भोपाल, सितम्बर 2014/ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि केवल विकास दर बढ़ाने से काम नहीं चलेगा। विकास का लाभ प्रत्येक प्रदेशवासी को मिलना चाहिये। सुशासन का अर्थ ऐसी राज्य व्यवस्था बनाना है जिसमें हर व्यक्ति शरीर, मन, बुद्धि, आत्मा से सुखी हों। मुख्यमंत्री यहाँ प्रशासन अकादमी में मंथन-2014 के उदघाटन सत्र को संबोधित कर रहे थे। इस तीसरे मंथन की थीम ‘सुशासन’ निर्धारित की गयी है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य शासन द्वारा वर्ष 2007 और वर्ष 2009 में आयोजित किये गये मंथन के बेहतर परिणाम मिले हैं। इनसे प्राप्त सुझावों के आधार पर कई प्रशासनिक सुधार किये गये तथा नई योजनाएँ प्रारंभ की गयीं। मंथन के पीछे कोई सतही सोच नहीं है। यह टीम मध्यप्रदेश का प्रदेश की जनता को बेहतर सुविधाएँ देने का गंभीर प्रयास है। मंथन का उद्देश्य सुशासन के माध्यम से जनता को बेहतर सुविधाएँ देने वाली व्यवस्था बनाना है। साम्यवाद, समाजवाद, पूँजीवाद आदि सभी विचारधाराओं के मूल में यह है कि मनुष्य को सुखी कैसे बनाया जाये परंतु भारतीय विचारधारा इससे आगे जाकर मनुष्य को निरोगी, सुखी और मनुष्य के कल्याण की बात करती है। भारतीय चिंतन में शरीर, मन, बुद्धि और आत्मा के सुख की बात कही गयी है। शासन व्यवस्था ऐसी होना चाहिये जिसमें लोगों को अपने मन की प्रवृत्ति के अनुरूप काम करने का मौका मिले। आत्म-संतोष मिलने से जीवन सार्थक होता है।

श्री चौहान ने कहा सुशासन वही है जिसमें गुणवत्तापूर्ण कार्य समय-सीमा में और पारदर्शिता से हो। राज्य सरकार के लिये खेती को लाभ का धंधा बनाने, गाँवों में लघु और कुटीर उद्योगों का जाल बिछाने, महिला सशक्तिकरण, कौशल विकास, ग्रामीण और शहरी विकास, बेहतर कानून व्यवस्था, कुपोषण पर रोक सुशासन के हिस्से हैं। इसी तरह व्यक्ति को भटकाव से बचाने के लिये हाल ही में लिया गया शपथ-पत्र अनिवार्यता समाप्त करने का निर्णय भी सुशासन का अंग है। आम लोगों की छोटी-छोटी कठिनाइयों को दूर करने के लिये आधुनिक तकनीक का उपयोग होना चाहिये। करों का संग्रहण मधुमक्खी की तरह होना चाहिये, जो फूल से शहद तो लेती है पर फूल मुर्झाता नहीं। हमारी आकांक्षा मध्यप्रदेश को समृद्धशाली और विकसित राज्य बनाने की है। हम ऐसी व्यवस्था चाहते हैं जिसमें सामान्य से सामान्य व्यक्ति को भी शासन व्यवस्था का समान रूप से लाभ मिले। इस मंथन का आयोजन भी इसी उद्देश्य से किया जा रहा है कि इससे प्राप्त अमृत से मध्यप्रदेश का जन-जीवन सुखी हो।

मुख्यमंत्री ने सभी सात समूह में जाकर वहाँ चल रहे मंथन, विचार-विमर्श को गहराई से देखा। कुछ समूहों की चर्चा चुपचाप पीछे बैठकर देखी-समझी। कुछ समूहों की चर्चा में पहुँचकर अपने सुझाव भी दिये। सभी समूहों से संबंधित विभागों के मंत्री भी विचार-विमर्श में शामिल हुए। सभी समूहों में खुल कर चर्चा हुई। नयी योजनाओं के सुझाव दिये गये। कुछ प्रचलित योजनाओं को और अधिक व्यवहारिक बनाने के सुझाव भी मंथन में दिये गये। समूहों में हुई चर्चा के निष्कर्षों की प्रस्तुति 28 सितम्बर को की जायेगी। सुशासन को मजबूत करने वाले जनोपयोगी तथा व्यवहारिक सुझावों को अमल में लाने के लिये तदनुसार योजनाओं, नियम, प्रक्रिया में सुधार किये जायेंगे।

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