भोपाल, जनवरी 2015/ रतलाम निवासी हुसैन इंदौरी और श्रीमती फातिमा इंदौरी के आठ साल के बेटे अब्दुल कादिर की जिंदगी में ऐसा हादसा घटित होगा ऐसा उन्हें खयाल भी नहीं आया था। मई 2014 में बेरसिया रोड, भोपाल की मुल्ला कॉलोनी में रिश्तेदारों के यहाँ ग्रीष्मावकाश बिताने आए अब्दुल कादिर ने अनायास हाईटेंशन लाइन छू लेने से अपने दोनों हाथ गंवा दिए। परिवार में मानो कोई तूफान आ गया। मुंबई में दो-तीन माह इलाज करवाया गया। बालक की जिंदगी की हिफाजत के लिए विद्युत दुर्घटना में गहरी क्षति से लगभग अनुपयोगी हो चुके हाथों को शरीर से अलग करने का फैसला लेना पड़ा। तब से परिवार को बालक अब्दुल कादिर की सामान्य जिंदगी और पढ़ाई-लिखाई की चिंता कहीं और बढ़ गई थी। कृत्रिम हाथ लगवाने का व्यय 12 से 15 लाख के मध्य है। मध्यप्रदेश सरकार ने बालक अब्दुल कादिर के संपूर्ण उपचार की जिम्मेदारी ली है। इलाज के बाद वह न सिर्फ बिना बाधा के आगे की पढ़ाई कर पाएगा बल्कि पूरी जिंदगी भी सामान्य रूप से जीयेगा।

मुख्य सचिव अंटोनी डिसा से साप्ताहिक भेंट के दौरान मिलने आए कादिर के माता-पिता ने बालक की तकलीफों का ब्यौरा देते हुए कृत्रिम हाथ लगवाने की व्यवस्था किए जाने का आग्रह किया। मुख्य सचिव ने प्रकरण में प्रमुख सचिव स्वास्थ्य प्रवीर कृष्ण को तत्काल निर्देश दिए और देश के श्रेष्ठ संस्थान में बालक अब्दुल कादिर को इलेक्ट्रानिक हेण्ड्स लगवाने की आर्थिक सहायता स्वीकृत करने को कहा। इस प्रकरण में तत्‍काल कार्यवाही भी प्रारंभ कर दी गयी। अब्दुल कादिर को नई दिल्ली के अस्पताल में कृत्रिम हाथ लगवाने भेजा जा रहा है।

अपने माता पिता के साथ बालक अब्दुल कादिर भी मंत्रालय पहुँचा था। वह कक्षा दूसरी का विद्यार्थी है। जब उसने बताया कि वो किसी भी तरीके से अपनी पढ़ाई जारी रखना चाहता है और इसके लिए पैरों से भी लिखना पड़े तो वह इसके लिए पूरी कोशिश करेगा, यह जानकर मुख्य सचिव काफी प्रभावित हुए। अब्दुल कादिर ने पिछले कुछ माह में सीखी पैरों की अंगुलियों में कलम फँसाकर लिखने की कला का प्रदर्शन भी किया।

श्री डिसा को मुरैना निवासी राजकुमार तोमर और जबलपुर निवासी सुश्री गायत्री पटेल ने सामाजिक न्याय विभाग में दृष्टि-बाधित के लिए आरक्षित सहायक के पद पर चयन के पश्चात नियुक्त न किए जाने की जानकारी दी। इस पर प्रमुख सचिव सामाजिक न्याय को जरूरी कदम उठाने के निर्देश दिए गए। मुख्य सचिव से दस अन्य आवेदक ने भेंट की और आवेदन-पत्र सौंपे। सभी आवेदन-पत्र संबंधित विभाग को कार्यवाही के लिए भेज दिए गए।

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