भोपाल: मध्यप्रदेश सरकार ने गौण खनिज की लीज देने का अधिकार कलेक्टरों को सौंपने का फैसला किया है। इसके साथ ही अब अवैध खनन के मामले में तहसीलदार और नायब तहसीलदारों को भी जांच के अधिकार दिए जा रहे हैं। प्रदेश में खनन नीति भी वैज्ञानिक आधार पर तय की जाएगी। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने खनिज विभाग की समीक्षा के दौरान निर्देश दिये हैं कि अवैध खनन को सख्ती से रोका जाय। खनिज नीति बनाते समय नदी की सुरक्षा, पर्यावरण संरक्षण, रोजगार, अवैध उत्खनन एवं विकास सहित अन्य सभी पहलुओं पर व्यापक विचार किया जाय। बैठक में खनिज राज्य मंत्री राजेन्द्र शुक्ला, मुख्य सचिव आर.परशुराम भी मौजूद थे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में 26 हजार करोड़ स्र्पए लागत की सड़कें बन रही हैं। अधोसंरचना विकास के अन्य काम भी चल रहे हैं। इनके लिए समय पर रेत, मुरम, गिट्टी आदि मिलना जरूरी है। जो लोग ईमानदारी से काम कर रहे हैं वे परेशान न हों। विकास कार्यों के लिये माइनिंग की जरूरी लीज में देरी नहीं होनी चाहिए।
खनिज सचिव एवं खनिज विकास निगम के प्रबंध संचालक शैलेन्द्र सिंह ने बताया कि गौण खनिज की जरूरत का प्रस्ताव मिलने के एक दिन के भीतर लीज देने की व्यवस्था की जा रही है। लीज के अधिकार कलेक्टरों को दिये जा रहे हैं। अवैध उत्खनन पर प्रभावी कार्रवाई के लिये तहसीलदार तथा नायब तहसीलदारों को भी जाँच के अधिकार देने का प्रस्ताव है।