आज बात तो इन दिनों सबसे अधिक चर्चा में चल रहे कर्नाटक की ही है, क्योंकि अभी सारे लोगों का ध्यान इस राज्य की राजनीति पर ही केंद्रित है। लोग इस बात पर टकटकी लगाए हुए हैं कि जबरदस्त राजनीतिक उठापटक के बाद आने वाले दिनों में यहां क्या होता है। लेकिन मेरा विषय इस राजनीति से बिलकुल जुदा है।
ढाई दिन के मुख्यमंत्री बी.एस. येदियुरप्पा के इस्तीफे के बाद कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन की ओर से जिस दिन एच.डी. कुमारस्वामी का नाम कर्नाटक के भावी मुख्यमंत्री के रूप में तय हुआ, उसी दिन सोशल मीडिया पर उनका एक पारिवारिक चित्र नुमाया हुआ। बताया गया कि इस चित्र में वे अपनी पत्नी और एक बेटी के साथ दिखाई दे रहे हैं।
ज्यादातर लोगों ने इस फोटो के साथ जुड़ा वह मैसेज भी एक दूसरे को फॉरवर्ड किया जिसमें कहा गया था कि- ‘’इस फोटो को देखकर मेरा तो भगवान पर से भरोसा ही उठा गया।‘’ जबकि दूसरे ने इसका जवाब देते हुए कहा- ‘’इसे देखने के बाद मेरा तो सिर्फ भगवान पर ही भरोसा बचा है।‘’
देखते ही देखते यह फोटो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया और फिर तो ऐसा ट्रोल हुआ कि जिसके मन में जो आया उसने इसकी उसी हिसाब से व्याख्या कर डाली। इस दौरान कई अश्लील कमेंट भी डाले गए। उधर गूगल पर इस फोटो में दिखाई गई महिला को सर्च करने वालों की बाढ़ सी आ गई। देखते ही देखते उस महिला के और कई फोटो सोशल मीडिया पर पटक दिए गए।
खोजबीन करने पर पता चला कि कुमारस्वामी के साथ जिस महिला का फोटो वायरल हो रहा है वह उनकी पत्नी राधिका कुमारस्वामी का है और वे अपनी खूबसूरती के चलते मीडिया में ट्रेंड हो रही हैं। राधिका कन्नड फिल्मों की मशहूर अदाकारा और फिल्म प्रोड्यूसर हैं।
राधिका ने 2002 में कन्नड फिल्म ‘नीला मेघा शमा’ से अपना बॉलीवुड डेब्यू किया। उस वक्त वे नौंवी में पढ़ती थी। हालांकि उनकी पहली रिलीज फिल्म ‘नीनागागी’है, जिसमें उनके नायक विजय राघवेन्द्र थे। मीडिया रिपोर्ट्स में ही बताया गया कि राधिका ने 2006 में कुमारस्वामी से शादी की थी और उनकी एक बेटी भी है।
ये राधिका कुमारस्वामी गूगल पर पिछले एक सप्ताह में देश में सबसे ज्यादा सर्च की जाने वाली सेलिब्रिटी बन गई हैं। भारत के अलावा ओमान, कतर, यूएई और बहरीन में लोग उन्हें सर्च कर रहे हैं। ओमान में 73 प्रतिशत, कतर में 65 प्रतिशत और यूएई में 65 प्रतिशत लोग उनके बारे में जानना चाहते हैं।
लेकिन मैं जिस मुद्दे पर बात करना चाहता हूं वह कुमारस्वामी और राधिका के फोटो पर सोशल मीडिया में आए कमेंट्स को लेकर है। ऐसा हमारे यहां ही हो सकता है कि इस तरह के कमेंट्स के बावजूद न तो कहीं से कोई विरोध हो रहा है और न ही इस पर कानूनी तौर पर कोई संज्ञान लिया जा रहा है।
भारत के बजाय कोई पश्चिमी या यूरोपीय देश होता तो यकीन मानिए वहां किसी महिला के बारे में इस तरह का कमेंट होने पर बवाल हो जाता। एक आंदोलन सा खड़ा हो जाता, लेकिन हमारे यहां लोग बड़े आराम से इस फोटो पर कमेंट कर रहे हैं और उसके मजे ले रहे हैं।
दरअसल इस फोटो पर जो कमेंट किए जा रहे हैं वे विशुद्ध नस्ली या रेसियल कमेंट्स हैं। ये रंगभेद को बढ़ावा देने वाले हैं। जिसने भी सोशल मीडिया पर पहली बार यह कमेंट डाला होगा कि इस फोटो को देखकर मेरा भगवान से विश्वास ही उठ गया, उसने निश्चित रूप से अपनी नजर में कुमारस्वामी के काले रंग और उनके अपेक्षाकृत कम सुंदर होने तथा राधिका के गोरे रंग और उसकी सुंदरता को निशाना बनाते हुए ही ऐसा लिखा होगा।
ऐसा किसी भी तरह का कमेंट जिसमें किसी की जाति, वर्ण, चमड़ी के रंग आदि को लेकर भेदभावपूर्ण व्यवहार की बू आती हो वह सामाजिक और कानूनी तौर पर अपराध की श्रेणी में आता है। लेकिन विडंबना यह है कि हम इसे अपराध मानने के बजाय उसे चटखारे लेकर और आगे बढ़ा रहे हैं। उसके मजे ले रहे हैं।
भारत में आज भी गोरा और काला रंग समाज में भेदभाव का बहुत बड़ा कारण है। कई लड़कियों को अपना काला या सांवला रंग होने के कारण सामाजिक तौर पर प्रताड़ना का शिकार होना पड़ता है। खासतौर से शादी ब्याह के मामलों में। आज भी गोरी लड़कियां विवाह के लिए पहली पसंद होती हैं।
बीच में हमारे यहां यह बात जोर शोर से उठी थी कि टीवी पर रंग गोरा करने वाली क्रीमों के विज्ञापन दिखाए जाने बंद होना चाहिए। क्योंकि ये खुलेआम रंगभेद को बढ़ावा देने वाले उत्पाद का प्रचार हैं। किसी भी सभ्य समाज में इस तरह के प्रचार की स्वीकार्यता नहीं हो सकती।
इस विरोध के बाद ऐसी क्रीम का विज्ञापन करने वाले कई अभिनेताओं और अभिनेत्रियों को भी आलोचना का शिकार होना पड़ा था। एनडीटीवी जैसे चैनल ने तो घोषणा कर दी थी कि वह इस तरह के विज्ञापन नहीं दिखाएगा। कई अभिनेत्रियों और मॉडल्स ने ऐसा विज्ञापन करने से मना कर दिया था।
वर्ल्ड वेल्यूज सर्वे के अनुसार भारत नस्लीय भेदभाव के मामले में दुनिया में दूसरे नंबर पर आता है। यहां चमड़ी के रंग के अलावा कुछ खास देशों से आने वाले लोगों को बहुत अलग नजर से देखा जाता है। देश में पूर्वोत्तर राज्यों के युवक युवतियों के साथ भेदभावपूर्ण व्यवहार किए जाने की घटनाएं आए दिन सुर्खियों में रहती है।
समाज में रंग, जाति, लिंग, भाषा, खानपान जैसी अनेक बातों के आधार पर किए जाने वाले भेदभाव को लेकर संसद ने भी चिंता जताई है। कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने इस संबंध में एक बिल का मसौदा संसद में पेश किया है। Anti-Discrimination and Equality Bill, 2016 नामक इस बिल में ऐसे अपराधों के लिए सजा का प्रावधान सुझाया गया है।
बड़ा सवाल यह है कि सोशल मीडिया पर होने वाले ऐसे नस्लीय अपराध की रोकथाम के उपाय क्या हैं? अभी तो इसका कोई पुख्ता मैकेनिज्म नहीं है, यही कारण है कि आए दिन मानवीय गरिमा को कुचलने वाले कमेंट्स आते रहते हैं और ट्रोल होते रहते हैं। राजनीतिक मतभेद अपनी जगह है लेकिन उनके चलते किसी के परिवार, खासतौर से स्त्री-गरिमा को इस तरह लांछित करने के प्रयासों पर खुद राजनीतिक दलों को संज्ञान लेना चाहिए।