तेरे गड्ढे मेरे गड्ढे, आगे गड्ढे पीछे गड्ढे!!!

कुछ साल पहले तक, ट्रेन से दिल्‍ली की ओर की जाने वाली यात्रा के दौरान, खिड़की से बाहर देखते वक्‍त,यात्रियों का पेड़-पौधों और खेत खलिहान के अलावा यदि और किसी चीज से सामना होता था, तो वह थी बड़े बड़े अक्षरों में चूने से लिखी एक सूचना-‘’रिश्‍ते ही रिश्‍ते, मिल तो लें- प्रो. अरोरा‘’ जिन लोगों को प्रो. का पूरा मतलब मालूम नहीं था वे उस प्रोपराइटर अरोरा को प्रोफेसर अरोरा समझते थे और ताज्‍जुब करते थे कि यह कहां का प्रोफेसर है जो पूरे भारत में रिश्‍ते करवाने पर पिला पड़ा है।

प्रो. अरोरा की मार्केटिंग जबरदस्‍त थी। मुझे पता नहीं कि उसका धंधा कैसा चलता होगा, लेकिन पट्ठे का नाम पूरे भारत में मशहूर हो गया था, जैसे इन दिनों मशहूर गुलाटी मशहूर हो रहे हैं। ये प्रो. अरोरा मुझे इसलिए याद आए क्‍योंकि उनके विज्ञापन की तर्ज पर ही मेरे दिमाग में एक विज्ञापन की टैग लाइन कौंधी… गड्ढे ही गड्ढे एक बार उतर तो लें- प्रो.—– यहां प्रो. के बाद मैंने खाली स्‍थान इसलिए छोड़ दिया है ताकि आप इसमें मनचाहा नाम भर सकें। हां इतना हिंट मैं जरूर दे देता हूं कि यह मामला मध्‍यप्रदेश का है।

हाल ही में मध्‍यप्रदेश के गड्ढे इसलिए चर्चा में आए हैं कि राज्‍य के लोक निर्माण मंत्री रामपालसिंह ने बड़ा दिलचस्‍प बयान दिया। यह बात तो आपको पता ही होगी कि प्रदेश की ज्‍यादातर सड़कों के रखरखाव की जिम्‍मेदारी लोक निर्माण यानी पीडब्‍ल्‍यूडी विभाग की है। तो जब रामपालसिंह से प्रदेश की सड़कों पर पाए जाने वाले अपार गड्ढों के बारे में पूछा गया तो उनका जवाब था- ‘’पुराने कांग्रेस शासन के जो प्रतीक चिह्न हैं, उनकी कुछ निशानी कहीं-कहीं बची हुई है, तो बची रहे, एकाध चीज तो बचाकर रखना पड़ेगी कि कांग्रेस के जमाने की याद आए जब सड़क ही नहीं थी…’’

मंत्रीजी से पूछे गए सवाल का संदर्भ था- भोपाल की सड़कों के गड्ढे और कोलार इलाके में उस क्षेत्र के भाजपा विधायक रामेश्‍वर शर्मा द्वारा खुद सड़कों पर उतर कर उन गड्ढों को भरने की कोशिश…। मंत्रीजी की टिप्‍पणी के बाद वहां मौजूद लोगों ने जोरदार ठहाका लगाया।

अब यह तो पता नहीं कि वास्‍तव में रामपालसिंह ने सड़क के गड्ढों को कांग्रेस राज के ‘स्‍मारक’ के तौर पर बचाए रखने की बात हंसी मजाक में कही थी या वे इसे लेकर सीरियस थे। लेकिन उनके बयान के बाद राज्‍य में सत्‍तारूढ़ भाजपा के अध्‍यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान ने जरूर इसे सीरियस टर्न दे दिया।

मीडिया ने जब नंदकुमारसिंह से रामपालसिंह के बयान पर प्रतिक्रिया चाही तो वे बोले- ‘’देखिए मैं तो कांग्रेस के जमाने के जो कुछ खंडहर हैं, उन्‍हें बनाए रखने के पक्ष में हूं। नहीं तो नई पीढ़ी को पता ही कैसे चलेगा कि कांग्रेस के जमाने में मध्‍यप्रदेश कैसा थाउनके उस जमाने की सड़कों का कहीं मेमोरियल भी बनाकर रखा जाए तो कोई दिक्‍कत नहीं है। मैं रामपाल जी की बात को, जो उन्‍होंने हालांकि हंसी मजाक में कही, आगे बढ़ाता हूं (क्‍योंकि) उनकी बात कांग्रेस के समय में हमारे प्रदेश की दुर्दशा को ही बताने वाली है।‘’

जिन लोगों ने आज से 14 साल पहले का मध्‍यप्रदेश नहीं देखा उनके लिए यह बता देना जरूरी है कि तब दिग्विजयसिंह के नेतृत्‍व में प्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी और उस समय सड़कों का बहुत ही बुरा हाल था। लेकिन चाहे प्रदेश के लोक निर्माण मंत्री हों या पार्टी अध्‍यक्ष वे शायद यह भूल गए हैं पिछले 14 सालों से तो राज्‍य में भाजपा की ही सरकार है। सड़कों के गड्ढों को कांग्रेस राज के स्‍मारक के बतौर सुरक्षित रखने का उनका जुमला, बदहाल सड़कों को भुगत रही राज्‍य की जनता के जख्‍मों पर नमक छिड़कने जैसा है।

यदि पुराने शासन की स्‍मृतियों को सुरक्षित ही रखना होता तो राज्‍य की जनता भाजपा को चुनती ही क्‍यों? भले ही विभागीय मंत्री ने वह बात हलके फुलके अंदाज में कही हो लेकिन मजाक में दिया गया ऐसा तर्क तो कुतर्क के रूप में भी स्‍वीकार करने योग्‍य नहीं है। और उस पर प्रदेश अध्‍यक्ष की मुहर… उफ्…!!!

अभी दो दिन पहले ही राज्‍य के मुख्‍यमंत्री ने अफसरों और पार्टी विधायकों को नसीहत दी थी कि वे ‘’जनता की समस्‍याओं का प्राथमिकता से निराकरण करें। मुख्‍यमंत्री हेल्‍पलाइन पर आने वाले शिकायतों का अंबार कम होना चाहिए…।‘’ तो क्‍या सरकार बजाय सड़कों के गड्ढे भरने के उन्‍हें स्‍मारक के तौर पर सुरक्षित रखकर शिकायतों की फेहरिस्‍त कम करने की सोच रही है?

आम जनता की तो छोडि़ये। खुद पार्टी के विधायक खराब सड़कों और उनकी मरम्‍मत में बरती जाने वाली उदासीनता से नाराज हैं। तभी तो भोपाल में हुजूर विधानसभा क्षेत्र के विधायक रामेश्‍वर शर्मा को हाल ही में सड़कों के गड्ढे भरने के लिए खुद सड़क पर उतरना पड़ा। उन्‍होंने मीडिया से कहा- ‘’यह काम तो पीडब्‍ल्‍यूडी के अधिकारियों को करना चाहिए, लेकिन यदि उनको नहीं दिख रहा तो हम करेंगे…। सड़कें अच्‍छी और मजबूत हों,यही प्रधानमंत्री और मुख्‍यमंत्री चाहते हैं और इसलिए हमने खुद तय किया कि इस बार गड्ढे हम भरेंगे।‘’

इतना ही नहीं जिस समय मैं यह कॉलम लिख रहा हूं उसी दौरान प्रदेश की पीएचई मंत्री कुसुम महदेले का एक ट्वीट सामने आया है जो उन्‍होंने केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी को किया है। उन्‍होंने लिखा है- ‘’सतना से पन्‍ना, पन्‍ना से छतरपुर, रीवा से सतना हाइवे की हालत बहुत खराब है। खजुराहो से लवकुश नगर चलने लायक नहीं है कृपया जल्‍दी ठीक करवाने का आदेश दें।‘’

अब कहीं ऐसा न हो कि कांग्रेस के गड्ढे बचाकर रखने के फेर में भाजपा ही अपने लिए राजनीति गड्ढे खोद ले… 

 

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