भोपाल, मई 2015/ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने घोषणा की है कि महिला हिंसा के विरूद्ध बेहतर काम करने वालों को अरूणा शानबाग के नाम पर मध्यप्रदेश सरकार हर वर्ष एक लाख रुपये का पुरस्कार देगी। प्रदेश में पुलिस की भर्ती में महिलाओं के लिये 33 प्रतिशत का आरक्षण दिया जायेगा। दूसरी शासकीय नौकरियों में भी महिलाओं के लिये 33 प्रतिशत आरक्षण पर विचार किया जायेगा। प्रदेश के हर जिले में हर वर्ष महिलाओं के लिये एक विशेष स्वास्थ्य परीक्षण शिविर लगाया जायेगा। पूरे प्रदेश में बेटी बचाओ अभियान नये कलेवर में फिर से शुरू किया जायेगा। साथ ही स्कूल शिक्षा के पाठ्यक्रम में बेटी बचाओ के संबंध में अध्याय सम्मिलित होगा। मुख्यमंत्री ने प्रदेश की नयी महिला नीति 2015 का विमोचन भी किया।
मुख्यमंत्री अपने निवास पर द्वितीय महिला पंचायत को संबोधित कर रहे थे। समाज के विभिन्न वर्ग से सीधे संवाद के लिए आयोजित पंचायतों के क्रम में महिला पंचायत का आयोजन किया गया। महिला पंचायत में प्रदेश के विभिन्न जिले से आयी महिलाओं ने भाग लिया।
प्रतियोगी परीक्षाओं में कोचिंग की व्यवस्था
मुख्यमंत्री ने घोषणा की कि गाँवों और छोटे शहरों से जिला मुख्यालय और संभागीय मुख्यालयों में पढ़ने आने वाली बालिकाओं के आवास की व्यवस्था के लिये राज्य सरकार उन्हें संभागीय मुख्यालय पर 2000 रुपये प्रतिमाह तथा जिला मुख्यालय पर 1,250 रुपये प्रतिमाह की सहायता देने की योजना लागू करेगी। अखिल भारतीय प्रतियोगी परीक्षाओं में शामिल होने वाले बेटियों की कोचिंग की व्यवस्था राज्य सरकार करेगी। हायर सेकेण्डरी की परीक्षा में मेरिट में आने वाली बेटियों की उच्च शिक्षा का खर्च राज्य सरकार वहन करेगी। युवा उद्यमी योजना में उद्योग स्थापित करने के लिये बेटियों के ऋण की गारंटी राज्य सरकार लेगी तथा पाँच वर्ष तक छह प्रतिशत ब्याज अनुदान भी भरेगी। हर वर्ष 50 हजार बेटियों को रोजगारोन्मुखी प्रशिक्षण दिलवाया जायेगा।
सभी जिला मुख्यालय पर झूलाघर
श्री चौहान ने घोषणा की कि प्रदेश के सभी 51 जिला मुख्यालय पर झूलाघर की स्थापना की जायेगी। बेहतर काम करने वाले महिला स्व-सहायता समूहों को प्रोत्साहन राशि दी जायेगी। महिल स्व-सहायता समूहों को शासकीय संस्थाओं में भोजन बनाने के कार्य में प्राथमिकता देने की नीति बनायी जायेगी। प्रोजेक्ट उदिता के तहत महिला स्व-सहायता समूह को सेनेटरी नेपकिन बनाने का प्रशिक्षण दिलवाया जायेगा। भोपाल, इंदौर, ग्वालियर और जबलपुर में कामकाजी महिलाओं के लिये होस्टल बनाये जायेंगे। यदि किसी महिला को आकस्मिक रूप से किसी शहर में रुकना पड़े और वह पुलिस की महिला हेल्पलाइन पर फोन करेगी तो उसके सुरक्षित रुकने की व्यवस्था करने की जिम्मेदारी पुलिस की होगी।
महिला कर्मियों को दो वर्ष का अवकाश
मुख्यमंत्री ने घोषणा की कि कुपोषण की रोकथाम के लिये जनभागीदारी से उत्कृष्ट कार्य करने वाले जिलों को पुरस्कृत किया जायेगा। सभी 51 जिलों में शौर्या दल गठित किये जायेंगे। हर वर्ष बाल विवाह रोकने वाले व्यक्तियों और संस्थाओं को इक्यावन-इक्यावन हजार रुपये के दस पुरस्कार दिये जायेंगे। जिन ग्रामों में बेटों से ज्यादा बेटियाँ जन्म लेंगी उन्हें पुरस्कृत किया जायेगा। हिंसा से प्रभावित महिलाओं के पुनर्वास के लिये इंदौर, भोपाल, जबलपुर, उज्जैन, रीवा और सागर में ऊषा किरण केन्द्र स्थापित किये जायेंगे। शासकीय महिला कर्मियों को उनके पूरे सेवाकाल में मातृत्व-शिशु पालन अवकाश के रूप में दो साल का अवकाश दिया जायेगा। शासकीय अधिकारी-कर्मचारियों को जेण्डर संवेदनशीलता का प्रशिक्षण दिया जायेगा। महिलाओं के प्रति दुर्व्यवहार की शिकायत शासकीयकर्मियों की गोपनीय चरित्रावली में दर्ज की जायेगी। शासकीय विभागों की कर्मचारी परामर्शदात्री समितियों में महिलाओं को पर्याप्त प्रतिनिधित्व दिया जायेगा। महिलाओं के प्रति होने वाले जघन्य अपराधों में जल्दी और कड़ी सजा मिले इसके लिये कानूनों में संशोधन कर उपाय किये जायेंगे। इस संबंध में केन्द्र सरकार से भी बात की जायेगी। सभी पुलिस थानों में महिला डेस्क गठित की जायेगी। वर्तमान में प्रदेश में 141 थानों में महिला डेस्क है। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि राज्य सरकार बेटियों के प्रति भेदभाव को समाप्त करने के लिये कृत संकल्पित है। महिलाओं के जीवन के हर पड़ाव पर उनकी मदद के लिये राज्य सरकार ने योजनाएँ बनाई है। उन्होंने कहा कि महिला पंचायत में आये सभी सुझावों पर विचार किया जायेगा और योग्य सुझावों को लागू किया जायेगा।
महिला एवं बाल विकास मंत्री माया सिंह ने कहा कि पहली महिला पंचायत की 14 घोषणा पूरी कर दी हैं। मुख्यमंत्री के मार्गदर्शन में महिलाओं को सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक और शैक्षणिक रूप से सशक्त बनाने के लिए महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए है।
प्रमुख सचिव कंसोटिया ने विभागीय योजना की चर्चा की। आयुक्त महिला सशक्तिकरण कल्पना श्रीवास्तव ने महिला पंचायत की भूमिका और उद्देश्यों पर प्रकाश डाला।
बेझिझक रखी अपनी बात
श्रीमती सविता चौहान ने कहा कि स्पेशल कोर्ट बनाया जाये। महिलाओं के विरुद्ध अपराध करने पर अपराधियों के लिए कठोर कानून बनायें। जबलपुर की अपर्णा वर्मा ने कहा कि महिलाओं को उद्यमिता के लिए मार्गदर्शन और अपना व्यवसाय शुरु करने वित्त की व्यवस्था होनी चाहिए। रेखा दाहिमा (मंदसौर) ने कहा कि बाँछड़ा समुदाय के लिए आरक्षण होना चाहिए। सुश्री कृष्णकांत तोमर ने कहा कि संभाग में नारी निकेतन केन्द्र स्थापित किया जाना चाहिए। अर्चना राठौर (झाबुआ) ने कहा कि झाबुआ में पलायन की समस्या को रोकने के लिये दहेज़ की समस्या खत्म करना जरूरी है। संगीत देसाई (आगर) ने कहा कि निराश्रित, परित्यक्ता महिलाओं को उद्योग के लिए वित्तीय सहयोग मिलना चाहिए।
सरिता देशपांडे (भोपाल) ने कहा कि महिलाओं के लिये हर जिले में सर्वसुविधायुक्त आश्रय बनाये जाना चाहिए। सुश्री संतोष पवार (सतना) ने महिला बेंकों की स्थापना का सुझाव दिया। सुश्री गायत्री नगपुरे (बालाघाट) ने आँगनवाड़ी कार्यकर्ता का मानदेय बढ़ाये जाने का सुझाव दिया। सुश्री उमा भार्गव (भोपाल) ने कहा कि प्रशासन को भी महिलाओं के मुद्दों के प्रति संवेदनशील होना चाहिये। सुश्री सबा रहमान (ग्वालियर) का सुझाव था कि भ्रूण हत्या रोकने में अच्छा काम करने वाली महिलाओं को सम्मानित किया जाना चाहिए।
श्रीमती प्रीति पाटीदार (उज्जैन) का कहना था कि आर्थिक सशक्तिकरण के लिये महिला उद्यमियों को हर मार्केट में दुकान दी जानी चाहिए। रीता सिंह (सिंगरौली) ने कहा कि परित्यक्ता महिलाओं के स्व-रोजगार के लिए पहल भी होना चाहिए। श्रीमती अंजू दात्रे (ग्वालियर) ने कहा कि शराब के ठेके स्थान विशेष पर होना चाहिए। किरण गहलोत (आगर) ने अविवाहित और विकलांग महिलाओं के विरूद्ध घरेलू हिंसा को रोकने के कड़े कानूनों के प्रावधान की वकालत की।
मुख्यमंत्री ने डिंडोरी में तेजस्विनी महिला स्व-सहायता समूह द्वारा कोदो कुटकी उत्पाद की शुरुआत की। मुख्यमंत्री ने ‘हौसलों की उड़ान” पुस्तक का विमोचन किया। कार्यक्रम की शुरुआत बाल भवन के बच्चों की बेटियों के महत्व पर केंद्रित नृत्य नाटिका से हुई।
इस अवसर पर लोक स्वाथ्य यांत्रिकी मंत्री कुसुम महदेले, पूर्व मुख्यमंत्री कैलाश जोशी, पूर्व मंत्री रंजना बघेल, मुख्य सचिव अन्टोनी डिसा, पुलिस महानिदेशक सुरेन्द्र सिंह, प्रमुख सचिव जे.एन. कंसोटिया, श्रीमती साधना सिंह चौहान बड़ी संख्या में समाज के विभिन्न क्षेत्र में काम करने वाली महिलाएँ उपस्थित थीं।