भोपाल, दिसम्बर 2015/ कृषि विभाग द्वारा कृषकों को सलाह दी गई है कि हमेशा मृदा के पी .एच. मान के आधार पर ही उर्वरकों का चयन करना चाहिए, क्योंकि सभी उर्वरक हर प्रकार की जमीन के लिए उपयुक्त नही होते है। वे भी अम्लीय, क्षारीय एवं उदासीन प्रकृति के होते हैं। जानकारी के अभाव में अम्लीय मृदा में अम्लीय उर्वरक या क्षारीय मृदा में क्षारीय उर्वरक लगातार डालने पर मृदा कुछ समय बाद अनुपजाऊ हो जाती है। अतः अम्लीय मृदा में क्षारीय व क्षारीय मृदा में अम्लीय प्रकृति के उर्वरक ही उपयोग करना चाहिए। ऐसा करने से खेत की मृदा खराब नही होगी। मिटटी परीक्षण करने के बाद कृषकों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड मिलता है जिसमें खेत की मिट्टी का पीएच मान लिख कर आता है।
पीएच खेत की मृदा के स्वास्थ्य का मापने का पैमाना है इस पर अवश्य ध्यान देना चाहिए। यदि मिट्टी का पीएच 6% से 8% के बीच हो तो मृदा ठीक है, 6% पीएच मान के कम होने पर जाने य माने की मिट्टी अम्लीय होने लगी है। यदि पीएच मान 8% से ज्यादा है, तो खेत की मिट्टी क्षारीयता की ओर बढ रही है। इसी के आधार पर ही खेत में डाले जाने वाले उर्वरकों का उपयोग करना चाहिए।