भोपाल , दिसंबर 2012/ मध्‍यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने एक बार फिर खुद को किसानों का हितैषी साबित करते हुए विधानसभा में दमदारी से कहा कि प्रदेश में किसी भी किसान से उसकी जमीन जबरिया अधिग्रहित नहीं की जाएगी। किसी भी किसान की जमीन पर बुलडोजर नहीं चलेगा। सरकार कोशिश करेगी कि उद्योग लगाने के लिए जहां तक संभव हो खेती की जमीन का अधिग्रहण नहीं कराया जाए। हालांकि न तो अकेले खेती की दम पर प्रदेश का विकास किया जा सकता है और ना लोगों को रोजगार मुहैया कराया जा सकता है। इसके लिए उद्योगों का आना भी बेहद जरूरी है।

राज्य विधानसभा में कटनी के ग्राम बुजबुजा और डुकरिया में वेलस्पन कंपनी के 1980 मेगावाट क्षमता के प्रस्तावित बिजली संयंत्र के लिए किसानों की जमीन के अधिग्रहण को लेकर चल रहे विवाद को लेकर लाए गए स्थगन प्रस्ताव का जवाब देते हुए चौहान ने यह बात कही। सरकार ने कांग्रेस के आग्रह को मंजूर करते हुए इस प्रस्ताव पर सहृदयता के साथ चर्चा कराई थी। डा. गोविंद सिंह सहित कई सदस्यों द्वारा रखे गए इस प्रस्ताव पर करीब चार घंटे चली बहस में नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह, उपनेता प्रतिपक्ष चौधरी राकेश सिंह, मुख्य सचेतक नर्मदा प्रसाद प्रजापति, बिसाहूलाल सिंह, संजय पाठक, आरिफ अकील, कल्पना परूलेकर, रामलाल मालवीय सहित कई सदस्यों ने अपने तर्कों के साथ सरकार को कटघरे में खड़ा करने की कोशिश की।

सत्ता पक्ष की तरफ से मोर्चा संभालते हुए उद्योग मंत्री कैलाश विजयवर्गीय और उर्जा मंत्री राजेंद्र शुक्ला ने उनके आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया। संसदीय कार्य मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने भी सरकार का नजरिया साफ करते हुए कहा कि शिवराज सरकार किसानों की मददगार और हितैषी सरकार है। बहस के दौरान पक्ष और विपक्ष के बीच कई मौकों पर तीखी नोकझोंक हुई। संजय पाठक को विधायक राजू पोद्दार के बारे में की गई एक टिप्पणी के लिए अध्यक्ष के निर्देश के बाद खेद प्रकट करना पड़ा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि यदि कहीं  सरकार की गलती होगी तो हम उसे स्वीकारेंगे और सुधारेंगे। उन्होंने कहा कि बुजबुजा-डोंगरिया में किसानों के हितों का संरक्षण करने के बाद ही वेलस्पन प्रोजेक्ट के मामले में आगे बढ़ने का निर्णय लिया गया। किसानों को विशेष पैकेज दिया गया। कोशिश यही रही कि किसानों को पांच लाख रूपए प्रति एकड़ के लगभग मुआवजा मिले। चौहान ने विपक्ष से अपील की कि विपक्ष ऐसा माहौल न बनाएं जिससे प्रदेश में आने वाला निवेशक हतोत्साहित हो जाए। राजनीति में जाने-अनजाने में हम अपनी आने वाली पीढ़ी के भविष्य में अंधेरा न लिख दें। उन्होंने कहा कि हमको यदि खेती को लाभ का धंधा बनाना है तो बांध बनाना पड़ेंगे और जब बांध बनेंगे तो कुछ लोगों कि जमीनें डूब में आएंगी। इसी प्रकार प्रदेश को रोशन करना है तो पावर प्लांट लगाना जरूरी है।

कटनी में सिंगूर जैसे हालात

इसके पहले नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने कहा कि कटनी का मामला बंगाल के सिंगूर जैसा है। उन्होंने सरकार को आगाह करते हुए कहा कि वह इसके अंजाम को समझ ले। बंगाल में चार दशक पुरानी वामपंथी सरकार को इसके कारण जाना पड़ा था। सिंह ने कहा कि उद्योग के नाम पर किसानों की भूमि को जबरिया अधिग्रहण को लेकर किसान परेशान हैं, लेकिन सरकार को इसकी चिंता नहीं है। उन्होंने जमीन अधिग्रहण के मामले की गहन जांच के लिए राज्य स्तरीय समिति की मांग की थी जिसे सरकार ने नहीं माना। नेता प्रतिपक्ष सिंह ने कहा कि सरकार जिस जमीन को सरकारी बता कर वेलस्पन कंपनी को दी है वह जमीन दरअसल में चरनोई की 430 एकड़ भूमि है। उन्होंने कहा कि किसानों से जबरिया जमीन अधिग्रहण का मामला सिर्फ कटनी जिले तक सीमित नहीं है, यह उज्जैन, खंडवा, हरदा, अनूपपुर, सिंगरौली सहित पूरे प्रदेश में व्याप्त है।

किसान प्रेम नहीं बल्कि सीआर की चिंता

मुख्यमंत्री ने अपने जवाब में विपक्ष पर वार करते हुए कहा कि इन्हें बुजबुजा-डोंगरी किसानों के भूमि अधिग्रहण से प्रेम नहीं है बल्कि इन्हें अपनी सीआर की चिंता है। इन्हें हाईकमान को बताने का इससे अच्छा मौका नहीं मिलेगा कि सरकार को हमने कैसे घेरा।

भू-अर्जन केन्द्र का अधिनियम है

मुख्यमंत्री ने कहा कि विपक्ष यह समझले कि  भू-अर्जन का 1894 का कानून राज्य का नहीं केन्द्र का अधिनियम है। हम तो उन्हीं प्रावधान का पालन कर भूमि अर्जन की कार्रवाई कर रहे हैं। नेता प्रतिपक्ष से मेरा आग्रह है कि वे दिल्ली जाकर जल्द ही नया अधिनियम बनवाएं जिससे किसानों को अधिक से अधिक मुआवजा मिल सके।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here