भोपाल। राज्य सरकार द्वारा मध्यप्रदेश में सहकारिता के जरिए कृषि एवं ग्रामीण अर्थ-व्यवस्था को मजबूती देने के ठोस प्रयास किये गये हैं। राज्य सरकार ने खेती को लाभ का व्यवसाय बनाने के लिए प्रभावी पहल की है। इस ऐतिहासिक पहल के फलस्वरूप ही इस वर्ष से प्रदेश के किसानों को शून्य प्रतिशत ब्याज दर पर कृषि ऋण मिलना संभव हुआ है। इसके साथ ही किसानों को सहकारिता के जरिए खाद एवं बीज की पुख्ता व्यवस्था की गई है।

सहकारिता के क्षेत्र में लिए गए निर्णयों से प्रदेश के सहकारी बैंक लाभ की स्थिति में आ गए हैं। इस वर्ष दिसम्बर अंत तक सहकारी बैंकों में कोर बैंकिग लागू हो जाएगी। सहकारिता के जरिए प्रदेश में भण्डारण क्षमता बढ़ाने का भी निर्णय लिया है। इस निर्णय से प्रदेश के 4,526 प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों को नि:शुल्क भूमि उपलब्ध हो सकेगी। प्रदेश में सहकारिता के मुख्य सिद्धांत “सर्वजन हिताय सर्वजन सुखाय” को व्यावहारिक रूप से अमली जामा पहनाया गया है।

किसानों को मिलेगा 8500 करोड़ का कृषि ऋण

मध्यप्रदेश में खेती को लाभ का व्यवसाय बनाये जाने के उद्देश्य से राज्य सरकार ने इस वर्ष से शून्य प्रतिशत दर पर किसानों को 8,500 करोड़ रुपये अल्पकालीन फसल ऋण देने का फैसला किया है। इस फैसले से प्रदेश के 30 लाख किसानों को फायदा पहुँचेगा। इस वर्ष खरीफ सीजन में अब तक 5463 करोड़ रुपये का फसल ऋण भी वितरित किया जा चुका है। प्रदेश में पूर्व के वर्षों में किसानों को जहाँ 15 से 16 प्रतिशत तक ब्याज दर पर फसल ऋण मिल पाता था, प्रदेश सरकार ने छोटे किसानों के हितों को देखते हुए वर्ष 2006-07 एवं वर्ष 2007-08 में 7 प्रतिशत, वर्ष 2008-09 एवं वर्ष 2009-10 में 5 प्रतिशत, वर्ष 2010-11 में 3 प्रतिशत तथा वर्ष 2011-12 में एक प्रतिशत ब्याज दर पर फसल ऋण उपलब्ध करवाने का निर्णय लिया। राज्य सरकार ने पिछले वर्षों में फसल ऋण की ब्याज दर में लगातार जो कमी की, उसके परिणाम किसानों द्वारा ऋण अदायगी में भी देखने को मिले हैं। अब सहकारी बैंकों की ऋण वसूली की दर भी बढ़ी है। वर्ष 2006-07 में जिलों बैंकों की वसूली 68.29 प्रतिशत थी जो बढ़कर वर्ष 2011-12 में 75.48 प्रतिशत हो गई। शून्य प्रतिशत ब्याज दर पर लिया गया फसल ऋण खरीफ सीजन में प्रति वर्ष 15 मार्च तक एवं रबी फसलों के लिए लिया गया ऋण प्रति वर्ष 15 जून तक 0 प्रतिशत की ब्याज दर पर अदा किए जा सकेंगे।

43 लाख से अधिक किसान के पास किसान क्रेडिट कार्ड

किसानों को कृषि कार्य के लिए आसानी से ऋण उपलब्ध करवाने के उद्देश्य से प्रदेश में 43 लाख 77 हजार किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड वितरित किए जा चुके हैं। इस वर्ष 4 लाख नए किसानों को क्रेडिट कार्ड वितरित किए जा रहे हैं। अब प्रदेश में अनुसूचित जाति-जनजाति वर्ग के सभी जरूरतमंद किसानों के साथ लगभग एक लाख 60 हजार वन भूमि पट्टाधारियों को भी क्रेडिट कार्ड उपलब्ध करवाए जा रहे हैं।

किसानों को रासायनिक उर्वरक और बीज का प्रदाय

सहकारी समितियों के माध्यम से किसानों को उत्तम क्वालिटी के रासायनिक खाद और बीज उपलब्ध करवाने के विशेष प्रयास किए जा रहे हैं। पिछले वर्ष किसानों को 24 लाख 23 हजार मीट्रिक टन रासायनिक उर्वरक उपलब्ध करवाया गया। राज्य सरकार ने मार्कफेड की प्रतिभूति राशि को भी बढ़ाया है। मार्कफेड ने इस वर्ष रासायनिक खाद का अग्रिम भण्डारण कर खाद की उपलब्धता सुनिश्चित की। राज्य सरकार ने किसानों को अग्रिम खाद उठाव के लिए प्रोत्साहन की दृष्टि से बिना ब्याज के ऋण पर खाद उठाने की सुविधा खरीफ सीजन में 1 मार्च से 31 मई तक एवं रबी सीजन में 1 अगस्त से 15 सितम्बर तक उपलब्ध करवाई है। सहकारिता के क्षेत्र में कार्यरत राज्य सहकारी बीज संघ इस वर्ष रबी सीजन 2012-13 में किसानों को 6 लाख 90 हजार क्विंटल प्रमाणित बीज उपलब्ध करवायेगा। खरीफ सीजन 2012 में 4 लाख 27 हजार प्रमाणित बीज उपलब्ध करवाया गया है। बीज संघ आने वाले तीन वर्ष में 20 हजार मीट्रिक टन क्षमता के बीज संसाधन संयंत्र-सह-गोदाम का निर्माण बालाघाट, सतना, दमोह, खरगोन, सीहोर, देवास और सागर में कर रहा है। इस कार्य पर 20 करोड़ की राशि खर्च की जायेगी।

सहकारी क्षेत्र में भण्डारण सुविधाओं का विस्तार

प्रदेश में भण्डारण क्षमता की कमी को दूर करने के लिए राज्य सरकार ने प्रदेश की 4526 प्राथमिक सहकारी समितियों को नि:शुल्क भूमि उपलब्ध करवाने का निर्णय लिया है। राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम की योजना के प्रथम चरण में 500 मीट्रिक टन के 200 गोदामों का निर्माण होना है। इसमें 50 प्रतिशत अनुदान का भी प्रावधान किया गया है। प्रदेश में वर्तमान में सहकारी क्षेत्र में 10 लाख मीट्रिक टन भंडारण क्षमता है। वर्ष 2012-13 में सहकारी क्षेत्र में 3 लाख 19 हजार 700 मीट्रिक टन नई भंडारण क्षमता निर्मित की जा रही है।

कस्टम हायरिंग सेंटर्स

प्रदेश के छोटे किसानों को कृषि के आधुनिक संयंत्र उपलब्ध करवाये जाने के उद्देश्य से प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियों एवं प्राथमिक विपणन सहकारी समितियों के 596 कस्टम हायरिंग सेंटर्स की स्थापना की गई है। इन सेंटर्स में 10 लाख रुपये मूल्य तक के कृषि उपकरण नि:शुल्क उपलब्ध करवाये गए हैं। साथ ही प्रति सेंटर 10 हजार का रिवाल्विंग फण्ड भी उपलब्ध करवाया गया है।

सहकारी बैंकों का कम्प्यूटरीकरण

प्रदेश के सहकारी बैंक आज के वैश्विक दौर में व्यावसायिक बैंकों से प्रतिस्पर्धा कर सकें इसके लिए सहकारी बैंकों में नाबार्ड के सहयोग से 31 दिसम्बर 2012 तक कोर बैंकिग लागू करने का निर्णय लिया गया है। वैद्यनाथन पैकेज के प्रावधानों के अंतर्गत राज्य की प्राथमिक सहकारी समितियों के कम्प्यूटरीकरण का कार्य भी तेजी से किया जा रहा है।

राज्य सरकार ने सहकारी बैंकों की माली हालात सुधारने पर भी विशेष ध्यान दिया है। पूर्व के वर्षों को देखें तो प्रदेश के अधिकांश जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक और अपेक्स बैंक हानि की स्थिति में थे। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने 7 नवंबर 2006 को केन्द्र सरकार और नाबार्ड के साथ एक एमओयू किया। इस एमओयू के बाद राज्य की प्राथमिक साख सहकारी संस्थाओं को अब तक 1147 करोड़ रुपये की सहायता दी जा चुकी है। केन्द्र सरकार के साथ किए गए एमओयू के मुताबिक 667 करोड़ की राशि प्राप्त होना बाकी है। राज्य सरकार द्वारा दूरदृष्टि से लिए गए निर्णय के फलस्वरूप पिछले वर्ष 2010-11 में अपेक्स बैंक ने 40 करोड़ 34 लाख रुपये एवं समस्त 38 जिला सहकारी बैंक द्वारा 170 करोड़ 32 लाख रुपये का लाभ अर्जित किया गया है।

कुल मिलाकर राज्य सरकार प्रदेश की अल्पकालीन सहकारी साख संस्थाओं को वित्तीय रूप से मजबूत करते हुए इन संस्थाओं के माध्यम से किसानों, ग्रामीण और कमजोर वर्ग के व्यक्तियों के आर्थिक उत्थान के लक्ष्य को हासिल करने की ओर अग्रसर है।

 

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