भोपाल, सितम्बर  2014/ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में सम्पन्न मंत्रि-परिषद् की बैठक में कर्मचारियों के हित में महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए अनुकम्पा नियुक्ति के संशोधित एकजाई निर्देश के प्रारूप को अनुमोदन किया गया। अब शासकीय कर्मचारी की विवाहित पुत्री/पुत्रियों, वैधानिक रूप से गोद ली गई दत्तक संतान को अनुकम्पा नियुक्ति के पात्र सदस्यों में जोड़ा गया है। चतुर्थ श्रेणी की पात्रता रखने अथवा पद उपलब्ध न होने की स्थिति में दी जाने वाली अनुकम्पा अनुदान की राशि एक लाख 25 हजार से बढ़ाकर 2 लाख कर दी गई है। दैनिक वेतनभोगी, कार्यभारित एवं आकस्मिकता निधि से वेतन पाने वाले कर्मचारियों को दी जाने वाली अनुकम्पा अनुदान की राशि भी एक लाख 25 हजार से बढ़ाकर 2 लाख कर दी गई है। यह भी प्रावधान किया गया है कि शासकीय सेवक के परिवार का पात्र आश्रित सदस्य यदि नियमित सेवा में कार्यरत हो तो ही उसके परिवार का अन्य सदस्य अपात्र होगा। शासकीय सेवक की कोई संतान वयस्क नहीं है तो प्रथम संतान के वयस्क होने की तिथि से एक वर्ष तक उसे अनुकम्पा नियुक्ति दी जा सकेगी।

मंत्री-परिषद् ने दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों के हित में लिये गए निर्णयों में दैनिक वेतनभोगी कर्मचारी (सेवा की शर्ते) नियम 2013 के उपनियम-1 में संशोधन कर बड़े हुए वेतन के लाभ का दायरा बढ़ाने की मंजूरी दी। इसका लाभ 31 दिसम्बर, 1988 के पश्चात पहले से ही नियोजित दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों को मिलेगा। इसके अलावा इसका लाभ वित्त विभाग की सहमति से और मंत्रि-परिषद् से मंजूरी प्राप्त ऐसे दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों को भी मिलेगा जो 21 जनवरी 2004 के बाद नियुक्त हुए हों।

दैनिक वेतनभोगी के पक्ष में एक अन्य निर्णय में सामान्य प्रशासन विभाग के 14 और 26 फरवरी 2000 के विरुद्ध न्यायालय आदेश या स्थगन के आधार पर जो दैनिक वेतनभोगी कार्यरत हैं, को भी नियमितीकरण की कार्रवाई में शामिल करना तय किया गया। अब ऐसे दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों को वे जिस पद-संवर्ग में कार्यरत हैं उन्हें रिक्त पद या समकक्ष पद पर नियमित किया जा सकेगा।

अस्पतालों में सह-मुख्य अधीक्षक

मंत्री-परिषद् ने शासकीय अस्पतालों में प्रशासनिक व्यवस्था को सुदृढ़ और बेहतर बनाने के लिये सह-मुख्य अधीक्षक सहित 109 पद को मंजूरी दी। वर्तमान में अस्पताल में पदस्थ चिकित्सकों द्वारा ही प्रशासनिक व्यवस्था संबंधी कार्य किया जाता है, जिससे उनका मूल कार्य प्रभावित होता है। इस कमी को दूर करने के लिये यह पद स्वीकृत किया गया है। जिला अस्पतालों की प्रशासनिक व्यवस्था के सुदृढ़ीकरण के उद्देश्य से अस्पताल प्रबंधन संवर्ग स्वीकृत किया गया। संवर्ग में मुख्यालय-स्तर पर महाप्रबंधक का एक, प्रबंधक के चार, उप प्रबंधक के 25 तथा सहायक प्रबंधक के 79 पद स्वीकृत किये गये।

17 नये महाविद्यालय

उच्च शिक्षा व्यवस्था का और विस्तार करते हुए मंत्री-परिषद् ने प्रदेश में 17 नये महाविद्यालय शुरू किये जाने को मंजूरी दी। कुछ महाविद्यालयों में नये संकाय शुरू करने की भी स्वीकृति दी गई। नये 17 महाविद्यालय फूप (भिण्ड), कुम्भराज (गुना), बजाग (डिण्डोरी), गुलाबगंज (विदिशा), ताल (रतलाम), शामगढ़ (मंदसौर), गोविंदगढ़ (रीवा), चाँद (छिंदवाड़ा), उमरनाला (मोहखेड़), (छिंदवाड़ा), माकडौन (उज्जैन), मौ (भिण्ड), बाग (धार), सुवासरा (मंदसौर), मल्हारगढ़ (मंदसौर), मोहनबड़ौदिया (शाजापुर), शाहगंज (सीहोर) और सिराली (हरदा) में स्थापित होंगे।

जिन शासकीय महाविद्यालयों में नये संकाय, विषय अथवा स्नातकोत्तर कक्षाएँ शुरू करने की स्वीकृति दी गई हैं, उनमें राजेन्द्र सूरी शासकीय महाविद्यालय धार, शासकीय कन्या महाविद्यालय सिवनी, शासकीय महिला महाविद्यालय दमोह, शासकीय इंदिरा गाँधी महाविद्यालय शहडोल, शासकीय महाविद्यालय गोहद (भिण्ड), शासकीय कन्या महाविद्यालय सीहोर और शासकीय कन्या महाविद्यालय दतिया शामिल हैं। इन महाविद्यालयों के 349 पद स्वीकृत किये गये।

नीति में संशोधन

प्रदेश में प्रतिष्ठित निजी प्रशिक्षण प्रदायकर्त्ता एजेंसियों को आकर्षित करने के लिये मंत्री-परिषद् ने तकनीकी शिक्षा एवं कौशल विकास नीति-2012 में संशोधन को मंजूरी दी। यह संशोधन नीति जारी होने के बाद विभिन्न स्तर पर निजी निवेशकों से चर्चा में आये सुझावों के आधार पर किये गये हैं। उल्लेखनीय है कि मध्यप्रदेश सरकार के दृष्टि-पत्र-2018 में कौशल विकास मिशन के जरिये 6 से 10 लाख युवा को स्वयं के रोजगार स्थापित करने और रोजगार के लिये कौशल प्रशिक्षण देने का लक्ष्य है।

संशोधन के अनुसार आईटीआई स्थापित करने के लिये भवन निर्माण, उपकरण आदि पर किये गये पूँजीगत निवेश पर 3 करोड़ तक का अनुदान देने का प्रावधान किया गया है। साथ ही राज्य शासन द्वारा प्रायोजित 50 सीट के प्रशिक्षण शुल्क की प्रतिपूर्ति का प्रावधान भी किया गया है। साथ ही 5 एकड़ शासकीय भूमि नि:शुल्क देने और प्रशिक्षकों के प्रशिक्षण पर लागत के 50 प्रतिशत की प्रतिपूर्ति की जायेगी। कौशल विकास केन्द्र स्थायी रूप से किराये के भवन में संचालित होंगे।

प्रशिक्षणार्थियों को आवास सुविधा की दृष्टि से शासन द्वारा प्रायोजित छात्रावास में रहने वाले प्रशिक्षणार्थियों के लिये लॉजिंग शुल्क की प्रतिपूर्ति की जायेगी, जो 1000 रुपये प्रतिमाह प्रति प्रशिक्षणार्थी के मान से देय होगी। स्थान पर विशेष की आवश्यकताओं को देखते हुए राज्य शासन द्वारा प्रायोजित प्रशिक्षणार्थियों के लिये छात्रावास निर्माण के लिये कुल लागत का 50 प्रतिशत तक अनुदान उपलब्ध करवाया जायेगा। कौशल विकास केन्द्रों के लिये उपकरणों के क्रय करने की अनुदान सीमा को ढाई लाख रुपये से बढ़ाकर उपकरणों की लागत का 25 प्रतिशत अथवा 10 लाख रुपये, जो भी कम हो, किया गया है। स्किल ट्रेनिंग देने वाले को 50 प्रतिशत प्रशिक्षणार्थियों को रोजगार में नियोजित करने पर 3000 रुपये प्रति प्रशिक्षणार्थी के मान से अतिरिक्त प्रोत्साहन राशि का प्रावधान किया गया है।

परिवहन कराधान अध्यादेश

मंत्री-परिषद् ने मोटरयान कराधान अधिनियम के प्रावधानों को सरल और युक्तियुक्त करते हुए मध्यप्रदेश मोटरयान कराधान (संशोधन) अध्यादेश-2014 को मंजूरी दी। संशोधन में पर्यावरण हितैषी वाहनों पर कर की दरों में कमी की गई है। विभिन्न श्रेणी के माल वाहनों के त्रैमासिक कर के स्थान पर जीवन काल कर का विकल्प दिया जा रहा है। इससे उन्हें बार-बार कर जमा करने से मुक्ति मिल सकेगी।

वातानुकूलित और डीलक्स बसों को बढ़ावा देने के लिये उनके कर की दरों में कमी की गई है। बच्चों को शाला ले जाने वाले शैक्षणिक वाहनों के करों में बहुत अधिक कमी कर उसे अब मात्र 12 रुपये प्रति सीट प्रतिवर्ष कर दिया गया है। ग्रामीण परिवहन सेवा में लगे वाहनों के लिये उनके मूल्य के एक प्रतिशत के बराबर कर का प्रावधान किया गया है। इतनी राशि जमा करने पर उन्हें जीवन काल ग्रामीण परिवहन का परमिट प्राप्त होगा। इन संशोधनों से जहाँ कर का भुगतान सरल होगा, वहीं अच्छे यात्री वाहनों को बढ़ावा मिलेगा। माल वाहनों के कर जमा करने के लिये बार-बार कार्यालय नहीं आना पड़ेगा और ग्रामीण अँचलों में परिवहन सेवा को बढ़ावा मिलेगा।

सड़कों के संधारण-निर्माण को स्वीकृति

मध्यप्रदेश रोड डेव्हलपमेंट कार्पोरेशन के माध्यम से 12 राज्य राजमार्ग/मुख्य जिला मार्ग को ओएमटी योजना में संधारित करने की स्वीकृति दी।

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