भोपाल, जनवरी 2013/ मध्यप्रदेश सरकार द्वारा वर्ष 2012 में घोषित वेयर-हाउसिंग एण्ड लॉजिस्टिक्स नीति का तेजी से क्रियान्वयन शुरू हो गया है। पिछले साल गेहूँ के रिकार्ड के उत्पादन को देखते हुए राज्य सरकार ने निजी क्षेत्रों की भागीदारी के लिये वेयर-हाउस नीति लागू की है। नीति के अन्तर्गत 15 लाख मीट्रिक टन भण्डारण क्षमता निर्मित करने के लिए केपिटल तथा इन्ट्रेस्ट सब्सिडी का प्रावधान रखा गया है।
नीति के तहत वेयर-हाउसिंग एण्ड लॉजिस्टिक्स कार्पोरेशन द्वारा निवेशकों से ऑनलाईन आवेदन लेने की प्रक्रिया 10 जनवरी से प्रारंभ की गई। आवेदन की प्रक्रिया 31 जनवरी तक चलना है, लेकिन पहले दिन ही इसके उत्साहजनक परिणाम सामने आए। आवेदन लेने के एक घंटे के भीतर अर्थात 11 बजे तक 15 लाख मीट्रिक टन की पूर्ण क्षमता के आवेदन प्राप्त हो चुके थे। पहले दिन दोपहर तक 217 आवेदन प्राप्त हो चुके थे। आवेदन लेने की प्रक्रिया आज भी जारी रही। पात्र आवेदकों द्वारा लगभग 35 जिलों में ऑनलाईन आवेदन भरने से मध्यप्रदेश सरकार की इस नीति की सफलता स्वमेव सिद्ध हो गई है। आवेदकों को प्रत्याभूति शुल्क जमा करने के लिए पाँच दिन का समय दिया गया था, लेकिन अनेक आवेदकों ने आवेदनों के साथ ही यह शुल्क जमा कराया। पाँच दिन बाद आवेदनों का विश्लेषण कराया जायेगा।
वेयर-हाउस नीति को मिल रही सफलता दर्शाती है कि मध्यप्रदेश देश का पहला राज्य है, जिसने वेयर हाउसिंग के क्षेत्र में नीति तैयार कर आवेदन प्राप्त करने की पारदर्शी प्रक्रिया अपनाई है। गोदाम बनाने की इस नीति में निवेशकों को मिलने वाली सुविधाओं के कारण उनमें भारी उत्साह भी देखा जा रहा है।
वेयर-हाउस नीति को सफल बनाने के लिए गत 9 अक्टूबर को भोपाल में निवेशकों की इनवेस्टर्स मीट भी आयोजित की गई थी। इनवेस्टर्स मीट के दौरान निवेशकों से सुझाव भी लिए गये थे। नीति के नियम बनाते समय भी इस बात का पर्याप्त ध्यान रखा गया कि निवेशकों की अधिकाधिक भागीदारी हो ताकि भण्डारण की पुख्ता व्यवस्था मध्यप्रदेश में हो सके।
उल्लेखनीय है राज्य सरकार ने नई भण्डारण नीति में वेयर हाउस को उद्योग का दर्जा दिया है। प्रदेश सरकार ने 20 लाख मीट्रिक टन गोदाम निर्माण का लक्ष्य रखा है। वर्ष 2007-08 में जहाँ प्रदेश में भण्डारण क्षमता 64 लाख मीट्रिक टन थी, वहीं यह वर्ष 2011 में बढ़कर 91 लाख मीट्रिक टन हो गई। अब इसे 2013-14 तक बढ़ाकर 151 लाख मीट्रिक टन करने का लक्ष्य है। इसमें 52 लाख मीट्रिक टन प्रायवेट वेयर-हाउसिंग की क्षमता का लक्ष्य रखा गया है। इस प्रकार अगले दो साल में लगभग 60 लाख मीट्रिक टन भण्डारण क्षमता विकसित करने का लक्ष्य है। नई भण्डारण नीति 20 लाख मीट्रिक टन क्षमता को ध्यान में रखकर बनाई गई है।