नाजायज,जायज है बेटा- ताजा कविता

नाजायज,जायज है बेटा
राजनीति पंकज है बेटा
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नैतिकता की ऐसी-तैसी
कोरी सब सजधज है बेटा
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नेता सब पक्के लबार हैं
फटा हुआ हर ध्वज है बेटा
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जनादेश का मोल नहीं कुछ
कुर्सी ही मरकज है बेटा
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शपथ-वपथ फर्जी नाटक है
कोरा हर कागज है बेटा
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सड़ जाएगा,गल जाएगा
नेता एक जलज है बेटा
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जनता दर्शक, मूक, विवश सी
सत्ता एक गरज है बेटा
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धड़कन बढ़ी देश की देखो
डूबी हुई नबज है बेटा
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शर्मसार क्यों होगा कोई
कौन यहाँ असहज है बेटा
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जिस्म जला जाता है पूरा
ये कैसी मलयज हैं बेटा
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ये कैसे कुर्बानी देंगे
गायब मोरध्वज है बेटा
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शेर, भेड़िए चौतरफा हैं
दूर खड़ा गरगज है बेटा
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सबकी नजरों में बेचारा
लेखक कूढमगज है बेटा
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राकेश अचल की फेसबुक वॉल से 

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