भोपाल, जुलाई 2014/ मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने कहा है कि कांग्रेस सरकार के समय भरतियों को लेकर कोई नियम प्रक्रिया नहीं थी। मनमाने ढंग से भरतियां होती थीं। भाजपा सरकार ने भरती प्रक्रिया को ठीक करने और पारदर्शी बनाने की कोशिश की है। उन्होंने कहा कि पूर्व में मनमाने ढंग से हुई भरतियों की जांच कराई जाएगी। इसके सथ ही व्यापमं की संपूर्ण तौर पर पुनर्रचना की जाएगीऔर नया व्यापमं अधिनियम विधानसभा के वर्तमान बजट सत्र में ही लाया जाएगा। प्रतियोगी परीक्षाओं की रिकास्टिंग की जाएगी।
मुख्यमंत्री गुरुवार को विधानसभा में व्यापमं मामले में विपक्ष के स्थगन प्रस्ताव पर चर्चा का लिखित जवाब देने के बाद परिसर में ही स्थित सभागृह में भाजपा विधायकों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि व्यापमं मामला कांग्रेस ने नहीं बल्कि शिवराजसिंह की सरकार ने पकड़ा है और नौजवानों के भविष्य को देखते हुए मामले की तुरंत जांच के निर्देश दिए गए। 20 जून 2013 को एक गुमनाम पत्र के माध्यम से मेडिकल परीक्षाओं में गड़बड़ी की शिकायत मिलने के बाद इंदौर पुलिस ने फर्जी परीक्षार्थियों को पकड़ा। राज्य सरकार ने खुद आगे बढ़कर इस पूरे प्रकरण की गहराई से जांच करने के निर्देश दिए। इसके बाद पूरी जांच एसटीएफ को देने का निर्णय किया गया। कोई भी अपराधी छोड़ा नहीं गया है और एसटीएफ की जांच जारी है। जांच पर सवाल उठाने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार ने बिना समय गंवाए जांच के निर्देश दिए, एसटीएफ द्वारा जांच प्रामाणिकता से की जा रही है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पूरी जांच हाईकोर्ट की देखरेख में हो रही है। भरती परीक्षाओं में गड़बड़ी के अब तक 299 मामले सामने आए हैं। कांग्रेस द्वारा झूठे और निराधार आरोप लगाकर मेरे परिवार पर कीचड़ उछालने की कोशिश की गई है। इन आरोपों का कोई प्रमाण नहीं है। देशभक्ति और कर्मठता का पाठ सिखाने वाले राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ और स्व. सुदर्शनजी का नाम लेने की साजिश कर मामले को भटकाने की कोशिश की गई है। आठ साल पहले दिवंगत हो गए मेरे मामा पर आरोप लगाने का घिनौना काम किया गया। यह सब सोनिया गांधी और राहुल गांधी के इशारे पर हो रहा है। कांग्रेस इस मुद्दे पर भ्रम की स्थिति पैदा कर रही है। कांग्रेस के जमाने में तो हैंडपंप मैकेनिक तक को शिक्षक बना दिया गया था। उस समय तो बिना किसी प्रक्रिया के नौकरी लग जाती थी। पुलिसकर्मियों की भरती के मापदंडों की घोर अनदेखी होती थी। हमने भरती की पारदर्शी प्रक्रिया अपनाई।
मुख्यमंत्री ने कहा कि मेरा तीसरी बार मुख्यमंत्री बनना कांग्रेस को सहन नहीं हो पा रहा है। इसलिए ऐसे अनर्गल आरोप लगाए जा रहे हैं। प्रदेश सरकार नौजवानों की जिंदगी से खिलवाड़ नहीं होने देगी। कांग्रेस के शासन में बिना नियम प्रक्रिया के अपने लोगों को स्थाई नौकरी दे दी गई थी। कनिष्ठ सेवा चयन बोर्ड को भी भंग कर दिया गया था। पहले पटवारी की भरती जिला स्तर पर कलेक्टर के द्वारा होती थी, हमने ऑनलाइन परीक्षा ली और आज तक एक भी शिकायत नहीं आई। पहले शिक्षाकर्मियों की भरती जिला पंचायत और जनपद पंचायत अध्यक्षों द्वारा की जाती थी। हमने संविदा शिक्षक परीक्षा से भरती की। रोजगार सहायकों को मेरिट के आधार पर पारदर्शी प्रक्रिया से भरती किया गया। पहले नगर पालिकाओं और नगर सुधार न्यास में अध्यक्ष नियुक्तियां कर लेते थे। पीएमटी परीक्षा का कंप्यूटराइजेशन किया गया। वर्ष 2014 से इनमें प्रवेश ऑल इंडिया प्रवेश परीक्षा के माध्यम से हो रहा है। हमने कांग्रेस सरकार के भ्रष्टाचार को रोकने की कोशिश की। जो भी गड़बड़ी हुई है उस पर कार्रवाई की गई है। जांच हर हालत में जारी रहेगी। मध्यप्रदेश की समृद्धि और विकास के लिए हमने रोडमैप बनाया है। उसे पूरा करने का संकल्प है। मध्यप्रदेश के विकास में हम कोई बाधा नहीं आने देंगे। जनता के बीच सचाई को उजागर किया जाएगा।
उधर नेता प्रतिपक्ष सत्यदेव कटारे ने मुख्यमंत्री के आरोपों पर टिप्पणी करते हुए मीडिया से कहा कि सरकार यदि कांग्रेस शासन के कामकाज की जांच कराना ही चाहती है तो शौक से करा ले लेकिन व्यापमं सहित दोनों मामलों की सीबीआई जांच की घोषणा एक साथ होनी चाहिए। सदन में मुख्यमंत्री को अपना भाषण न करने देने के कांग्रेसी विधायकों के रवैये पर कटारे ने कहा कि मुख्यमंत्री विषय से हटकर बात करना चाहते थे इसलिए हमने उनकी बात नहीं सुनी। हम सदन की कार्यवाही में पूरा सहयोग देने को तैयार हैं।