इन दिनों बेहद तेज गर्मी पड़ रही है. दिन-रात लू चल रही है और हमारा शरीर भी गर्म बना हुआ है. ऐसे में हमारा शरीर बाहर के तापमान के साथ और गर्म ही न होता चला जाये, यदि ऐसा होता है तो हमें हल्की या तेज लू लग सकती है।
हल्की लू को इन लक्षणों से पहचानें –
(1) गर्मी में मेहनत करते हुए अचानक आंखों के सामने अंधेरा छाना और चक्कर खाकर गिर जाना
(2) मांसपेशियों में तेज ऐंठन (स्पाज्म)
(3) मांसपेशियों में बेइंतहा दर्द
(4) बड़ी बेचैनी, घबराहट और उत्तेजित होना या पागलों जैसा व्यवहार
(5) हल्का या तेज बुखार
(6) जी मितलाना, भयंकर प्यास, तेज सिरदर्द होना या बेहद कमजोरी लगना
यह आवश्यक नहीं है कि ये सारे लक्षण एक साथ मिलें.
यह लू गर्म जगह से हटने, ठंडी हवा में एक-दो दिन आराम करने, पानी, इलेक्टोराल, आम का नमकीन पना और अन्य नमकीन शर्बत पीने मात्र से एक-दो दिन में ही ठीक हो जाती है.
तेज लू या हीट स्ट्रोक में क्या होता है?
(1) तेज बुखार (मुंह या रेक्टल तापमान 40 डिग्री सेल्सियस यानी 104-105 डिग्री फैरिनहाइट या इससे ज्यादा होना)
(2) बदन इतना गर्म होने के बावजूद पसीना एकदम बंद हो जाए. त्वचा सूख जाए.
(3) विचित्र मानसिक लक्षण दिखें (मरीज बेहोश हो जाए, गफलत में हो या आंय-बांय बोल रहा हो)
इस मरीज की हालत बड़ी तेजी से बिगड़ती है. यदि अगले एक घंटे में उसके बढ़े हुये तापमान को नीचे नहीं लाया जाए तो मरीज के बचने की उम्मीद बहुत कम हो जाती है.
इस खतरना हीट स्ट्रोक का इलाज क्या है?
(1) इसमें एक-एक मिनट कीमती होता है. जितनी जल्दी आप मरीज़ का बुखार कम करेंगे, उतनी ही उसकी जान बचने की संभावना बढ़ जाएगी.
(2) बुखार उतारने की आम दवाएं (पैरासिटामोल आदि) ट्राई न करें क्योंकि ये दवाएं इस बुखार में बिल्कुल काम नहीं करेंगी.
(3) बुखार को एक घंटे के अल्प समय में ही कम करना है और इसके लिये युद्धस्तर पर कोशिश करनी पड़ती है.
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तुरन्त यह उपाय अपनाएं-
ऐसे मरीज को बहुत तगड़ी कोल्ड स्पॉन्जिंग की तुरंत आवश्यकता होती है. यह कोल्ड स्पॉन्जिंग दो-तीन तरह से की जा सकती है –
-एक से पांच डिग्री के बर्फीले पानी से भरे बाथ टब में मरीज को गले तक डुबाकर रखना.
-या फिर मरीज के पूरे कपड़े उतार दें. उसे एक करवट से लिटा दें. उसके नंगे बदन पर ठंडे पानी (20 डिग्री सेल्सियस के आसपास) का स्प्रे डालें और तेज गति का बड़ा पंखा चलाते रहें.
-या फिर उसके पूरे कपड़े उतारने के पश्चात उसके नंगे बदन पर ठंडे पानी से भीगी पतली चादरें डालकर तेज पंखा चला दें.
-आइस केप में बर्फ भर लें. इस ठंडी आइस केप को शरीर पर चार जगहों पर रखें – मरीज के माथे और सिर पर, दोनों कांखों (एक्जिला) में, गले पर सामने की तरफ और दोनों जांघों के संधि स्थल पर, यानि जांघ और पेट के मिलने की जगह पर.
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लू होती क्या है-
हमारे शरीर की यह तासीर है कि आसपास का वातावरण यदि गर्म हो तो वह पसीने की मात्रा बढ़ाकर त्वचा द्वारा हवा में ताप उत्सर्जित करके अतिरिक्त गर्मी शरीर से बाहर निकालता रहता है.
लेकिन शरीर यह काम एक निश्चित सीमा तक ही कर सकता है. हमें एक घंटे में अधिकतम ढाई लीटर तक पसीना आ सकता है. फिर भी यदि हम उसी भयंकर गर्म वातावरण में शारीरिक मेहनत का काम करते रहें तो हमारे शरीर का यह सिस्टम, एक सीमा के बाद असफल होने लगता है. पसीना कम होने लगता है और त्वचा से ताप के उत्सर्जन की दिशा उल्टी हो जाती है.
तब हमारे शरीर का तापमान पूरी तरह बाहर की तेज गर्मी के हवाले हो जाता है. ऐसे में हमें बुखार होने लगता है. शुरू में कम बुखार. फिर इस तेज गर्मी में शरीर के थर्मोस्टेट का पूरा सिस्टम फेल हो जाएगा और हमें इतना तेज बुखार हो जाएगा कि उसके असर में शरीर का हर सिस्टम फेल होने लगेगा. यही स्थिति तेज़ लू लगना या हीट स्ट्रोक कहलाती है. यह इतनी खतरनाक होती है कि पूरे इलाज के बाद भी करीब 63 प्रतिशत लोग इससे मर जाते हैं.
लेकिन कामकाजी युवाओं को घर से निकलना जरूरी है, घर नहीं बैठा जा सकता। इसलिए-
-दोपहर को घर से निकलते समय एसी से एकदम धूप-लू में न निकलें।
-पर्याप्त मोटे कपड़े पहन कर निकलें।
-पूरी बांह की शर्ट पहनें।
-हल्के रंग या सफेद कपड़े- तौलिये का उपयोग करें।
-सिर-मुंह को अच्छी तरह तौलिए से लपेट कर निकलें।
-बाइक सवार इसीके साथ काला चश्मा जरूर लगाएं।
-निकलने से पहले पेट भर कर पानी पिएं।
-गन्तव्य पर पहुंच कर थोड़ी देर बाद फिर खूब पानी पिएं।
-नीबू पानी,कैरी पना, छाछ, लस्सी औऱ कोल्ड ड्रिंक मौका मिलते ही गटकते रहें।
अपना ख्याल रखेें, स्वस्थ रहें…