भोपाल, दिसंबर 2012/ मध्यप्रदेश में चालू खरीफ सीजन के दौरान अब तक किसानों से 6 लाख मीट्रिक टन धान खरीदा जा चुका है। जिन किसानों से धान की खरीदी की गई है, उनकी संख्या एक लाख 10 हजार है। खरीदे गये धान के एवज में किसानों को 800 करोड़ रुपये का भुगतान कर दिया गया है। भुगतान की गई राशि को बैंक में हस्तांतरित किया गया है। खरीदे गये धान में से 85 प्रतिशत का परिवहन कर उसका सुरक्षित भण्डारण किया जा चुका है। गत वर्ष 2011 में इस अवधि तक 4 लाख मीट्रिक टन धान खरीदा गया था। मध्यप्रदेश को गेहूँ उपार्जन में मिली अपार सफलता को देखते हुए धान और अन्य मोटा अनाज की खरीदी पर भी विशेष ध्यान दिया जा रहा है।

प्रदेश में धान, मोटा अनाज (ज्वार, मक्का, बाजरा) का उपार्जन भी ई-प्रक्रिया से किया जा रहा है। इसके लिये विगत 15 अगस्त से 15 सितम्बर के बीच किसानों का पंजीयन किया गया। शासन ने समर्थन मूल्य पर धान उपार्जन के लिये पंजीकृत किसानों को दिये जाने वाले बोनस की राशि को भी 50 रुपये को बढ़ाकर इस साल 100 रुपये किया है।

चालू खरीफ सीजन में धान और मोटा अनाज के लिये जिन किसानों ने अपना पंजीयन करवाया है, उनमें धान के विक्रय के लिये 3 लाख 8 हजार तथा मोटे अनाज के लिये 27 हजार किसान शामिल हैं। प्रदेश में इस साल 18 लाख 80 हजार मीट्रिक टन धान तथा 28 हजार मीट्रिक टन मोटे अनाज का उपार्जन होने का अनुमान है। पिछले साल 2011 में 9 लाख 40 हजार मीट्रिक टन धान तथा 17 हजार मीट्रिक टन मोटे अनाज का उपार्जन हुआ था। गत वर्ष एक लाख 80 हजार किसानों ने धान की फसल का विक्रय किया था।

गत वर्ष की तुलना में चालू खरीफ वर्ष में धान और मोटा अनाज के समर्थन मूल्य में भी वृद्धि की गई है। पिछले साल किसानों से खरीदे गये सामान्य धान का मूल्य 1080 रुपये प्रति क्विंटल तथा उन्नत किस्म की धान का मूल्य 1110 रुपये प्रति क्विंटल था। इस साल सामान्य धान का समर्थन मूल्य 1250 रुपये प्रति क्विंटल तथा उन्नत किस्म की फसल का मूल्य 1280 रुपये प्रति क्विंटल रखा गया है। पिछले खरीफ सीजन में मोटा अनाज (मक्का, ज्वार, बाजरा) का समर्थन मूल्य 980 रुपये प्रति क्विंटल था, वहीं इस साल मक्का, ज्वार का समर्थन मूल्य 1175 रुपये प्रति क्विंटल तथा ज्वार का समर्थन मूल्य 1500 रुपये प्रति क्विंटल किया गया है।

खाद्य, नागरिक आपूर्ति मंत्री पारस जैन ने पंजीकृत किसानों से कहा है कि वे अपनी फसल के विक्रय के लिये सीधे उपार्जन केन्द्र पहुँचे। किसान इस बात का अवश्य ध्यान रखें कि उत्पादित फसल साफ-सुथरी और अच्छी औसत गुणवत्ता (एफएक्यू) की हो। मोटे अनाज मक्का, ज्वार, बाजरा के साथ ही धान का उपार्जन भी 31 जनवरी, 2013 तक होगा।

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