मंगलवार की रात पूरी दुनिया ने चैन की सांस ली होगी कि दुबई में दिवंगत भारत की चर्चित फिल्म अभिनेत्री श्रीदेवी का पार्थिव शरीर आखिरकार अपने देश की जमीन पर लैंड कर गया। रविवार तड़के जब से श्रीदेवी के दुबई में निधन की खबरें आना शुरू हुई थीं तब से लेकर उनका शव मुंबई आने तक मीडिया में जो तमाशा हुआ वह भारतीय मीडिया के खोखलेपन की पोल खोलने वाला है।
खबर आने के बाद से ही मीडिया काम पर लग गया था और उसने पहली ब्रेकिंग यह पटकी कि श्रीदेवी की मौत ‘हार्ट अटैक’ से हुई। देखते ही देखते सारे चैनलों पर श्रीदेवी का हार्ट अटैक छा गया। डॉक्टरों की बन आई और वे अलग अलग चैनलों पर बैठकर लोगों को हार्ट अटैक की बारीकियां समझाने लगे।
इसी बीच कुछ लोगों ने महसूस किया कि कुछ अलग करना चाहिए। बस वे श्रीदेवी की दिनचर्या निकाल लाए। फिल्म जगत को कवर करने वाले संवाददाता बताने लगे कि वो तो बहुत ही नियमित जीवन जीने वाली ‘विदुषी’ थीं। खानपान पर विशेष ध्यान देने के अलावा वे प्रतिदिन व्यायाम आदि भी किया करती थी लिहाजा उन्हें हार्टअटैक कैसे हो सकता है?
जब लोग श्रीदेवी को हार्ट अटैक हो सकने या नहीं हो सकने की बहस करवा रहे थे, तभी कोई पुरानी फाइल से यह स्कूप निकाल लाया कि उन्होंने खुद को जवान और खूबसूरत बनाए रखने के लिए दो दर्जन से अधिक सर्जरीज करवाई थीं। श्रीदेवी की सर्जरी की यह संख्या किसी ने 29 तो किसी ने 35 तक बता डाली। फिर क्या था, बहस इस पर मुड़ गई कि हो न हो इन सर्जरी का ही परिणाम रहा होगा कि उन्हें हार्ट अटैक आया।
फिर एक आदमी चला और नया फंडा ढूंढ लाया कि चूंकि उन्होंने ‘लिप सर्जरी’ कराई थी, इसलिए उसके कारण ही उन्हें हार्ट अटैक आया। चैनलों पर फिर डॉक्टरों का पैनल बैठा जो इस बात पर बहस करता रहा कि कॉस्मेटिक सर्जरी के कारण हार्ट अटैक का खतरा होता है या नहीं। एक डॉक्टर बोले कॉस्मेटिक सर्जरी बहुत सेफ होती है, उससे ऐसा कोई खतरा हो ही नहीं सकता, तो एक विशेषज्ञ ने बात काटते हुए कहा नहीं मैंने ऐसे कई केसेस देखे हैं जिनमें ऐसी सर्जरी कराने के बाद व्यक्ति कई तरह से जोखिम में आ सकता है।
उधर परंपरागत रूप से करीब करीब सारे चैनलों पर श्रीदेवी के फिल्मी योगदान के एपिसोड चल ही रहे थे। नौ नौ चूडि़यों से लेकर चांदनी तक उनके फिल्मी गानों और सफर को सतत दिखाया जा रहा था। श्रीदेवी मरने के बाद भी अच्छी खासी कमाई करवा रही थीं। गाने सहज उपलब्ध थे, करना धरना कुछ था नहीं, तो हरेक ने ‘चली गई चांदनी’ से लेकर ‘सदमा दे गई चांदनी’ टाइप के टाइटल देते हुए विशेष कार्यक्रम चलाए। चांदनी के इस धंधे में चैनलों की चांदी थी, क्योंकि खर्चा कुछ करना नहीं था और दर्शक भरपूर मिल रहे थे।
कुछ लोग फिल्म समीक्षकों को बैठाकर श्रीदेवी के फिल्मी सफर पर बात कर रहे थे, तो कुछ को यह चिंता थी कि अब जाह्नवी का क्या होगा। जाह्नवी यानी श्रीदेवी की बेटी। चिंता इस बात की कि बेटी की डेब्यू फिल्म आने वाली है और मां उसके पास नहीं होगी। घटना को टीवी सीरियल जैसा मोड़ देते हुए पारिवारिक मेलोड्रामा तैयार किया गया। केंद्र में थीं श्रीदेवी और उनकी बेटियां जाह्नवी और खुशी।
अच्छा, खबरें जरूर पटकी जा रही थीं पर असलियत में किसी को कुछ पता नहीं था कि दुबई में आखिर हुआ क्या है। बस खलीज टाइम्स जो कहता भाई लोग उसे सनसनी या ब्रेकिंग न्यूज बनाकर परोस देते। दुबई के सख्त कानून और ऐसे मामलों में मीडिया की घुसपैठ न होने देने के चाक चौबंद इंतजामों के चलते हर कोई कयास को ही खबर बनाकर घसीट रहा था। कभी यह बताया जाता कि बोनी कपूर श्रीदेवी को सरप्राइज डिनर देना चाहते थे तो कभी यह बताया जाता कि श्रीदेवी दो दिन से होटल के कमरे से बाहर नहीं निकली थीं।
इधर भारत में चैनल श्रीदेवी के अंतिम संस्कार की तैयारी कर रहे थे उधर दुबई पुलिस पूरे मामले की जांच में लगी थी। इधर श्रीदेवी की कथित अंतिम इच्छा के अनुरूप उनके शववाहन और अंतिम यात्रा को सफेद फूलों से सजाए जाने की खबरों के बीच मुंबई के मालियों और फूलवालों के इंटरव्यू हो रहे थे, उधर श्रीदेवी के परिवार वाले उनके पार्थिक शरीर को देखने तक से मोहताज थे।
अचानक मानो किसी ने बम पटका। दुबई से अपडेट खबर आई, निश्चित तौर पर खलीज टाइम्स आदि के हवाले से, कि श्रीदेवी की मौत हार्ट अटैक से नहीं बल्कि बॉथ टब में डूबने से हुई है। इस खबर ने मीडिया को नाक कटी मुद्रा में ला दिया। लेकिन वह कटी नाक लेकर ही फिर खड़ा हुआ और 24 घंटे पहले हार्ट अटैक और लिप सर्जरी की थ्योरी पर बहसें करवाने वाला मीडिया अब इस बात पर बहस करवा रहा था कि पांच फुट छह इंच का कोई व्यक्ति डेढ़ फुट गहरे बाथ टब में कैसे डूब सकता है?
इसी बीच क्राइम रिपोर्टर हावी हुए और इस फंडे पर भी बात चलवाने लगे कि क्या श्रीदेवी सचमुच किसी हादसे का शिकार हुई हैं या फिर….???? और भाई लोगों ने बोनी कपूर के आसपास घेरा बनाना शुरू कर दिया। थोड़ी ही देर में एक और ब्रेकिंग ने दिमाग को तोड़ा, खबर यह थी कि श्रीदेवी जब हादसे का शिकार हुईं तब वो नशे में थीं। और जो महिला थोड़ी देर पहले लोगों के दिलों की धड़कन और अपने बच्चों के लिए बेहद केयरिंग और ममतामयी मां के रूप में प्रस्तुत की जा रही थी, वह देखते ही देखते शराबखोरी में डूबी रहने वाली खलनायिका में तब्दील होती नजर आने लगी।
और जब मैं इस कॉलम की शब्द सीमा खत्म होने के कारण इसे समाप्त करने पर मजबूर हो रहा हूं तब मेरे सामने टीवी पर चैनलों के रिपोर्टर श्रीदेवी के घर के सामने से लेकर श्मशान घाट तक के बाहर खड़े होकर चीख रहे हैं, यही है वो घर जहां से श्रीदेवी की अंतिम यात्रा शुरू होगी और यही है वो श्मशान जहां चांदनी राख हो जाएगी…
मैं समझ नहीं पा रहा हूं कि यह खोखला मीडिया हमें कहां ले जाएगा। और उससे भी बड़ा सवाल यह कि इस देश को खबरें क्यों चाहिए, किसकी चाहिए और कितनी चाहिए…?