भोपाल, मई 2015/ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि कुपोषण दूर करना राज्य सरकार की पहली प्राथमिकता है। समुदाय के सहयोग से इस दिशा में और अधिक प्रयास किये जाये। आँगनबाड़ी में डे-केयर सेंटरों को भी जरूरत के मुताबिक बढ़ाया जाये। श्री चौहान महिला-बाल विकास विभाग की समीक्षा कर रहे थे। बैठक में उन्होंने ई-लाड़ली योजना का शुभारंभ नन्हीं बालिका ऐश्वर्या जगनानी को एक लाख 18 हजार रूपये के पहले प्रमाण-पत्र का प्रिंट आउट देकर किया। साथ ही एवाइजा खान, दिव्यांशी वाधवानी, नंदनी कुशवाह और ललिता माली को भी प्रमाण-पत्र भेंट किये। मुख्यमंत्री ने लाड़ली लक्ष्मी योजना के फोल्डर और पोस्टर का भी विमोचन किया। बैठक में महिला-बाल विकास मंत्री माया सिंह और मुख्य सचिव अंटोनी डिसा मौजूद थे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कुपोषण की रोकथाम में समाज की भागीदारी बढ़ना हर्ष का विषय है। इसे और अधिक प्रोत्साहित किया जाना चाहिये। उन्होंने अति कम वजन के बच्चों के पोषण स्तर में ‘स्नेह सरोकार’ कार्यक्रम के जरिये सुधार लाने में सहयोग करने वाले सभी 5,700 सौ व्यक्तियों को मुख्यमंत्री का धन्यवाद-पत्र भेजने और इस योजना में अधिक से अधिक लोग शामिल हों इसकी अपील जारी करने के लिये कहा। कहा कि जन-कल्याणकारी योजनाओं की जानकारी समाज देने के लिये सामुदायिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाना चाहिये। उन्होंने लाड़ली लक्ष्मी योजना में 5वीं कक्षा पास कर 6वीं में जाने वाली 40 हजार बालिका को राशि का वितरण, कार्यक्रम कर किये जाने के निर्देश दिये।
श्री चौहान ने कहा कि बेटी के जन्म अवसर पर भी समुदाय में प्रसन्नता अभिव्यक्ति के आयोजन किये जायें। प्रदेश में कोई बच्चा भीख नहीं मांगे। ऐसे बच्चों के पुनर्वास के लिए जिला कलेक्टर के नेतृत्व में स्थानीय निकाय, महिला-बाल विकास और सामाजिक न्याय विभाग संयुक्त विशेष अभियान चलायें। विभाग की योजनाओं में पंजीकृत और लाभान्वित हितग्राहियों की रिपोर्टिंग कार्य की प्रभावी निगरानी पर विशेष बल दिया। कहा कि दर्ज और लाभान्वित हितग्राहियों की संख्या की क्रॉस चेकिंग नियमित रूप से की जाये।
मुख्यमंत्री ने ग्रामीण महिलाओं एवं बालिकाओं में स्वास्थ्य शिक्षा के प्रसार के लिये विभाग के स्वास्थ्य विभाग के साथ समन्वय की जरूरत बताई। उन्होंने कहा कि बाल विवाह रोकने की दिशा में सकारात्मक सोच और जागरूकता विकास के प्रयास किये जायें। बालिकाओं में शिक्षा स्तर बढ़ाने के प्रयासों पर भी जोर दिया इससे कम उम्र में विवाह की प्रवृत्ति भी नियंत्रित होगी। उन्होंने शिक्षा की गुणवत्ता उत्कृष्ट संसाधनों की उपलब्धता और उपयोगिता को बढ़ाने के परिप्रेक्ष्य में उत्कृष्ट शिक्षण संस्था के आसपास के क्षेत्र के विद्यार्थियों को परिवहन सुविधा उपलब्ध करवाकर शिक्षा सुविधा उपलब्ध करवाने के प्रस्ताव का परीक्षण करने के लिये कहा। साथ ही कन्या छात्रावास संचालन में निजी क्षेत्र की भागीदारी की संभावनाएँ तलाशने के लिये भी कहा।
बताया गया कि ई-लाड़ली योजना में बालिका के बेहतर स्वास्थ्य, उच्च शिक्षा और विवाह आदि के संबंध में 21 वर्ष की आयु तक ट्रेकिंग की जाएगी। लाड़ली लक्ष्मी योजना में अभी तक 20 लाख बालिकाओं को लाभान्वित किया गया है। देश के 7 राज्य ने योजना का अनुसरण किया है। महिला-बाल विकास विभाग को स्कॉच प्लेटिनम अवार्ड 2014, प्रधानमंत्री लोक सेवा उत्कृष्टता पुरस्कार 13-14, टाइम्स ऑफ इंडिया सोशल इम्पेक्ट, अवार्ड 2014 से सम्मानित किया गया है। सुपोषण अभियान के दौरान 12 हजार 872 शिविर लगे। शिविर के फलस्वरूप 94 प्रतिशत से अधिक बच्चों के पोषण स्तर में सकारात्मक बदलाव आया है।