भोपाल, फरवरी 2013/ विपक्ष के साथ-साथ सत्तापक्ष के विधायक भी सूबे के नौकरशाहों, खासतौर से कलेक्टरों की कार्यप्रणाली से खासे खफा है। इस मुद्दे पर सदस्यों ने एक सुर में आवाज उठाई। उन्होंने सदन में आरोप लगाया कि अफसर उनके पत्र का जवाब तक नहीं देते। विषय की गंभीरता को देखते हुए स्पीकर ईश्वरदास रोहाणी ने सरकार को निर्देश दिए कि सरकार यह सुनिश्चित करे कि अफसर पंद्रह दिनों में विधायकों के पत्रों का जवाब दें।
प्रश्नकाल में ग्रामीण विकास महकमे से जुड़े एक सवाल के दौरान यह मुद्दा उठा था। राजेश कुमार वर्मा ने सदन को बताया कि उन्होंने पन्ना जिले के गुनौर क्षेत्र में 2008-09 में मनरेगा से स्वीकृत मार्गों के बारे में संबंध में कलेक्टर को पांच पत्र लिखे थे। इनके जवाब तक नहीं आए। श्री भार्गव ने कहा कि सामान्य प्रशासन विभाग के स्पष्ट निर्देश हैं कि प्राथमिकता के आधार पर जनप्रतिनिधियों के पत्रों का उत्तर दिया जाए। इस मामले में फिर से सामान्य प्रशासन विभाग से चर्चा करूंगा और खुद भी अपनी ओर से लिखूंगा। पत्रों पर कार्रवाई कराई जाएगी। साथ ही मामले में राज्य स्तर से अफसर को भेजकर जांच कराई जाएगी।
�� के आधार पर करीब 9 हजार 256 रुपए आता है। 2009-10 में कर्ज के ऐवज में 4 हजार 454 करोड़ और 2010-11 में 5 हजार 48 करोड़ रुपए ब्याज भुगतान किया गया। 31 मार्च 2012 की स्थिति में प्रदेश सरकार पर 71 हजार 478 करोड़ 10 लाख रुपए का कर्ज है।