खुली कपास को

शोलों के पास मत रखना,

कोई बचाएगा तुमको

यह आस मत रखना….

ये कह के टूट गया

आसमान से तारा,

कि मेरे बाद तुम

ख़ुद को उदास मत रखना….

लगे जो प्यास तो

आँखों के अश्क पी लेना,

ये रेगिस्तान है

जल की तलाश मत रखना….

यहाँ तो मौत करेगी

हमेशा जासूसी?

ये हादसों का शहर है

निवास मत रखना….

अगर है डर तो

अँगारे समेट लो अपने,

हवा को बाँधने का

इंतजाम मत रखना….

छिलेगा हाथ तुम्हारा

ज़रा-सी ग़फ़लत पर,

कि घर में काँच का

टूटा गिलास मत रखना.…

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