भोपाल, अप्रैल 2015/ राज्य शासन द्वारा अल्पसंख्यक वर्ग के लिये संचालित कल्याणकारी योजनाओं का लाभ उठाने के लिये जाति प्रमाण-पत्र प्रस्तुत करने की कतई आवश्यकता नहीं है। धर्म संबंधी एफिडेविट (शपथ-पत्र) देना ही पर्याप्त है। शपथ-पत्र 10 रुपये के नॉन ज्यूडिशियल स्टॉम्प पेपर पर देना होता है। पिछड़ा वर्ग तथा अल्पसंख्यक कल्याण विभाग ने इस संबंध में स्थिति स्पष्ट की है।

पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के अनुसार प्रदेश में 6 समुदाय- मुस्लिम, सिख, ईसाई, बौद्ध, जैन एवं पारसी अल्पसंख्यक सूची में शामिल हैं। प्रदेश में इनकी कुल आबादी 50 लाख के आसपास है।

विभाग के अनुसार इस संबंध में 12 नवम्बर, 2012 को परिपत्र जारी किया गया था। तदनुसार भारत सरकार राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग अधिनियम-1992 के अंतर्गत मुस्लिम, सिख, ईसाई, बौद्ध एवं पारसी को अल्पसंख्यक समुदाय के रूप में अधिसूचित किया गया है। राज्य शासन द्वारा जैन धार्मिक अल्पसंख्यक समुदाय को भी शामिल करते हुए प्रदेश में मुस्लिम, सिख, ईसाई, बौद्ध एवं जैन समुदाय को अल्पसंख्यक समुदाय की मान्यता प्रदान की गई है। इन अल्पसंख्यक समुदाय को केन्द्र अथवा राज्य सरकार द्वारा आरक्षण की सुविधा नहीं दी जाती, बल्कि कुछ विभाग द्वारा विशेषकर रोजगारमूलक योजनाओं एवं छात्रवृत्ति आदि की सुविधा दी जाती है।

परिपत्र में कहा गया है कि केन्द्र एवं राज्य शासन द्वारा घोषित अल्पसंख्यक वर्ग के लिये प्रदेश में संचालित विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं, बेंक ऋण प्रयोजनों तथा छात्रवृत्ति योजनाओं के लिये अल्पसंख्यक समुदाय के आवेदकों से जाति प्रमाण-पत्र के स्थान पर केवल अल्पसंख्यक समुदाय का सदस्य होने का निर्धारित प्रारूप में शपथ-पत्र नॉन ज्यूडिशियल स्टॉम्प पेपर पर मान्य किया जाये।

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