बिजली अब विकास का पर्याय है। बिजली सिर्फ मनुष्य की सुख-सुविधाओं में वृद्धि के लिए ही नहीं बल्कि औद्योगिक एवं कृषि विकास के लिए भी उतनी ही जरूरी है। मध्यप्रदेश की सरकार ने इसका महत्व बखूबी समझा और इसका उत्पादन बढ़ाने के लिये हर-संभव प्रयास किये। विगत 9 वर्ष में स्टेट सेक्टर में 3,162 मेगावॉट क्षमता वृद्धि की गयी। वर्तमान में प्रदेश की कुल स्थापित क्षमता 9458 मेगावॉट है। इस क्षमता में केन्द्रीय उपक्रमों की 2940 मेगावॉट क्षमता भी सम्मिलित है।
इस वित्तीय वर्ष के प्रथम छः मास में गत वर्ष की तुलना में 10 प्रतिशत अधिक विद्युत प्रदाय की गयी। यही नहीं 21 अक्टूबर को 8640 मेगावॉट अधिकतम माँग की पूर्ति की गयी, जो प्रदेश के इतिहास में सर्वाधिक है।
बिजली उत्पादन में वृद्धि
वर्ष 2003 के 4673 मेगावॉट की तुलना में वर्ष 2012 में स्थापित क्षमता 9458 मेगावॉट हो गई है। पूर्व के दस वर्ष में 859 मेगावॉट क्षमता वृद्धि की गई थी। माह दिसम्बर, 2003 के बाद की गई क्षमता वृद्धि पूर्व के वर्षों की क्षमता वृद्धि से अधिक है। राज्य शासन द्वारा विद्युत उत्पादन परियोजनाओं के निर्माण में चालू माली साल में उत्पादन केन्द्रों के नवीनीकरण एवं सुदृढ़ीकरण के लिये 49 अरब 54 करोड़ रुपये व्यय किये जायेंगे।
आगामी तीन वर्ष में 6,679 मेगावॉट क्षमता वृद्धि का कार्यक्रम है। विद्युत क्षमता वृद्धि के लिये विद्युत उत्पादन परियोजनाओं में निवेश के लिये नई नीति जारी की गई है। निजी क्षेत्र द्वारा परियोजना स्थापित किये जाने पर प्रदेश को 5 से 10 प्रतिशत वेरियेबल दर पर विद्युत प्राप्त होने के साथ-साथ 30 प्रतिशत विद्युत प्राप्ति का प्रथम अधिकार होगा। इस नीति के जरिये कुल 64 हजार 570 मेगावॉट के 43 समझौता ज्ञापन हस्ताक्षरित हुए हैं।
लगातार ज्यादा विद्युत प्रदाय
प्रदेश के संभागीय, जिला, तहसील मुख्यालय तथा ग्रामीण क्षेत्र में गत तीन वर्ष में लगातार निर्धारित अवधि से अधिक विद्युत प्रदाय किया गया। साथ ही विगत तीन वर्ष में विद्युत प्रदाय की स्थिति में सुधार लाकर प्रत्येक वर्ष की तुलना में ज्यादा विद्युत उपभोक्ताओं को दी गई। पिछले माली साल में गत वर्ष की तुलना में 11 प्रतिशत अधिक विद्युत दी गयी। इस वित्तीय वर्ष के प्रथम त्रैमास में गत वर्ष की तुलना में 12 प्रतिशत अधिक विद्युत दी गई। चालू माली साल में 43 हजार 46 मिलियन तथा अगले माली साल में 52 हजार 148 मिलियन यूनिट विद्युत प्रदाय के लक्ष्य की पूर्ति के लिये इन दो वर्ष में लगभग 5 हजार मेगावॉट उत्पादन क्षमता बढ़ाने पर कार्य किया जा रहा है।
पिछले माली साल में 42 हजार 931 मिलियन यूनिट दी गई, जो वर्ष 2002-03 में दी गई 27 हजार 94 मिलियन यूनिट से 58 प्रतिशत अधिक है। इसी अवधि में 8546 मेगावॉट अधिकतम माँग की पूर्ति की गई, जो वर्ष 2002-03 में 4652 मेगावॉट अधिकतम बिजली की माँग की आपूर्ति से 84 प्रतिशत ज्यादा है।
विद्युत हानियों में कमी
प्रदेश में विद्युत क्षेत्र की वित्तीय स्थिति में सुधार के लिये विद्युत वितरण कम्पनियों द्वारा तकनीकी एवं वाणिज्यिक हानियों में कमी लाने के लिये व्यापक कार्यवाही की जा रही है। विजिलेंस चेकिंग, घरों के बाहर मीटर स्थापित किये जाने की कार्यवाही के साथ बड़े पैमाने पर पूँजीगत कार्य किये जा रहे हैं। उल्लेखनीय है कि प्रदेश में ट्रांसमिशन हानियों का स्तर मात्र 3.51 प्रतिशत है, जो देश की न्यूनतम हानियों में है। वर्ष 2002-03 में ट्रांसमिशन हानियों का स्तर 7.93 प्रतिशत था, जिसकी तुलना में 4.42 प्रतिशत की कमी हुई है।
पिछले माली साल में ए टी एण्ड सी हानियों का स्तर 31.62 प्रतिशत रहा, जो वर्ष 2003-04 में 49.55 प्रतिशत था। इन हानियों में 18 प्रतिशत की कमी लाई गई। वर्ष 2003-04 में उपभोक्ताओं की संख्या 64 लाख 43 हजार से बढ़कर करीब 97 लाख हो गई है। यह लगभग पचास प्रतिशत की वृद्धि है।
राजस्व संग्रहण में वृद्धि
विद्युत वितरण कम्पनियों द्वारा पिछले माली साल में 11 हजार 521 करोड़ का राजस्व संग्रहीत किया गया। माह मार्च का 1,233 करोड़ का राजस्व प्रदेश के इतिहास में सर्वाधिक है। यह समग्र तकनीकी तथा वाणिज्यिक हानियों में कमी तथा बिजली उपभोक्ताओं से पुरानी बकाया वसूली के लिये विभिन्न समाधान योजनाओं के लागू किये जाने से हासिल हुई। वर्तमान वित्तीय वर्ष के अप्रैल से जुलाई माह की चार माह की अवधि में 4,242 करोड़ रुपये का राजस्व संग्रहण किया गया जो पिछले वर्ष की तुलना में 779 करोड़ रुपये अधिक है। राजस्व संग्रहण में वृद्धि के साथ-साथ एटी एण्ड सी हानियों में कमी लाने से राजस्व प्रति यूनिट में भी लगातार इजाफा हुआ है। पिछले माली साल में पूर्व वर्ष की तुलना में 23 प्रतिशत अधिक 11 हजार 521 करोड़ का अधिक राजस्व संग्रहण किया गया। वृद्धि का यह प्रतिशत 23 रहा। वर्ष 2010 तथा 2011 में 9,399 करोड़ का राजस्व संग्रहण हुआ था, जो वृद्धि का 26 प्रतिशत था।
फीडर सेपरेशन
प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों के घरेलू उपभोक्ताओं को लगातार 24 घंटे तथा कृषि कार्य के लिये 8 घंटे नियमित तथा गुणवत्तापूर्ण विद्युत प्रदाय के लिये लागू फीडर विभक्तिकरण योजना का कार्य भी प्रगति पर है। अब तक 2,069 फीडरों का विभक्तिकरण किया जाकर 10 हजार 740 गाँव को लाभान्वित किया गया है। प्रदेश में कुल 6,262 फीडर का विभक्तिकरण किया जाना है। इसके लिये वित्तीय संस्था आर.ई.सी. से 1721 करोड़ तथा एडीबी से 1944 करोड़ का ऋण लिया गया है। माह दिसम्बर, 2012 तक 5,197 तथा मार्च, 2013 तक सभी 6,262 फीडर के विभक्तिकरण का लक्ष्य है।
ट्रांसफार्मर मैनेजमेंट सिस्टम लागू
राज्य शासन ने आगामी रबी मौसम से एस.एम.एस. आधारित ट्रांसफार्मर मैनेजमेंट सिस्टम लागू करने का निर्णय लिया है। अब किसानों द्वारा एस.एम.एस. के माध्यम से खराब ट्रांसफार्मर बदलवाये जा सकेंगे। रबी मौसम में ट्रांसफार्मर खराब होने की प्रथम सूचना संबंधित अधिकारियों को समय से न मिलने के कारण कृषकों की शिकायत बनी रहती थी कि उनके खराब ट्रांसफार्मर समय से एवं वरीयता क्रम में नहीं बदले जा रहे। शासन द्वारा इस कमी को दूर करने के लिये ट्रांसफार्मर मैनेजमेंट सिस्टम लागू करने का निर्णय लिया है।
किसानों के लिये पम्प अनुदान योजना
राज्य शासन किसानों के हितों की रक्षा के लिये कृत-संकल्पित है। शासन द्वारा कृषकों की सुविधा के लिये उन्हें नये सिंचाई पम्प कनेक्शन के लिये स्वयं का ट्रांसफार्मर स्थापित करने की योजना 4 मई, 2011 से शुरू की गई है। इस योजना से अभी तक 4,348 कृषक लाभान्वित हुए हैं। इसके अलावा राज्य शासन द्वारा कृषकों को स्थाई विद्युत पम्प कनेक्शन देने के लिये अनुदान योजना लागू की है। इस योजना में 3 हार्स-पॉवर या उससे अधिक क्षमता के स्थाई कनेक्शन लेने वाले लघु तथा सीमांत कृषकों को 5,500 रुपये प्रति हार्स-पॉवर की दर से तथा अन्य कृषकों को 8,800 रुपये प्रति हार्स-पॉवर की दर से अग्रिम राशि जमा करने पर एवं प्राक्कलन राशि डेढ़ लाख तक की सीमा आने पर शेष राशि राज्य शासन द्वारा अनुदान के रूप में विद्युत वितरण कम्पनियों को उपलब्ध करवाने का प्रावधान है। पिछले माली साल में 207 करोड़ की राशि विद्युत वितरण कम्पनियों को उपलब्ध करवाई थी। इस वित्तीय वर्ष में इसके लिये 182 करोड़ की राशि का प्रावधान किया गया है। एक अप्रैल, 2011 से लागू की गई इस योजना में अभी तक 14 हजार 294 कृषक लाभान्वित हुए हैं।
मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान की पहल पर मध्यप्रदेश विद्युत नियामक आयोग द्वारा कृषि उपभोक्ताओं के लिये लागू की गई विद्युत दरों में कृषि उपभोक्ताओं को राहत के लिये राज्य शासन द्वारा विद्युत वितरण कम्पनियों को सबसिडी दी जा रही है। पिछले माली साल में राज्य शासन द्वारा सबसिडी के रूप में विद्युत वितरण कम्पनियों को कुल 1,798 करोड़ की राशि उपलब्ध करवाई थी। वर्तमान वित्तीय वर्ष में कुल 19 अरब 25 करोड़ की राशि का प्रावधान किया गया है।
रबी में अतिरिक्त ट्रांसफार्मर
राज्य शासन ने रबी सीजन में किसानों को स्थाई तथा अस्थाई पम्प कनेक्शन के अधिकतम भार के मद्देनजर वितरण ट्रांसफार्मर की क्षमता बढ़ाने तथा अतिरिक्त ट्रांसफार्मर की स्थापना का निर्णय लिया है। इसके लिये विद्युत वितरण कम्पनियों द्वारा कार्य-योजना बनाई है।
ओव्हर लोड ट्रांसफार्मर का चिन्हांकन
राज्य शासन ने कम्पनियों को निर्देश दिये हैं कि आगामी रबी सीजन के पहले पिछले वर्ष के भार को देखते हुए स्थापित ओव्हर-लोड वितरण ट्रांसफार्मर को चिन्हित कर लिया जाये। ट्रांसफार्मर फेल होने की दर में कमी लाने के मद्देनजर अतिरिक्त ट्रांसफार्मर की स्थापना पर भी विशेष ध्यान दिया जाये। इस हेतु 2 अरब 52 करोड़ 19 लाख रुपये का प्रावधान किया है।
ट्रांसमिशन क्षमता तथा उप केन्द्र की संख्या में वृद्धि
पिछले माली साल में ट्रांसमिशन क्षमता बढ़कर 8,489 मेगावॉट हो गई। यह वृद्धि 118 प्रतिशत है। वर्ष 2003 के अंत में ट्रांसमिशन क्षमता 3890 मेगावॉट थी। वर्ष 2003-04 में अति-उच्च दाब उप केन्द्र की संख्या 162 थी, जो वर्ष 2011-12 में बढ़कर 244 हो गई है, जो 51 प्रतिशत अधिक है। ट्रांसमिशन प्रणाली के सुदृढ़ीकरण के लिये आगामी दो वर्ष में लगभग 2,060 करोड़ के निवेश का कार्यक्रम बनाया गया है। इस दौरान उप केन्द्रों की क्षमता में 4,644 एम.व्ही.ए. की क्षमता वृद्धि की जायेगी।
वर्ष 2003-04 में 33 के.व्ही. लाइन की लम्बाई 30 हजार 90 किलोमीटर थी, जो अब बढ़कर 39 हजार 997 किलोमीटर हो गई है। यह वृद्धि लगभग 33 प्रतिशत है। इसी प्रकार वर्ष 2003-04 में 11 के.व्ही. लाइनों की लम्बाई 1 लाख 61 हजार 808 किलोमीटर थी, जो बढ़कर 2 लाख 14 हजार 918 किलोमीटर हो गई है। वर्ष 2003-04 में 33/11 के.व्ही. उप केन्द्र की संख्या 1810 थी, जो अब बढ़कर 2685 हो गई है। इस वृद्धि का प्रतिशत 47 है। राज्य शासन द्वारा उप-पारेषण तथा वितरण के क्षेत्र में आगामी दो वर्ष में 5719 करोड़ पूँजी निवेश का कार्यक्रम भी बनाया गया है।
इस प्रकार से सरकार की दूरदर्शी नीतियों का ही परिणाम है कि रबी मौसम में किसानों को पर्याप्त बिजली दिये जाने के साथ ही उद्योगों को भी लगातार 24 घंटे विद्युत आपूर्ति की जा रही है। प्रदेश के मुखिया श्री शिवराज सिंह चौहान लगातार विद्युत परियोजनाओं और फीडर विभक्तिकरण की समय-समय पर समीक्षा करते रहते हैं। वह यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि अगले वर्ष से ग्रामीण क्षेत्र में भी 24 घंटे विद्युत प्रदाय की जाये।