भोपाल, मार्च 2015/ चिकित्सा एवं अभियांत्रिकी के पाठ्यक्रम नहीं केवल उनकी भाषा बदलना है। इससे पाठ्यक्रम की गुणवत्ता में कोई अंतर नहीं पड़ेगा। उच्च एवं तकनीकी शिक्षा मंत्री श्री उमाशंकर गुप्ता ने यह बात चिकित्सा एवं अभियांत्रिकी पाठ्य सामग्री लेखन कार्यशाला के समापन पर कही।
श्री गुप्ता ने कहा कि पुस्तकों के अनुवाद में नेशनल ट्रांसलेशन मिशन का भी सहयोग लें। वर्तमान में चिकित्सा एवं अभियांत्रिकी पाठ्यक्रम की हिन्दी में उपलब्ध पुस्तकों की सूची बनायी जाये। इसके बाद जिन पुस्तकों का अनुवाद नहीं हुआ है, उनका चयन करें। सभी पुस्तकों का अनुवाद एक साथ नहीं कर वर्षवार करें। सबसे पहले चिकित्सा शिक्षा के प्रथम वर्ष के पाठ्यक्रम एनॉटामी और फिजियोलॉजी का अनुवाद करवायें। मुख्यमंत्री द्वारा अन्य प्रदेशों के मुख्यमंत्री को भी इस कार्य में सहयोग के लिए पत्र लिखवाया जायेगा।
उच्च शिक्षा मंत्री ने कहा कि मेडिकल कॉलेज में भी व्यक्तित्व विकास प्रकोष्ठ खोले जायें। इस पर आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय के कुलपति डी.पी. लोकवानी ने कहा कि इस संबंध में तुरन्त कार्यवाही करेंगे। श्री लोकवानी ने विभिन्न चरण में किये जाने वाले कार्यों की जानकारी दी।
अटल बिहारी वाजपेयी हिन्दी विश्वविद्यालय के कुलपति मोहनलाल छीपा, तकनीकी शब्दावली आयोग के अध्यक्ष प्रो. के.एल. वर्मा, संचालक हिन्दी ग्रंथ अकादमी सुरेन्द्र बिहारी गोस्वामी ने भी विचार व्यक्त किये। बिहार हिन्दी ग्रंथ अकादमी के संचालक दिनेशचन्द्र झा ने उपलब्ध पुस्तकों के बारे में जानकारी दी। इस मौके पर विभिन्न प्रदेश से आये हिन्दी ग्रंथ अकादमी के संचालक उपस्थित थे।