भोपाल, जून 2015/ महिला-बाल विकास मंत्री श्रीमती माया सिंह ने आँगनवाड़ी केन्द्र की सेवाओं में गुणात्मक सुधार लाने के लिये जनपद अध्यक्ष, सरपंचों से सहयोग का आव्हान किया है। श्रीमती सिंह ने इस संबंध में 313 जनपद अध्यक्ष और 23 हजार पंचायत के सरपंच को पत्र लिखा है।
श्रीमती माया सिंह ने अपने पत्र में पंचायत पदाधिकारियों को बताया कि प्रदेश में 92 हजार आँगनवाड़ी और मिनी आँगनवाड़ी केन्द्र स्थापित हैं। इनके जरिये बच्चों, किशोरियों और गर्भवती माताओं को पौष्टिक आहार देने के साथ उन्हें स्वास्थ्य, स्वच्छता, शिक्षा के प्रति भी जागरूक बनाया जाता है। यह एक ऐसा कार्य है जिससे प्रदेश का बेहतर भविष्य जुड़ा है। उन्होंने कहा कि सरकार इस दिशा में हरसंभव प्रयास कर रही है। सशक्त निगरानी व्यवस्था भी लागू की है। इसके बावजूद यह जरूरी है कि समाज भी सहयोग करे, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि हमारी भावी पीढ़ी सुपोषित और स्वस्थ हो। श्रीमती सिंह ने अपने पत्र में कहा कि किशोरी-बालिका सशक्तिकरण, सबला, किशोरी शक्ति योजना के जरिये बालिकाओं को स्वस्थ और सक्षम बनाया जा रहा है। इन योजनाओं के जरिये उन्हें व्यक्तिगत स्वच्छता, प्रजनन एवं यौन शिक्षा, परिवार तथा शिशु रक्षा के विषय में जागरूकता, जीवन उपयोगी कौशल उन्नयन, शाला त्यागी बालिकाओं को औपचारिक-अनौपचारिक शिक्षा देने के साथ ही जीवकोपार्जन के लिये रोजगार संबंधी सलाह और व्यावसायिक प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
मंत्री श्रीमती सिंह ने कहा कि 6 माह से 6 वर्ष तक के बच्चों को खेल-खेल में शिक्षा और उनके समग्र विकास पर ध्यान दिया जा रहा है। आँगनवाड़ी केन्द्रों को चाइल्ड फ्रेंडली और आकर्षक बनाया जा रहा है। बच्चों के वजन पर निरंतर निगरानी रख कर उन्हें पोषण-आहार दिया जा रहा है। वर्ष 2014 में सुपोषण अभियान चलाकर स्नेह शिविर लगाकर कुपोषित बच्चों पर विशेष ध्यान दिया गया। इन कार्यक्रमों और किये गये प्रयासों से यह अनुभव सामने आया कि अगर समाज का सक्रिय सहयोग मिले तो हर चुनौती का सामना किया जा सकता है। आप गाँव से जुड़े ऐसे जन-प्रतिनिधि हैं, जिनका सीधा सरोकार आमजन से है। आप वह कड़ी है, जिनके सहयोग से किसी भी योजना का लाभ समाज के अंतिम पंक्ति के अंतिम व्यक्ति तक पहुँचाया जा सकता है। आपकी इसी महत्ता को मद्देनजर रखते हुए आपसे बच्चों, किशोरियों और महिलाओं को स्वस्थ, समर्थ, सक्षम और सुपोषित बनाने में सहयोग का आव्हान करती हूँ। आपकी मदद से निश्चित ही हम प्रदेश से कुपोषण के कलंक को खत्म कर मुख्यमंत्री की मंशा के अनुरूप ‘स्वर्णिम मध्यप्रदेश’ की ओर आगे बढ़ सकते हैं।