मध्‍यप्रदेश में ‘पिट्ठू कलेक्‍टर’ और ‘तार काटने की साजिश’

चुनाव जैसे-जैसे परवान चढ़ रहा है, राजनेताओं में गुस्‍से और प्रतिशोध का पारा भी उतना ही ऊंचा जा रहा है। एक तो वैसे ही मौसम की गरमी, दूजे चुनाव का बुखार, ऐसे में किसी का भी सामान्‍य रह पाना मुश्‍किल ही होता है। आप लाख खुद को संयत और संतुलित रखना चाहें, पेट में केरी का पना और जेब में प्‍याज डालकर निकलें, पर गाड़ी पटरी से उतर ही जाती है, संतुलन बिगड़ ही जाता है।

चुनाव में हमेशा दो तरह के लोग होते हैं। एक तो वे जो जन्‍मजात खुराफाती होते हैं। वे चुनाव में ही नहीं सामान्‍य माहौल में भी खुराफात करने या रायता फैलाने से बाज नहीं आते। दूसरे वे लोग होते हैं जो आमतौर पर संयत रहते हैं। सामान्‍यतया आप उनके स्‍वभाव में उग्रता या विध्‍वंस का तत्‍व नहीं पाते, पर पता नहीं क्‍यों चुनाव में उनका भी स्‍वभाव बदल जाता है।

अब इसे चुनाव का असर कहें या फिर वांछित परिणाम लाने का दबाव, बुधवार को मध्‍यप्रदेश के पूर्व मुख्‍यमंत्री शिवराजसिंह चौहान भी आपा खो बैठे। वे चुनावी सभा को संबोधित करने मुख्‍यमंत्री कमलनाथ के संसदीय क्षेत्र छिंदवाड़ा के चौरई में गए थे। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक जिला प्रशासन ने शिवराज के हेलीकॉप्‍टर को वहां से जल्‍दी रवाना कर दिया जिसके कारण आगे की यात्रा उन्‍हें सड़क मार्ग से करनी पड़ी।

शिवराज को चौरई के बाद उमरेठ जाना था। कलेक्‍टर के आदेश पर शिवराज का हेलीकॉप्‍टर शाम पौने पांच बजे ही छिंदवाड़ा रवाना कर दिया गया। इसका नतीजा यह हुआ कि शिवराज को कार से उमरेठ जाना पड़ा और वहां से वे रोड शो के लिए छिंदवाड़ा गए। हेलीकॉप्‍टर न मिल पाने से शिवराज इतने नाराज हुए कि उन्‍होंने सार्वजनिक रूप से कलेक्‍टर के लत्‍ते ले लिए।

शिवराज ने जनसभा के मंच से ही कहा-‘’ए पिट्ठू कलेक्‍टर सुन ले रे… हमारे भी दिन आएंगे, तब तेरा क्‍या होगा?’’ उधर कलेक्‍टर ने हेलीकॉप्‍टर को जल्‍दी रवाना किए जाने के मामले में सफाई दी है कि नागरिक उड्डयन विभाग के निर्देशानुसार हेलीकॉप्‍टर को सुबह दस बजे से शा‍म पांच बजे तक ही उड़ने की अनुमति है। हमने इसी निर्देश का पालन किया है।

घटना से नाराज भारतीय जनता पार्टी ने कहा है कि जिला प्रशासन भेदभाव कर रहा है। हम भी सरकार में रहे हैं पर हमने कभी ऐसी ओछी राजनीति नहीं की। उधर कांग्रेस ने जिला प्रशासन के अधिकारियों के खिलाफ आपत्तिजनक भाषा का उपयोग करने को लेकर चुनाव आयोग से शिवराज की शिकायत की है और आयोग ने इस संबंध में पूर्व मुख्‍यमंत्री से जवाब तलब किया है।

शिवराज जब मुख्‍यमंत्री थे तब भी ऐसे मौके कम ही आए होंगे जब उन्‍होंने सार्वजनिक रूप से ऐसी भाषा का उपयोग किया हो। एक बार प्रदेश में सरकारी कर्मचारियों के आरक्षण संबंधी मामले को लेकर उन्‍होंने अजाक्‍स के मंच से ही ‘माई का लाल’ शब्‍द का इस्‍तेमाल किया था और वह शब्‍द उनके साथ ऐसा चिपका था कि विधानसभा चुनाव में सपाक्‍स पार्टी का मुख्‍य मुद्दा बन गया। ऐसे ही एक बार शिवराज ने अफसरों को लटका देने की बात कही थी।

दूसरा मामला वर्तमान मुख्‍यमंत्री कमलनाथ के बयान का है। उन्‍होंने बुधवार को मीडिया से चर्चा करते हुए कहा कि कुछ लोग बिजली के तार काटकर, बनावटी बिजली संकट पैदा करने की साजिश कर रहे हैं ताकि राज्‍य सरकार को बदनाम किया जा सके। उन्‍होंने कहा कि प्रदेश में बिजली कटौती के कोई आदेश नहीं हैं, कुछ लोग हैं जो यह षड़यंत्र कर रहे हैं। इस मामले में कई लोगों पर कार्रवाई की गई है।

दरअसल प्रदेश के कई शहरों से, पिछले कुछ दिनों से असमय बिजली कटौती की खबरें लगातार आ रही हैं। बिजली न होने से गरमी के मौसम में लोगों को होने वाली परेशानी मीडिया की सुर्खियों में है। ऐन चुनाव के मौके पर आ रही ऐसी खबरों से खराब हो रहे माहौल ने सत्‍तारूढ़ दल को परेशानी में डाला है। मंत्रिमंडल की बैठकों से लेकर पार्टी की बैठकों तक में इस बात पर चिंता जाहिर की गई है कि बिजली कटौती से कांग्रेस व सरकार के खिलाफ नाराजी पनप रही है।

बिजली का यह संकट कांग्रेस के लिए इसलिए भी परेशान करने वाला है क्‍योंकि पंद्रह साल पहले भाजपा ने पानी, बिजली और सड़क की दुर्दशा के मुद्दों पर ही कांग्रेस से सत्‍ता छीनी थी। उस समय की दिग्विजयसिंह सरकार को ‘बंटाढार’ सरकार की संज्ञा दी गई थी और कांग्रेस को इसका राजनीतिक खमियाजा भुगतना पड़ा था। इस बार लोकसभा चुनाव में न सिर्फ प्रदेश में कांग्रेस की सरकार है बल्कि दिग्विजयसिंह खुद भी भोपाल से लोकसभा का चुनाव लड़ रहे हैं। ऐसे में बिजली संकट ने भाजपा को कांग्रेस के खिलाफ बड़ा मुद्दा दे दिया है और वह इसी आधार पर लोगों को पंद्रह साल पुराने दिन याद दिला रही है।

पर बड़ा सवाल यह है कि क्‍या सरकार बदल जाने पर प्रशासनिक मशीनरी का रवैया भी राजनीतिक हो जाना चाहिए। छिंदवाड़ा जिले में शिवराज ने जो कहा वह इसलिए भी सोचने को विवश करता है कि ये ही शिवराज चंद महीनों पहले प्रदेश के मुख्‍यमंत्री थे और ये ही अफसर उनके कलेक्‍टर, कमिश्‍नर, एसपी और आईजी आदि हुआ करते थे। तब विधानसभा चुनाव के दौरान कमलनाथ ने भी अफसरों को चेतावनी देते हुए कहा था कि 11 दिसंबर के बाद 12 दिसंबर भी आएगा।

दूसरा मामला तो इसलिए भी और गंभीर है कि खुद मुख्‍यमंत्री यह कह रहे हैं कि प्रदेश में कुछ लोग तार काटकर बिजली का बनावटी संकट पैदा कर रहे हैं। यानी एक तरफ विपक्षी दल का एक वरिष्‍ठ नेता और पूर्व मुख्‍यमंत्री कलेक्‍टर पर आरोप लगा रहा है कि प्रशासन भेदभावपूर्ण कार्रवाई कर रहा है। वहीं प्रदेश के वर्तमान मुख्‍यमंत्री का कथन है कि उन्‍हीं की सरकार के अधीन कुछ लोग हैं जो बिजली कटौती की साजिश कर रहे हैं।

ये दोनों ही स्थितियां सुचारू सत्‍ता संचालन के लिहाज से ठीक नहीं हैं। ये गुड गवर्नेंस की निशानी तो खैर नहीं ही है, कार्यपालिका की कार्यप्रणाली और उसमें बहुत गहरे तक पैठ चुके राजनीतिक वायरस की ओर भी इशारा करती हैं।

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