भोपाल, जून 2015/ एक जुलाई से बच्चों को दिया जाने वाला सुगंधित मीठा दूध पहले आँगनवाड़ी कार्यकर्ता स्वयं चखेंगी उसके बाद बच्चों को दिया जाएगा। तीन माह बाद दूध देने से बच्चों को पहुँचे लाभ का आकलन भी किया जायेगा।

राज्य शासन ने सभी जिला अधिकारियों को भेजे निर्देश में कहा है कि पाउडर के संग्रहण से लेकर उसके वितरण के हर चरण में दूध की गुणवत्ता जानने के लिए यह प्रक्रिया अपनाई जाएगी। मातृ सहयोगिनी समिति के सदस्य, पोषण मित्र एवं बच्चों के पालक इस प्रक्रिया में शामिल रहेंगे जिससे बच्चों को शुद्ध दूध मिल सके। महिला पंच दूध प्रदाय के प्रत्येक चरण पर दूध पाउडर संग्रहण, गर्म पानी से तैयार करने की मॉनिटरिंग करेंगी। आँगनवाड़ी में तैयार किये गये दूध की 50 एम.एल. मात्रा का सेम्पल उपयुक्त विधि से सील बंद डिब्बे या ग्लास में आँगनवाड़ी बंद होने तक सुरक्षित रखा जाएगा।

बच्चों को दूध से उनकी शारीरिक स्थिति में क्या परिवर्तन आया है। इसका आकलन 3 माह बाद किया जाएगा। इसके लिए बच्चों के वजन में वृद्धि, सामान्य स्वास्थ्य में सुधार, लंबाई में वृद्धि का परीक्षण किया जाएगा। बच्चों की उपस्थिति में वृद्धि भी देखी जाएगी। इसके लिए हर आँगनवाड़ी में अलग से पंजी रखी जाएगी। दूध वितरण की प्रक्रिया और परिणामों का आकलन हर माह एकीकृत बाल विकास संचालनालय को भेजा जाएगा।

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