भोपाल, जुलाई 2014/ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि शहीद सैनिकों की स्मृति में भोपाल में बन रहे अनूठे शौर्य स्मारक में शहीदों को श्रद्धांजलि देने के लिये प्रवेश द्वार के समीप शौर्य स्तंभ बनाया जायेगा। मुख्यमंत्री ने इस निर्माणाधीन अदभुत स्मारक का अवलोकन कर निर्माण की प्रगति का जायजा लेने के बाद कहा कि शौर्य स्मारक अदभुत और अनूठा होगा, जो शहीद सैनिकों के प्रति श्रद्धा का भाव तथा युवाओं में देश भक्ति की उत्कट भावना का संचार करेगा। यह ऐसा स्मारक होगा जहाँ जो भी भोपाल आयेगा, शहीदों को नमन करने जरूर आयेगा। यह मध्यप्रदेश के लिये गर्व का विषय होगा। इसकी कला वीथिका में शहीदों के जीवन तथा सेनाओं की उपलब्धियों का दृश्य-श्रव्य सजीव प्रदर्शन होगा। यह स्मारक देश भक्ति का जज्बा पैदा करेगा और जीवन के सत्य को भी प्रदर्शित करेगा।
स्मारक में बने ओपन थियेटर में वीरता के नाटक प्रदर्शित किये जायेंगे। देश भक्ति के गीतों पर म्यूजिकल फाउन्टेन चलेगा। इसमें पचास सीट की क्षमता वाला मिनी सिनेमा घर होगा जिसमें युद्ध संबंधी फिल्मों का प्रदर्शन किया जायेगा। राजधानी परियोजना प्रशासन द्वारा निर्मित किये जा रहे स्मारक की वार गेलरी में वीर सेनानियों की शौर्य गाथा, भारतीय थल, जल और नौ सेना के इतिहास और उपलब्धियाँ, सभी राष्ट्रपतियों के पोर्ट्रेट, परमवीर चक्र और महावीर चक्र प्राप्त सैनिकों की शौर्य गाथा, चित्र और वीरता पदकों, विभिन्न महत्वपूर्ण सैन्य लड़ाइयों की जानकारी प्रदर्शित की जायेगी। स्मारक परिसर में एक सोवेनियर शाप होगी जिसमें सेना से संबंधित साहित्य और बैज आदि प्रदर्शित किये जायेंगे। मुख्य सचिव अन्टोनी डिसा ने मुख्यमंत्री को स्मारक की प्रगति की जानकारी दी। अवलोकन के दौरान मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव मनोज श्रीवास्तव और एस.के. मिश्रा, प्रमुख सचिव लोक निर्माण के.के.सिंह, प्रमुख सचिव नगरीय प्रशासन एस.एन. मिश्रा और मुख्यमंत्री के सचिव विवेक अग्रवाल उपस्थित थे।
शौर्य स्मारक भोपाल नगर के महत्वपूर्ण एवं दर्शनीय स्थल चिनार पार्क के समीप अरेरा पहाड़ी पर बनाया जा रहा है। इसके रूपांकन में जीवन-मृत्यु, युद्ध शांति, मोक्ष-उत्सर्ग जैसे जटिल अव्यक्त अनुभवों को सरल, सहज तरीके से रूपांकित करने के लिये आकार, रंग-रूप, सामग्री और तकनीक का उपयोग किया जा रहा है। दीवार, छत, रंग-रूप, सामग्री और तकनीक का रोचक ताना-बाना बुना गया है। अरेरा पहाड़ी की भौगोलिक विशेषताओं, उतार-चढ़ाव, चट्टानों के बीच जीवन का उत्सव मनाते वृक्षों को प्रतीकों के रूप में रूपांकन में बखूबी से उपयोग किया गया है। स्मारक में जीवन की विभिन्न अवस्थाओं यथा-जीवन, युद्ध का रंगमंच, मृत्यु तथा मरणोपरान्त जीवन को प्रांगणों की श्रंखला के रूप में दर्शाया जायेगा।
स्मारक में प्रवेश करते ही मिट्टी के रंग तथा घास लगी सीढ़ियों से निर्मित चौकोर खुला आँगन मन को एक सरल तथा पवित्र वातावरण का अनुभव करवायेगा। चौकोर आँगन वाले प्रवेश प्रांगण के अनुभव के पश्चात आगंतुक एक वृत्त आकार के आँगन में पहुँचेगा। वृत्त का यह आकार युद्ध की विभीषिका से आहत धरती को दर्शायेगा। मृत्यु की भयावहता के दर्शन के लिये स्मारक में एक छोटा वर्गाकार क्षेत्र पूर्णत: अंधकारमय तथा काला होगा जिसमें एक बारीक छिद्र के माध्यम से प्रकाश की अटूट किरण प्रवेश करेगी। दिन में प्राकृतिक प्रकाश तथा रात में फाइबर आप्टिक्स लाईट से उत्सर्जित प्रकाश की बारीक रेखा आत्मा की द्योतक होगी, जो मृत्यु उपरांत देह का त्याग करती है।
आत्मा की अजर-अमरता के दर्शन के लिये परिसर प्रांगण में 2 से 3 मीटर ऊँची धातु की छड़ों को सेना की टुकड़ियों की तरह सुव्यवस्थित रूप से स्थापित किया जायेगा। इन छड़ों के उपरी सिरों पर फाइबर आप्टिक्स लाइट्स के प्रकाश पुँज रात के अंधेरे में जगमगायेंगे। एक 300 मीटर ऊँची लेजर बीम का प्रकाश, स्मारक की उपस्थिति एवं अस्तित्व को रात्रि में भी स्थापित करेगा। धातु की छड़ें तथा लेजर बीम के आधार पर बिछी जल की चादर, शांति तथा पवित्रता का प्रतीक होगी। प्रांगण में निर्मित वातावरण से आगंतुकों को जीवन के चरम लक्ष्य को प्राप्त शूरवीरों के बलिदान का अहसास होगा। इससे उनके मन में सहज ही शूरवीरों के प्रति नमन का भाव जागृत होगा।