आज की कविता- फैशन है…

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फैशन है 
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हाँ जी,हाँ जी,हाँ जी,हाँ जी फैशन है
राजनीति में टल्लेबाजी फैशन है
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कुर्सी राजधर्म है सबका समझो तो
वरना तो सबकी नाराजी फैशन है
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भानुमती के कुनबे से रिश्ता सबका
मार रहे हैं खुल कर भांजी फैशन है
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चूना लगा रहे हैं,मिलकर जनता को
बाबा,पंडित या मुल्ला जी फैशन है
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मंजे जुआरी हैं अपने सब जनसेवक
जीतें चाहे हारें बाजी फैशन है
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उंगली दबा रखी है कितने वर्षों से
साथ निभाना राजी-राजी फैशन है
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तुर्रम खां हैं देशी सभी सियासत में
कोई सिकंदर,कोई गाजी,फैशन है
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सुनो अचल जी दूध धुला अब कोई नहीं
उठा रखी सबने गंगा जी, फैशन है
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(@ राकेश अचल की फेेसबुक वाॅॅल से साभार)

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