राकेश अचल
विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र के अगुआ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके लौह पुरुष गृहमंत्री अमित शाह के रहते हुए यदि दुनिया का सबसे बड़ा वैक्सीन निर्माता असुरक्षा के कारण देश छोड़कर सपरिवार देश के बाहर चला जाये तो इससे ज्यादा शर्म और डूब मरने वाली दूसरी बात कोई हो नहीं सकती क्योंकि ये बात विपक्ष के किसी नेता ने नहीं कही बल्कि उन अदार पूनावाला ने कही है जो वैश्विक महामारी कोरोना से बचाव के लिए भारतीयों के लिए दिन-रात वैक्सीन बनाने में जुटे हुए थे।
भारतीय वैक्सीन कोविशील्ड की निर्माता कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट के सीईओ अदार पूनावाला ने खुद बताया है कि उन्हें वैक्सीन के लिए देश के ताकतवर लोग धमका रहे हैं। इसलिए वे अभी ब्रिटेन से भारत नहीं लौटेंगे। देश में महामारी थम नहीं रही है, टीकों की किल्लत हो रही है, इस बीच वैक्सीन के लिए दबाव बनाने और धमकी भरे फोन करने के मामले का सामने आना चिंता पैदा करने वाला है।
देश में कोरोना की दूसरी विनाशकारी लहर के बीच पुणे की सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) के सीईओ अदार पूनावाला ने कोविड-19 की वैक्सीन की आपूर्ति बढ़ाने को लेकर अपने ऊपर भारी दबाव की बात कही है। उन्होंने कहा कि सब भार उनके सिर पर पड़ रहा है, जबकि यह काम उनके अकेले के वश का नहीं है। याद रहे कि आज भारत में 24 घंटे के भीतर 392562 नए मरीज सामने आये हैं और 3688 की मौत हो गयी है।
पूनावाला के आरोप में दम इसलिए भी जान पड़ता है क्योंकि हाल ही में अदार पूनावाला को केंद्र सरकार ने वाय श्रेणी की सुरक्षा भी मुहैया कराई है। केंद्र द्वारा वाय श्रेणी की सुरक्षा दिए जाने के बाद अपनी पहली टिप्पणी में अदार पूनावाला ने लंदन के अखबार ‘द टाइम्स’ के साथ बातचीत में कहा कि कोविशील्ड वैक्सीन की आपूर्ति की मांग को लेकर भारत के सबसे शक्तिशाली लोगों में से कुछ ने उनसे फोन पर आक्रामक बातें की हैं। उनके पास मुख्यमंत्रियों, व्यावसायिक महारथियों जैसे लोगों के आक्रामक फोन आ रहे हैं और उन्हें कोविशील्ड की तत्काल आपूर्ति के लिए कहा जा रहा है।
अब सवाल ये है कि भारत में प्रधानमंत्री और गृहमंत्री के बाद ऐसा कौन सा तीसरा, चौथा या पांचवां ताकतवर आदमी है जो पूनावाला से आक्रामक तरीके से बात कर उन्हें धमका सकता है? सरकार की ओर से पूनावाला के आरोप के बाद कोई सफाई आयी नहीं है इससे ये आशंका प्रबल होती है कि पूनावाला को धमकाने वाले लोग हो न हो सत्तारूढ़ दल के ही लोग होंगे। यदि ऐसा नहीं है तो सरकार को पूनावाला के आरोपों का स्वयं संज्ञान लेकर दोषियों के खिलाफ आपराधिक प्रकरण दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार करना चाहिए था।
अदार पूनावाला ने इस दवाब के चलते ही वह अपनी पत्नी और बच्चों के साथ लंदन आ गए हैं। पूनावाला ने ब्रिटिश समाचार पत्र से कहा, ‘मैं यहां (लंदन) तय समय से अधिक रुक रहा हूं, क्योंकि मैं उस स्थिति में वापस नहीं जाना चाहता। सब कुछ मेरे कंधों पर पड़ गया है, लेकिन मैं इसे अकेले नहीं कर सकता। मैं ऐसी स्थिति में नहीं रहना चाहता, जहां आप सिर्फ अपना काम करने की कोशिश कर रहे हों, और सिर्फ इसलिए कि आप हर किसी की जरूरत को पूरा नहीं कर सकते, आप अंदाजा नहीं लगा सकते कि बदले में वे क्या करेंगे।’
उन्होंने कहा, ‘लोगों की उम्मीद और उग्रता का स्तर वास्तव में अभूतपूर्व है। यह बहुत अधिक है। सभी को लगता है कि उन्हें वैक्सीन मिलनी चाहिए। वे समझ नहीं सकते कि उनसे पहले किसी और को यह क्यों मिलनी चाहिए।’ उन्होंने साक्षात्कार में संकेत दिया कि उनकी लंदन यात्रा भारत के बाहर वैक्सीन निर्माण बढ़ाने की व्यावसायिक योजनाओं से भी जुड़ी हुई है और लंदन उनकी पसंद में शामिल हो सकता है। जब उनसे भारत के बाहर वैक्सीन उत्पादन के ठिकानों के बारे में पूछा गया, तो पूनावाला ने कहा कि ‘अगले कुछ दिनों में एक घोषणा होने जा रही है।’ ‘हम वास्तव में सभी की मदद के लिए हांफ रहे हैं।’
मुझे लगता था कि पूनावाला ने सरकार के साथ सांठगांठ कर ली थी लेकिन अब लगता है कि दाल में काला कुछ ज्यादा ही है अन्यथा अदार पूनावाला ये कभी नहीं कहते कि ‘मुझे नहीं लगता कि भगवान को भी अंदाजा होगा कि हालात इतने खराब होने वाले हैं।’ पूनावाला ने पहली बार मुनाफाखोरी के आरोप को पूरी तरह से गलत बताया और कहा कि कोविशील्ड अभी भी दुनिया की सबसे सस्ती वैक्सीन है। हमने कुछ भी गलत या मुनाफाखोरी नहीं की है। मैं प्रतीक्षा करूंगा कि इतिहास हमारे साथ न्याय करे।
अब सवाल ये है कि जब देश में जनता को वैक्सीन उपलब्ध कराने वाले लोग ही असुरक्षित हैं तो सुरक्षित बचा कौन है? पूनावाला को धमकी का ही नतीजा जान पड़ता है कि देश में 18 वर्ष की उम्र के लोगों को टीका लगाने का पूर्व घोषित अभियान नाकाम हो गया। इस नाकामी का ठीकरा मैं माननीय प्रधानमंत्री या गृहमंत्री के ऊपर तो फोड़ने से रहा, क्योंकि कोई इस पर भरोसा नहीं करेगा। ये दोनों भरोसे के लायक होते तो पूनावाला भारत से क्यों पलायन करते। मुझे लगता है कि यदि केंद्र सरकार ने दूरदृष्टि से काम लिया होता और पूरे देश के लिए निशुल्क वैक्सीन देने का संकल्प लिया होता तो ये स्थिति नहीं बनती। सरकार ने अपने लिए अलग, राज्यों के लिए अलग और निजी अस्पतालों के लिए वैक्सीन के अलग दाम तय कर ये स्थितियां पैदा की हैं कि लोग वैक्सीन उत्पादक को ही सीधे धमकाने की हिमाकत करने लगे।
पूनावाला द्वारा किये गए रहस्योद्घाटन से पूरी दुनिया में भारत की प्रतिष्ठा मिट्टी में मिल गयी है। इस्तीफा देने के लिए पूनावाला का आरोप पर्याप्त आधार है लेकिन सत्ता से चिपके रहने वाले लोग ऐसा नैतिक काम भूलकर भी नहीं करते। मुमकिन है कि वे खुद पूनावाला को धमकाने लगें कि उन्होंने देश के बाहर जाकर अपना मुंह सरकार के खिलाफ क्यों खोला? अब ये आपके ऊपर है कि आप आज पांच राज्यों के विधान सभा चुनावों के परिणामों में दिलचस्पी लें या पूनावाला के आरोपों में। (मध्यमत)
डिस्क्लेमर- ये लेखक के निजी विचार हैं।
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