भोपाल, मार्च 2015/ कर्त्तव्य की लागत लगाकर अधिकार अर्जित करें। गोवा की राज्यपाल श्रीमती मृदुला सिन्हा ने यह बात हिन्दी भवन में वसंत व्याख्यान-माला में कही। उच्च एवं तकनीकी शिक्षा मंत्री उमाशंकर गुप्ता ने कहा कि वक्ताओं द्वारा रखे गये विचारों पर सकारात्मक कदम उठाये जायेंगे।

राज्यपाल श्रीमती सिन्हा ने कहा कि शोध के लिये जरूरी है कि गाँव-गाँव और घर-घर जाकर अध्ययन किया जाये। सिर्फ ग्रंथों पर लिखी बातों के आधार पर शोध सम्पूर्ण नहीं होगा। वकालत स्वतंत्रता की होना चाहिये, स्वच्छंदता की नहीं।

श्रीमती सिन्हा और मंत्री श्री गुप्ता ने वर्ष 2014 के नरेश मेहता स्मृति सम्मान से प्रो. रामेश्वर मिश्र पंकज, शैलेश मटियानी स्मृति कथा पुरस्कार से कथाकार श्री भालचन्द्र जोशी, वीरेन्द्र तिवारी स्मृति रचनात्मक पुरस्कार से श्री हरीश अड्यालकर और डॉ. सुरेशचन्द्र शुक्ल ‘चन्द्र’ नाट्य पुरस्कार से वरिष्ठ रंगकर्मी श्रीमती वैशाली गुप्ता को सम्मानित किया।

श्रीमती मृदुला सिन्हा ने म.प्र. राष्ट्रभाषा प्रचार समिति के प्रकाशन ‘मंथन’, डॉ. प्रतिभा गुर्जर की दो कृतियों ‘प्रवाह’ और ‘छायावादोत्तर’ हिन्दी कविता, श्री चन्द्रप्रकाश जायसवाल के ऐतिहासिक उपन्यास ‘कर्मयोगी’, आदिवासी कवियित्री कुमारी अन्ना माधुरी तिर्की के काव्य संग्रह ‘उस स्त्री की तरह’, श्री एम.डी. मिश्र आनंद के काव्य संग्रह ‘पंख’ और श्री संतोष परिहार का उपन्यास ‘समय याद रखना’, श्री राजेन्द्र शर्मा की कृति ‘पीर पर्वत की’ का लोकार्पण कर रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनाएँ दीं।

वसंत व्याख्यान-माला में दो विषय पर अतिथि वक्ताओं ने विचार रखे। प्रो. शंकर शरण ने ‘भारतीय इतिहास : शोध की दिशा’ विषय पर व्याख्यान दिया। डॉ. कुसुमलता केडिया ने भी अपने विचार रखे। राष्ट्रभाषा प्रचार समिति के संचालक कैलाश चन्द्र पंत ने संस्था के विमर्श कार्यक्रमों पर प्रकाश डाला। इस मौके पर पूर्व मुख्यमंत्री कैलाश जोशी, साहित्य-प्रेमी तथा सुधी श्रोता उपस्थित थे।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here