन्द्रीय महिला-बाल विकास मंत्रालय द्वारा आयोजित ‘न्यूट्रीशियन एण्ड हेल्थ’ सेमीनार सत्र में अध्यक्षीय उदबोधन दे रही थीं।

उन्‍होंने कहा कि कुपोषण की समस्या के निवारण के लिए ऐसी रणनीति बनाना समय की जरूरत है जिससे यह कलंक मिट जाये। इसके लिए बहु-स्तरीय प्रयास करने के साथ ही, एकीकृत मॉडल बनाये जाना चाहिये। स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में ठोस कदम उठाने के साथ ही आर्थिक और सामाजिक क्षेत्र में भी प्रभावी काम करने की जरूरत है। महिलाओं को अगर हम सक्षम, शिक्षित और समर्थ बना दें तो सही मायनों में इस समस्या को जड़ से खत्म कर सकते हैं। देश में महिलाओं के स्वास्थ्य के प्रति परिवार में चिंता और समझ का अभाव देखा जाता है। गर्भावस्था में उन्हें जिस देख-रेख की जरूरत होती है वह पूरी तरह दुर्लभ है। इसका सीधा प्रभाव नवजात बच्चे पर पड़ता है और कुपोषण की समस्या गंभीर होती जाती है। उन्होंने परिवार और समाज के नजरिये में भी बदलाव की जरूरत बताई।

श्रीमती सिंह ने कहा कि अब समय आ गया है कि हम महिलाओं और बच्चों के कुपोषण और उनकी दुर्बलता पर गंभीरता से चिंतन करें। उन्होंने कहा कि इसके लिए स्वास्थ्य और पोषण से जुड़े मुद्दों पर परिवार, समाज और सरकारी अमले के बीच बेहतर तालमेल के साथ संगठित प्रयास किये जायें।

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