भोपाल, सितम्बर 2014/ मध्यप्रदेश में सीएजी की एक रिपोर्ट को लेकर गलत अर्थ निकाले जाने से राज्य के अस्पतालों में गरीब मरीजों सस्ते इलाज से वंचित हो रहे हैं। मध्यप्रदेश में सरदार वल्लभ भाई पटेल निशुल्क दवा योजना के तहत सरकारी अस्पतालों में लगभग 450 जेनेरिक औषधियों का नि:शुल्क वितरण किया जा रहा है और योजना की सफलता का अंदाज इसी बात से लगाया जा सकता है कि विगत दो वर्ष में एक भी रोगी के संबंध में कोई शिकायत प्राप्त नहीं हुई है।
मध्यप्रदेश में दवाइयों के शासकीय उपार्जन के संबंध में प्राप्त महालेखाकार के प्रतिवेदन के जिन मुद्दों को उठाया जा रहा है, वे मुद्दे वित्तीय वर्ष 2009 -10 से वर्ष 2011-12 की अवधि के हैं। इन पर पृथक से विधि सम्मत कार्यवाही प्रचलन में है तथा नियमानुसार निराकरण किया जाएगा।
वर्ष 2009 से 2012 के प्रतिवेदन से वर्तमान में लागू सरदार वल्लभभाई पटेल औषधि वितरण योजना का कोई संबंध नहीं है। यह योजना नवंबर 2012 से लागू हुई है। प्रदेश में योजना का श्रेष्ठ क्रियान्वयन हो रहा है जो कई प्रांतों से बेहतर है। कई राज्य इस तरह की योजना प्रारंभ ही नहीं कर पाये हैं। इसके साथ ही कुछ राज्यों में जेनेरिक दवाएँ सशुल्क दी जा रही हैं। मध्यप्रदेश में इनके नि:शुल्क दिये जाने की व्यवस्था है।
राज्य में जेनेरिक औषधियों के क्रय से लगभग 1000 करोड़ रुपये की बचत हो रही है। जेनेरिक दवाइयाँ गुणवत्ता प्रभाव में रासायनिक रूप, शुद्धता, मात्रा, सुरक्षा और गुणवत्ता की दृष्टि से ब्रॉण्डेड दवा के समान ही होती है तथा 25 से 75 प्रतिशत सस्ती होती है। भारत इन औषधियों का बड़ा निर्यातक भी है। ऐसी कुछ कंपनियाँ जिनके व्यवसायिक हित प्रभावित हो रहे हैं, वे पुराने प्रकरण का भ्रामक उल्लेख कर भ्रम फैला रही है।
कुछ समय से मध्यप्रदेश में योजना में दी जा रही दवाओं के कुछ नमूने अमानक पाये जाने की बात भी कही जा रही है। वास्तव में लगभग 2500 सेम्पल में से 147 नमूने प्रयोगशाला जाँच में अमानक स्तर के सिर्फ इसलिए माने गये क्योंकि टेबलेट के रंग में कुछ अंतर था। अस्पतालों के लिये दवाओं की आपूर्ति में यदि विलम्ब होता है तो आवश्यकता को देखते हुए रोगियों के हित में लोकल पर्चेस की भी व्यवस्था है। जिन 147 दवा नमूनों को अमानक कहा गया उनमें से 140 स्थानीय स्तर पर निजी दवा विक्रेताओं से ली गई।
स्वास्थ्य विभाग ने आईटी के प्रयोग से पारदर्शिता का परिचय दिया। दवाओं की खरीदी और अन्य कार्यों में भी यही व्यवस्था लागू है। ई-टेन्डरिंग के माध्यम से डब्ल्यू. एच.ओ.जी.एम.पी. निर्माताओं से ही जेनेरिक औषधियां क्रय की जा रही हैं। देश की सर्वश्रेष्ठ संस्था टी.एन.एम.एस.सी. के माध्यम से वर्ष 2010-11 और 2011-12 में औषधि उपार्जन का कार्य किया गया।