भोपाल, जून 2015/ मध्यप्रदेश के ग्रामीण अंचलों में जिला गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम और म.प्र. राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के जरिये महिलाओं के सामाजिक और आर्थिक सशक्तिकरण की दिशा में महत्वपूर्ण सफलताएँ हासिल हुई हैं। प्रदेश में अब तक एक लाख से अधिक महिला स्व-सहायता समूहों का गठन कर करीब 11 लाख 81 हजार परिवार को जोड़ा गया है। यह समूह विभिन्न आजीविका गतिविधियों से सदस्यों को जोड़कर उनके आर्थिक उत्थान में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
प्रदेश में स्व-सहायता समूहों से जुड़े करीब एक लाख ग्रामीण हितग्राही परिवारों की वार्षिक आय बढ़कर एक लाख रुपये से अधिक हो चुकी है। कई महिला हितग्राही अब 10 हजार रुपये से अधिक की मासिक आय अर्जित कर रही है। सालाना एक लाख रुपये से अधिक की आय हासिल करने वाले गरीब परिवार की सफलता से अन्य हितग्राहियों को भी प्रेरणा मिल रही है।
पंचायत एवं ग्रामीण विकास तथा सामाजिक न्याय मंत्री गोपाल भार्गव ने बताया कि राज्य में 81 हजार 884 स्व-सहायता समूहों को आजीविका के लिये बेंकों से 894 करोड़ रुपये की ऋण सहायता मुहैया करवाई जा चुकी है। जिला गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम और म.प्र. राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के जरिये हितग्राही परिवारों की गरीबी को दूर कर उनके आर्थिक उत्थान के प्रयास अब सफल हो रहे हैं। स्व-सहायता समूहों की मदद से गरीब ग्रामीण महिलाएँ न सिर्फ अपने परिवार की तकदीर बदल रही हैं, वरन वे समाज में भी नया बदलाव ला रही हैं। ग्रामीण महिलाएँ अब घरों से बाहर निकलकर आजीविका गतिविधियों के अलावा सामाजिक कार्यों में भी बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रही हैं।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की मंशा के अनुरूप खेती को लाभ का धंधा बनाने और आजीविका संवर्धन के लिये स्व-सहायता समूहों की मदद से खेती के आधुनिक तरीकों को भी बढ़ावा दिया जा रहा है। इससे जहाँ कृषि उत्पादन बढ़ाने में मदद मिली है, वहीं हितग्राही परिवारों की आय में भी इजाफा हुआ है। स्व-सहायता समूहों के जरिये एक लाख 39 हजार हितग्राही कृषक परिवारों को व्यवसायिक सब्जी उत्पादन से जोड़ा गया है। प्रदेश में समूहों द्वारा उत्पादित सब्जियों एवं कृषि उत्पादन के विक्रय के लिये 141 आजीविका फ्रेश संचालित हो रहे हैं। महिला किसान सशक्तिकरण परियोजना के जरिये महिला हितग्राहियों को कृषि के आधुनिक तौर-तरीके और जैविक खेती का प्रशिक्षण मुहैया करवाया जा रहा है। करीब 33 हजार 700 हितग्राहियों द्वारा एसआरआई पद्धति से धान का उत्पादन किया जा रहा है। धान उत्पादन में वैज्ञानिक तरीके को अपनाने से धान उत्पादन में तीन गुना से अधिक की बढ़ोत्तरी हुई है।
श्री भार्गव ने बताया कि प्रदेश में 7738 ग्राम संगठन भी बनाये गये हैं। राज्य में 52 हजार 500 से अधिक स्व-सहायता समूह इन ग्राम संगठनों के सदस्य बन चुके हैं। स्व-सहायता समूह आजीविका गतिविधियों के साथ-साथ गाँव की दशा और दिशा बदलने में भी मदद कर रहे हैं। ये समूह गाँव में स्वच्छता और शौचालय निर्माण तथा स्वास्थ्य सुधार की गतिविधियों के साथ-साथ महिलाओं की साक्षरता, नेतृत्व विकास, नशाबंदी, बाल-विवाह, बालिका भ्रूण हत्या की रोकथाम, पर्यावरण संरक्षण एवं नल-जल योजनाओं के संचालन जैसे सामुदायिक विकास कार्यों में भी भागीदारी निभा रहे हैं।