भोपाल, जून 2013/ देश में आंतरिक सुरक्षा को मजबूत बनाने में समाज को सतत रूप से सजग रहने की जरूरत है। इसमें स्वैच्छिक संगठनों की महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है। यह विचार यहाँ ‘‘आंतरिक सुरक्षा में स्वैच्छिक संगठनों की भूमिका’’ विषय पर राष्ट्रीय सेमिनार में विद्वानों ने व्यक्त किये। सेमिनार का आयोजन मध्यप्रदेश जन-अभियान परिषद द्वारा किया गया।
मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग के पूर्व अध्यक्ष न्यायमूर्ति डी.एम. धर्माधिकारी ने कहा कि आंतरिक सुरक्षा में आतंकवाद बड़ी समस्या है। सिर्फ शासन इससे नहीं जूझ सकता और समाज को इसके लिये आगे आना होगा। इसमें स्वैच्छिक संगठन अहम भूमिका निभा सकते हैं। नक्सलवाद प्रभावित क्षेत्रों में शिक्षा के प्रचार-प्रसार की आवश्यकता है। सरकारी योजनाओं का लाभ गरीबों को पूरी तरह मिले यह भी सुनिश्चित होना चाहिए।
पूर्व पुलिस महानिदेशक एन.के. त्रिपाठी ने आंतरिक सुरक्षा के मामले में स्वैच्छिक संगठनों की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया। श्री अजीत दोवाल ने कहा कि भारत की सम्प्रभुता एवं एकता को आंतरिक कारणों से ज्यादा खतरा है।