भोपाल, मार्च 2015/ राजस्व मंत्री रामपाल सिंह ने कहा है कि किसानों को राहत देने के मामले में मध्यप्रदेश शासन देश में सबसे आगे है। पिछले दस वर्ष में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में राज्य सरकार द्वारा किसानों के हित में राजस्व पुस्तक परिपत्र 6-4 में समय-समय पर संशोधन किये गये हैं। इन संशोधन के जरिये प्रदेश में प्राकृतिक आपदा राहत के प्रावधानों में से कोई प्रावधान ऐसा नहीं है, जिसमें उल्लेखनीय वृद्धि न की गई हो। अनेक प्रावधानों में तो दो गुना से लेकर दस गुना तक वृद्धि की गई है। अनेक नयी फसलों के नुकसान को राहत के दायरे में लाया गया।
श्री सिंह ने कहा कि प्रदेश में पहली बार अरहर और ईसबगोल की फसल को बारहमासी फसल के रूप में मान्य किया गया है। जन-हानि/अंग-हानि के मामलों को छोड़कर अन्य मामलों में उपखण्ड अधिकारी/तहसीलदार के वित्तीय अधिकारों में वृद्धि की गई है। पान-बरेजे आदि की हानि के लिये 25 से 50 प्रतिशत हानि होने पर 16 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर या 400 रुपये प्रति पारी और 50 प्रतिशत से अधिक हानि होने पर 25 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर या 625 रुपये प्रति पारी के मान से राहत प्रदान करने का प्रावधान किया गया है।
राजस्व पुस्तक परिपत्र 6-4 में किये गये संशोधन के परिप्रेक्ष्य में फसल हानि के मामलों में दी जाने वाली सहायता राशि के मापदण्ड में उल्लेखनीय वृद्धि की गई है। फलदार पेड़ और उन पर लगी फसलें आम, संतरा, नींबू के बगीचे, पपीता, केला, अंगूर, अनार आदि की फसलें तथा पान-बरेजे को छोड़कर सभी जगह उगाई जाने वाली फसलें, जिनके अंतर्गत सब्जी की खेती, तरबूज-खरबूज की खेती (डांगरवाड़ी) भी सम्मिलित है, चाहें वह नदी या खेतों के किनारे हो। इनकी हानि के लिये दी जाने वाली अनुदान सहायता में कुल खाते की धारित कृषि भूमि के आधार पर खातेदार कृषक की श्रेणी में लघु एवं सीमांत कृषक को जीरो हेक्टेयर से 2 हेक्टेयर कृषि भूमि धारित करने वाले खातेदार को 25 से 50 प्रतिशत फसल हानि होने पर वर्षा आधारित फसल के लिये 3500 रुपये प्रति हेक्टेयर, सिंचित फसल के लिये 6000 रुपये प्रति हेक्टेयर, बारहमासी बोवाई एवं रोपाई से 6 माह से अधिक कम अवधि में क्षतिग्रस्त होने पर 6000 रुपये प्रति हेक्टेयर के मान से राहत दिये जाने का प्रावधान है। पचास प्रतिशत से अधिक फसल क्षति होने पर वर्षा आधारित फसल के लिये 5500 रुपये प्रति हेक्टेयर, सिंचित फसल के लिये 10 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर और बारहमाही बुवाई-रोपाई से 6 माह से कम अवधि में क्षतिग्रस्त या प्रभावित फसल के लिये 9500 रुपये प्रति हेक्टेयर की सहायता दिये जाने का प्रावधान है। बारहमासी (पेरेनियल) बुवाई/ रोपाई से 6 माह से अधिक अवधि के बाद क्षतिग्रस्त/प्रभावित होने पर फसल के लिये 10 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर, सब्जी की खेती के लिये 10 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर और 50 प्रतिशत से अधिक फसल क्षति हानि पर बारहमाही बुवाई, रोपाई से 6 माह से अधिक अवधि के लिये क्षतिग्रस्त/प्रभावित फसल के लिये 13 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर, सब्जी की खेती के लिये 13 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर, सेरी कल्चर, ऐरी, शहतूत और टसर फसल के लिये 4000 रुपये प्रति हेक्टेयर तथा मूंग के लिये 5000 रुपये प्रति हेक्टेयर राहत राशि दी जायेगी।
राजस्व मंत्री के अनुसार लघु एवं सीमांत कृषक से भिन्न कृषक 2 हेक्टेयर से अधिक कृषि भूमि धारित करने वाले कृषक खातेदार को 25 से 50 प्रतिशत फसल क्षति होने पर वर्षा आधारित फसल के लिये 3000 रुपये प्रति हेक्टेयर और सिंचित फसल के लिये 4500 रुपये प्रति हेक्टेयर, बारहमासी बुवाई/रोपाई से 6 माह से कम अवधि में क्षतिग्रस्त/प्रभावित होने पर फसल के लिये 4500 रुपये प्रति हेक्टेयर, बारहमासी बुवाई/रुपाई से 6 माह से अधिक अवधि के बाद क्षतिग्रस्त होने पर 8000 रुपये प्रति हेक्टेयर, सब्जी की खेती के लिये 8000 रुपये प्रति हेक्टेयर अनुदान सहायता राशि दी जायेगी।
श्री सिंह ने बताया कि प्रदेश में इसी प्रकार 50 प्रतिशत से अधिक फसल क्षति होने पर दी जाने वाली अनुदान सहायता राशि में लघु एवं सीमांत कृषक से भिन्न कृषक 2 हेक्टेयर से अधिक कृषि भूमि धारित करने वाले खातेदार को वर्षा आधारित फसल के लिये 4000 रुपये प्रति हेक्टेयर, सिंचित फसल के लिये 7500 रुपये प्रति हेक्टेयर, बारहमासी बुवाई/रुपाई से 6 माह से कम अवधि में क्षतिग्रस्त या प्रभावित होने पर 9500 रुपये प्रति हेक्टेयर, बारहमासी बुवाई-रुपाई से 6 माह से अधिक अवधि के बाद क्षतिग्रस्त/प्रभावित होने पर फसल के लिये 10 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर और सब्जी की खेती के लिये 10 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर अनुदान सहायता राशि दिये जाने का प्रावधान है।
फलदार पेड़, उन पर लगी फसलें, आम, संतरा, नींबू के बगीचे, पपीता, केला, अंगूर, अनार आदि की फसलें तथा पान-बरेजे आदि की हानि के लिये फलदार पेड़ या उन पर लगी फसलों में 25 से 50 प्रतिशत फसल हानि होने पर 300 रुपये प्रति पेड़ और संतरा, नींबू के बगीचे, पपीता, केला, अंगूर, अनार आदि की फसलों पर 6000 रुपये प्रति हेक्टेयर, पान-बरेजे आदि की हानि के लिये 18 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर या 450 रुपये प्रति पारी के मान से अनुदान सहायता दिये जाने का प्रावधान है। पचास प्रतिशत से अधिक फसल हानि होने पर 400 रुपये प्रति पेड़, संतरा, नींबू के बगीचे, पपीता, केला, अंगूर, अनार आदि की फसलों पर 8500 रुपये प्रति हेक्टेयर, पान-बरेजे आदि की हानि के लिये 50 प्रतिशत से अधिक फसल हानि होने पर 28 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर या 700 रुपये प्रति पारी के मान से आर्थिक अनुदान सहायता दिये जाने का प्रावधान किया गया है।
प्रदेश में राजस्व पुस्तक परिपत्र 6-4 में संशोधन कर पशु-हानि के मामले में राहत राशि की संगणना के अनुसार एक प्रभावित परिवार को अधिकतम एक बड़े दुधारु पशु के लिये या चार छोटे दुधारु पशुओं के लिये या एक बड़े शुष्क (ड्राट) या दो छोटे शुष्क पशु के लिये सहायता राशि दी जा रही है।
इसी तरह भू-स्खलन अथवा नदियों द्वारा रास्ता बदलने पर किसी सीमांत या लघु कृषक के भूमि स्वामित्व की भूमि के नष्ट होने पर ऐसे प्रभावित कृषक को 25 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर के मान से सहायता राशि देय है। नष्ट हुए मकान के लिये अधिकतम 35 हजार रुपये के स्थान पर अधिकतम 70 हजार रुपये की सहायता राशि दी जा रही है। कच्चे मकान के लिये वास्तविक क्षति के आकलन के आधार पर 20 हजार रुपये की सहायता दी जाती है। कपड़ों, बर्तनों एवं खाद्यान्न क्षति के लिये 2000 रुपये के स्थान पर 5000 रुपये की सहायता दी जा रही है।