यह पट्टी विधायकों के नहीं, लोकतंत्र के मुंह पर है…

मध्‍यप्रदेश में सत्‍तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी ने अगले चुनाव की तैयारियों के लिए सक्रियता बढ़ाते हुए 14 और 15 फरवरी को चर्चित पर्यटन स्‍थल पचमढ़ी में अपने विधायकों की बैठक रखी। ‘प्रशिक्षण वर्ग’ के नाम से आयोजित इस बैठक में अंदर क्‍या-क्‍या हुआ वह अलग बात है, लेकिन जो बातें बाहर आईं वे चिंता में डालने वाली हैं। चौंकिए मत… मैं भाजपा की चिंता की नहीं बल्कि प्रदेश की जनता के लिए चिंता की बात कर रहा हूं।

बैठक में सत्‍ता-संगठन में तालमेल, योजनाओं के क्रियान्‍वयन, भावी योजनाओं की रूपरेखा जैसे घिसे पिटे विषयों पर तो बात हुई ही, लेकिन सबसे ज्‍यादा जोर विधायकों के मुंह बंद करने पर रहा। सत्‍ता और संगठन दोनों के मुखियाओं ने विधायकों को इस बात की हिदायत दी कि वे खासतौर से विधानसभा में सरकार की आलोचना से बाज आएं।

इस हिदायत के पीछे सरकार के कई कड़वे अनुभव हैं। पिछले कई सत्रों से देखा जा रहा है कि मुख्‍य विपक्षी दल कांग्रेस से ज्‍यादा सरकार की घेराबंदी तो खुद भाजपा के ही विधायक कर रहे हैं। अपने ही विधायकों के सवालों और व्‍यवहार ने सरकार को सदन में कई बार मुश्किल में डाला है। एक बार तो यह नौबत आ गई थी कि खनिज से जुड़े एक मामले में सत्‍तारूढ़ दल के विधायकों ने अपने ही मंत्री को सदन में घेर लिया था। मैं उस घटना का प्रत्‍यक्ष गवाह हूं। एक विधायक ने अफसरों पर भ्रष्‍टाचार का आरोप लगाते हुए यहां तक कह दिया था कि या तो आप उस अफसर पर कार्रवाई करो या फिर मुझे सदन से निकाल दो। बड़ी मुश्किल से पार्टी के फ्लोर मैनेजरों ने वह स्थिति संभाली।

सदन में ऐसे मौके तो दर्जनों बार आए हैं जब भाजपा विधायकों ने मंत्री या सरकार पर सीधे सीधे आरोप लगाया है कि वे झूठ (संसदीय शब्‍दावली के हिसाब से ‘असत्‍य’) बोल रहे हैं या फिर गलत जानकारी देकर सदन को गुमराह कर रहे हैं। यदि आप सदन की कार्यवाही का इतिहास उठाकर देख लें तो ऐसे किस्‍सों और आरोपों की भरमार मिलेगी।

खैर… कुल मिलाकर बात यह है कि विपक्ष के कमजोर होने की खानापूरी खुद सत्‍तारूढ़ दल के विधायक ही सदन में करते आए हैं। इसका फायदा यह रहता आया है कि प्रदेश की कई समस्‍याओं पर सदन में या तो बहस हो सकी है या फिर सरकार को समस्‍याओं के समाधान की ओर ध्‍यान देना पड़ा है। लेकिन अब विधायकों को निर्देशित कर दिया गया है कि अपना मुंह बंद रखें। खासतौर से ऐसी कोई हरकत न करें जिससे सरकार सदन में मुसीबत या उलझन में पड़े।

विधायकों के लिए ये निर्देश विधानसभा का बजट सत्र शुरू होने के ठीक एक सप्‍ताह पहले जारी हुए हैं। देखना होगा कि सरकार और संगठन के मुखिया के इन निर्देशों का भाजपा विधायक सदन में कितना पालन या सम्‍मान करते हैं। लेकिन यदि इस फरमान का थोड़ा-सा भी असर हुआ, तो यकीन जानिए कि विधानसभा का बचाखुचा महत्‍व भी खत्‍म हो जाएगा। मध्‍यप्रदेश की जनता के लिए यह स्थिति बहुत त्रासद होगी।

प्रदेश के लिए यह विडंबना ही है कि एक तरफ कांग्रेस है जो लंबे समय से यह तक तय नहीं कर पा रही है कि विधानसभा में उसके विधायक दल का स्‍थायी नेता यानी नेता प्रतिपक्ष कौन होगा? पूर्व नेता प्रतिपक्ष सत्‍यदेव कटारे के गंभीर रूप से बीमार होने के कारण इस पद के लिए कांग्रेस ने जो कामचलाऊ व्‍यवस्‍था बनाई थी वह श्री कटारे के निधन के बाद भी जारी है। कांग्रेस विधायक दल में सदन के भीतर अनेक मुद्दों पर एकजुटता में कमी भी साफ नजर आती रही है। ऐसे में सत्‍तारूढ़ दल के विधायकों का मुंह भी बंद हो जाएगा तो फिर सदन में बचेगा क्‍या?

दूसरी बात असंतोष या असहमति से निपटने के तरीके की है। हाल ही में एक सार्वजनिक कार्यक्रम के दौरान भाजपा के राज्‍यसभा सदस्‍य रघुनंदन शर्मा ने पूर्व मुख्‍यमंत्री बाबूलाल गौर की मौजूदगी में जब यह कहा कि कई बार मैं खरी-खरी बात कहने के कारण मुश्किल में फंस जाता हूं, तो गौर साहब पार्टी नेतृत्‍व की ओर इशारा करते हुए बोले- ‘’वे (पार्टी के आला नेता) चाहते हैं कि आप उचित मंच पर अपनी बात उठाएं…’’ इस पर रघुनंदन शर्मा ने जवाब दिया- ‘’जनता के मंच से बड़ा कौनसा मंच है? हम जनता के सामने बात नहीं रखेंगे तो कहां रखेंगे।‘’

इसी तर्ज पर सवाल उठता है कि विधायकों के लिए प्रश्‍न पूछने या समस्‍याएं उठाने का विधानसभा से बड़ा कौनसा मंच है? यदि वे विधानसभा में नहीं बोलेंगे तो कहां बोलेंगे? यदि विधानसभा में ही उनका मुंह बंद किया जा रहा है तो यह हमारे संसदीय संस्‍थानों के लिए खतरे की घंटी है। और फिर इस तरह के निर्देश खुद सत्‍तारूढ़ दल और उसकी सरकार की सेहत के लिए भी ठीक नहीं। विधानसभा में सवालों के जरिए आपको कम से कम अलग-अलग इलाकों का फीडबैक तो मिल जाता है, वरना अफसरशाही तो ऐसा करने से रही। अब इस फीडबैक को भी आप बंद करवा देंगे तो जयजयकार के नगाड़ों में लोगों की कराह कैसे सुन पाएंगे?

याद रखिए वोट जनता ही देती है, नगाड़े नहीं… 

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