मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने आज राज्यपाल के अभिभाषण पर कृतज्ञता ज्ञापन प्रस्ताव के उत्तर में कहा कि पिछले 10-12 वर्षों में मध्यप्रदेश ने हर क्षेत्र में चहुँमुखी प्रगति की है। उन्होंने वर्ष 2002-03 और आज की तुलना करते हुए कहा कि प्रदेश ने कृषि, सिंचाई, विद्युत उत्पादन, दुग्ध उत्पादन, सड़क निर्माण, स्वास्थ्य सेवाओं की आम नागरिकों तक पहुँच, शिक्षा सुविधाओं का विस्तार और गुणवत्ता वृद्धि, महिला सशक्तिकरण, अनुसूचित जाति, जनजाति, पिछड़े वर्ग, अल्पसंख्यक और अन्य कमजोर तबकों के कल्याण के आँकड़े उदृत करते हुए विपक्ष पर करारे प्रहार किये। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने आँकड़ों से प्रमाणित किया कि उनकी सरकार के द्वारा किये गये विकास कार्यों और पिछली सरकार के कार्यों में जमीन-आसमान का फर्क है।
श्री चौहान ने एक बार फिर मध्यप्रदेश को देश का अग्रणी राज्य बनाने का संकल्प दोहराया। उन्होंने कहा कि अगले पाँच सालों में किसानों की आय दोगुना करने के प्रधानमंत्री के संकल्प को साकार करने के लिये राज्य सरकार ने रोडमेप तैयार कर लिया है। इसके अनुसार कृषि और संबंधित क्षेत्र को मिलाकर नई रणनीति बनाई जायेगी। इसमें बागवानी, पशुपालन, शहद पालन, मछली-पालन, डेयरी जैसे कृषि सहायक क्षेत्रों को जोड़ा जायेगा।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि लगातार 8-10 वर्ष से विकास दर का डबल डिजिट में रहना और कृषि विकास दर 20 से 24 प्रतिशत तक पहुँचना प्रदेश की इस दशक की महत्वपूर्ण उपलब्धि है। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि कृषि को लाभदायी व्यवसाय बनाने के प्रयासों की सफलता के बाद उन्हें निरंतर रखते हुए अब प्रदेश में उद्योगों का जाल बिछाने की कोशिशें की जा रही है। उन्होंने कहा कि देशी-विदेशी निवेशकों का मध्यप्रदेश में विश्वास बढ़ा है। प्रदेश में बड़े उद्योगों के साथ ही कुटीर और छोटे उद्योगों को प्रोत्साहन देने के लिये नया विभाग बनाया जायेगा। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार का मानना है कि बढ़ती आबादी का सारा बोझ खेती-किसानी नहीं उठा सकती। इसलिए कौशल उन्नयन, कृषि सहयोगी क्षेत्रों को बढ़ावा देने और स्व-रोजगार योजनाओं पर फोकस किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री ने अभिभाषण पर चर्चा के दौरान प्रतिपक्षी सदस्यों द्वारा उठाये गये मुद्दों का बिन्दुवार उत्तर देते हुए राज्य सरकार की उपलब्धियाँ सामने रखीं। उन्होंने कहा कि किसानों के खेतों में सोलर ऊर्जा के पोल लगाने के संबंध में प्रतिपक्ष द्वारा उठाये गये मुद्दे का उचित संज्ञान लेकर आवश्यक कार्रवाई की जायेगी। श्री चौहान ने कहा कि प्रदेश के विकास के लिये धन की कोई कमी नहीं है। उन्होंने प्रतिपक्ष का आव्हान किया कि सरकार किसी भी दल की हो, कोशिश प्रदेश के सर्वांगीण विकास की होनी चाहिए। उन्होंने इस संबंध में प्रतिपक्ष का सहयोग भी माँगा।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने इस बात का पुरजोर खण्डन किया कि वर्तमान केन्द्र सरकार ने प्रदेश की सहायता राशि में कटौती की है। उन्होंने कहा कि केन्द्र ने राज्यों की राशि न केवल 32 प्रतिशत से बढ़ाकर 42 प्रतिशत कर दी है, बल्कि उसे राज्य की आवश्यकता के अनुरूप व्यय करने की स्वतंत्रता भी दी है, जो पहले नहीं थी।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने अपने उत्तर के प्रारंभ में कहा कि विपक्ष द्वारा प्रधानमंत्री के स्वागत पर हुए व्यय को लेकर की गई आपत्तियाँ उनकी समझ से परे है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री का स्वागत राज्य सरकार का कर्त्तव्य है। उन्होंने कहा कि उन्हें गर्व है कि प्रधानमंत्री ने अपनी महत्वाकांक्षी फसल बीमा योजना को जारी करने के लिये मध्यप्रदेश को चुना। उन्होंने नई फसल बीमा योजना को किसानों के हित में अभूतपूर्व कदम बताया।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि मध्यप्रदेश आज देश में विभिन्न क्षेत्रों में प्रथम स्थान पर है। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश कृषि विकास दर में, जैविक खेती के क्षेत्र में, दलहन उत्पादन, सोयाबीन, तिलहन, प्रमाणित बीज, चना, औषधि एवं सुगंधित फसलों के उत्पादन, लहसुन, अमरूद और मटर उत्पादन, पीपीपी मॉडल में स्टील सायलो की स्थापना, इलेक्ट्रानिक उपार्जन व्यवस्था, खेती के लिये प्रतिदिन 10 घण्टे गुणवत्तापूर्ण बिजली प्रदाय, पीपीपी मोड में देश में सबसे अधिक सड़कों का निर्माण, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में देश में सबसे ज्यादा सड़कों का निर्माण, दस्तावेजों के ऑनलाइन पंजीयन और ई-स्टॉम्पिंग, सबसे ज्यादा 3 शहरों का स्मार्ट सिटी का चयन, नि:शक्त विवाह प्रोत्साहन योजना लागू करने, बहु-विकलांग एवं मानसिक रूप से नि:शक्त व्यक्ति को आर्थिक सहायता देने की योजना प्रारंभ करने, मुख्यमंत्री कन्या विवाह/निकाह योजना लागू करने, लोक सेवा गारण्टी कानून बनाने, सीएम हेल्प लाईन जैसा कॉल सेन्टर प्रारंभ करने और स्थानीय निकायों में महिलाओं को 50 प्रतिशत आरक्षण देने में देश में प्रथम है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश की साख बढ़ने से बड़े और छोटे उद्योग आ रहे हैं। कॉटेज इण्डस्ट्री को भी महत्व दिया जा रहा है। लघु उद्योगों को बढ़ावा देने के लिये अलग मंत्रालय बनाया जायेगा। मुख्यमंत्री युवा उद्यमी योजना की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि युवाओं को अपना उद्योग शुरू करने के लिये आर्थिक सहायता दी जाती है। इस साल एक लाख युवाओं को सहायता दी जायेगी। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश के युवा प्रतिभाशाली, ऊर्जावान और क्षमतावान है, यदि उन्हें थोड़ा सहयोग मिल जायें तो वे टाटा, बिड़ला जैसे बड़े उद्योगपति बन सकते हैं।
केन्द्रीय बजट की सराहना करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि यह बजट गाँव और गरीबों का बजट है। राज्य सरकार ने संकल्प लिया है कि किसी भी गरीब को भूखा नहीं रहने देंगे। गरीबों और मजदूरों को एक रुपये किलो गेहूँ, चावल और नमक उपलब्ध करवाया जा रहा है। चाहे वह किसी भी योजना में पंजीकृत हो।
सबको आवास
श्री चौहान ने कहा कि ऐसे भूमिहीन गरीब परिवार जो शासकीय जमीन पर वर्षों रह रहे हैं उन्हें भूमि स्वामी का पट्टा दिया जायेगा। वन अधिकार अधिनियम के अंतर्गत 2 लाख 14 हजार आदिवासी परिवारों को पट्टे दिये गये हैं। दिसम्बर 2006 के पहले के सभी कब्जाधारी परिवारों के दावों का फिर से परीक्षण करने के निर्देश दिये गये हैं। उन्होंने कहा कि सबके लिये आवास का सपना साकार कर रहे हैं। इसके लिये ग्रामीण क्षेत्र में एक लाख की और शहरी क्षेत्र में ढाई लाख की आवास सहायता गरीबों को दी जायेगी।
मेधावी निर्धन बच्चों की शिक्षा के लिये नयी योजना बनेगी
शिक्षा के क्षेत्र में उठाये गये महत्वपूर्ण कदमों की चर्चा करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार में शिक्षा पूरी तरह ध्वस्त हो गई थी। कर्मीकल्चर था। पाँच सौ रुपये गुरुजी – शिक्षाकर्मियों का वेतन था। आज शिक्षाकर्मियों को अध्यापक बनाकर उन्हें छठवें वेतनमान का लाभ दिया जा रहा है। अनुसूचित जाति, जनजाति और पिछड़ा वर्ग के विद्यार्थियों के अलावा सामान्य वर्ग के विद्यार्थियों को भी स्कॉलरशिप देने का फैसला राज्य सरकार ने लिया है। अनुसूचित जाति, जनजाति के बच्चों की प्रायवेट इंजीनियरिंग और मेडिकल कॉलेज में लगने वाली फीस सरकार भरेगी, ताकि फीस न देने के कारण वे शिक्षा से वंचित न रहे। उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों की शिक्षा के लिये जल्दी ही ऐसी योजना बनाई जायेगी जिसमें निर्धन प्रतिभाशाली बच्चों की फीस राज्य सरकार भरेगी।
मुख्यमंत्री ने कृषि क्षेत्र में अभूतपूर्व प्रगति की चर्चा करते हुए कहा कि सिंचाई सुविधाएँ बढ़ने से यह संभव हुआ है। सरकार ने संकल्प लिया है कि हर किसान के खेत में पानी पहुँचाया जायेगा। हर भूमि का उपयोग अच्छी फसल के लिये किया जायेगा। उन्होंने कहा कि नर्मदा का पानी क्षिप्रा, गंभीर और कालीसिंध नदियों को जोड़ते हुए किसानों के खेतों में पहुँचाया जायेगा। उन्होंने कहा कि जीरो प्रतिशत पर कृषि ऋण देने जैसे उपायों के कारण कृषि उत्पादन अभूतपूर्व रूप से बढ़ा है।
श्री चौहान ने वर्ष 2003 में प्रदेश की विकास की स्थिति और वर्तमान में विकास के आँकड़े उदृत करते हुए बताया कि प्रदेश वर्ष 2003 में अत्यंत पिछड़ा राज्य था, आज देश के अग्रणी राज्यों में है। उन्होंने कहा कि विद्युत उत्पादन मात्र 5173 मेगावाट था, आज 16 हजार 116 मेगावाट हो गया है। सिंचाई का रकबा साढ़े सात लाख हेक्टेयर था, जो आज बढ़कर 36 लाख हेक्टेयर हो गया है। गेहूँ का उत्पादन मात्र 73.65 मीट्रिक टन था, जो आज 184.80 लाख मीट्रिक टन हो गया है। वर्ष 2018 तक विद्युत का उत्पादन 18 हजार मेगावाट हो जायेगा। सकल घरेलू उत्पाद 1,02,839 करोड़ था जो आज 5,08,006 करोड़ हो गया है।
उन्होंने कहा कि प्रदेश में कोई भी इलाज से वंचित नहीं रहने पाये इसके लिये नि:शुल्क उपचार, औषधियाँ, जाँच, भोजन आदि का वितरण शासकीय चिकित्सालयों में किया जा रहा है। अब कीमोथैरेपी और डॉयलेसिस की सुविधाएँ भी उपलब्ध करवाई गई हैं।
महिलाओं को अवसर दिया जाये तो चमत्कार कर सकती हैं। उनकी क्षमताओं का भरपूर उपयोग करने के लिये महिला स्व-सहायता समूहों के गठन को आंदोलन का रूप दिया जायेगा। महिला उद्यमियों को ब्याज में अतिरिक्त छूट की भी व्यवस्था की जा रही है। स्थानीय निकायों और शासकीय सेवाओं में भी आरक्षण दिया गया है।
सूखे के संकट से निपटने के लिये पर्याप्त तैयारियाँ की गई हैं। समूह पेयजल की अवधारणा पर कार्य करते हुए सरकार का प्रयास है कि माताओं, बहनों, बेटियों को हेण्डपम्प से पानी नहीं भरना पड़े, हर घर में नल से जल मिले।
उच्च शिक्षा के लिए धन की कमी नहीं होने दी जायेगी। प्रदेश की बड़ी जनसंख्या को उसकी ताकत बनाने के लिये युवाओं के हाथों को हुनरमंद बनाने का कार्य युद्धस्तर पर किया जा रहा है।
स्वच्छ भारत अभियान को सफल बनाने की दिशा में प्रदेश में तेजी से काम हो रहा है। इंदौर ग्रामीण और बुधनी क्षेत्र खुले में शौच से मुक्त ब्लॉक बन गये हैं।
शहरों की तस्वीर बदलने के लिये अगले 4 वर्षों में 75 हजार करोड़ रुपये व्यय किये जायेंगे। गाँव को स्मार्ट विलेज बनाया जायेगा। हर गाँव में कम से कम 15 लाख रुपये से अधिक की राशि व्यय होगी।
नर्मदा मैया के शुद्धिकरण के लिये 1500 करोड़ की राशि व्यय की जायेगी। मध्यप्रदेश में पर्यटन की समृद्ध सम्पदा है। इसका अधिकतम दोहन कर रोजगार के अधिक से अधिक अवसर निर्मित करने के लिये नये पर्यटन केन्द्र विकसित किये गये हैं। इस वर्ष पर्यटन वर्ष के रूप में मनाया जा रहा है। प्रदेश को पर्यटन का आदर्श डेस्टिनेशन बनाने का प्रयास है।
प्रदेश शांति का टापू बना रहे, इसके प्रभावी प्रयास किये गये हैं। कोई भी सूचीबद्ध दस्यु गिरोह संचालित नहीं है।
भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिये भ्रष्टाचारियों के विरूद्ध कठोर कार्यवाही और व्यवस्था में परिवर्तन कर भ्रष्टाचार की संभावनाएँ खत्म करने के कार्य किये गये हैं। लोक सेवा गारंटी कानून, ई-टेण्डरिंग, पेमेण्ट, मेजरमेण्ट की व्वयस्था और विशेष न्यायालयों का गठन किया गया है। यह व्यवस्था की गई है कि न्यायालय द्वारा एक वर्ष में निर्णय किया जाये, ताकि भ्रष्टाचारियों के विरूद्ध कठोर कार्यवाही त्वरित गति से की जा सके। उन्होंने सदन को आश्वस्त किया कि किसी भी भ्रष्टाचारी को बख्शा नहीं जायेगा।
सिंहस्थ के गरिमामय आयोजन की व्यवस्थाएँ की गई हैं। इस अवसर पर वैचारिक कुंभ का आयोजन भी किया जा रहा है। आयोजन के माध्यम से भारतीय संस्कृति की सदभावना, सहअस्तित्व और विश्व कल्याण का संदेश दुनिया में प्रसारित होगा।