भोपाल, दिसंबर 2012/ किसान-कल्याण तथा कृषि विकास मंत्री डॉ. रामकृष्ण कुसमरिया ने विभागीय बैठक के दौरान कृषि अधिकारियों को जैविक खेती का अधिकतम लाभ किसानों तक पहुँचाने की प्रेरणा दी। किसी शिक्षक की तरह उन्होंने जैविक खेती विस्तार में रुचि लेकर कार्य करने वाले अधिकारियों के हाथ खड़े करवाये और उनके प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा कि जैविक खेती से भूमि की दशा में सुधार होने के साथ सूक्ष्मजीवियों की सक्रियता बढ़ती है। प्राकृतिक विकास के साथ मानव स्वास्थ्य की दृष्टि से भी जैविक खेती बहु-उपयोगी है। डॉ. कुसमरिया ने कहा कि उनके अपने खेत में यूरिया की जगह गौ-मूत्र तथा रासायनिक कीट नियंत्रण की जगह नीम व प्रकाश प्रपंच का प्रयोग करने का स्पष्ट लाभ मिला है।

उन्होंने कहा कि जैविक खेती से उत्पादन बढ़ता है और कृषि लागत में कमी आती है। इसलिये जैविक कृषि कार्यक्रम का विस्तार, कृषि को लाभ का धंधा बनाने के लिये जरूरी है। इसके लिये जैविक प्रमाणीकरण प्रक्रिया को और अधिक प्रभावी बनाना होगा। हाल ही में की गई विदेश यात्रा का अनुभव सुनाते हुए उन्होंने कहा कि हंगरी देश में जैविक खेती का विकास बहुत तेजी से हुआ है तथा यहाँ बीज उत्पादन भी जैविक विधि से ही किया जाता है।

इस अवसर पर प्रमुख सचिव श्री आर.के. स्वाई ने कहा कि प्रदेश के कई जिलों में ग्रामीण परम्परागत रूप से जैविक खेती कर रहे हैं। इनको चिन्हित कर जैविक प्रमाणीकरण का लाभ दिया जाना चाहिये। इसके लिये अनुदान योजना का लाभ किसानों को मिलना चाहिये। संचालक डॉ. डी.एन. शर्मा ने कहा कि पूरे देश में हमारे प्रदेश के जैविक कार्यक्रम को सम्मान दिया जाता है। कलकत्ता, बैंगलोर, नई दिल्ली तथा अन्य कई बड़े शहरों में हमारे कृषि मंत्री तथा जैविक कृषि विशेषज्ञों को व्याख्यान व मार्गदर्शन के लिये बुलाया गया। इसलिये प्रत्येक अधिकारी अपने कार्यक्षेत्र के कुछ गाँवों को पूर्ण जैविक ग्रामों के रूप में विकसित करे। जैविक उत्पादों का प्रमाणीकरण करवाने के लिये भी किसानों को हर-संभव सहायता दी जाये, जिससे कि वे जैविक खेती के लिये और अधिक प्रोत्साहित हो सकें।

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