पता नहीं कांग्रेस की कुंडली में कौनसा योग ऐसा ढीठ बनकर बैठा है कि जब भी उसके ‘अच्छे दिन’ आते हुए लगते हैं, भीतर से ही निकलकर कोई ऐसी लंगड़ी मारता है कि पार्टी की काया ही लड़खड़ा जाती है। जिस समय खांसना, छींकना, थूकना, डकारना सब कुछ चुनाव का मुद्दा बन रहा हो और लोग आपकी सांसों तक की आवाजाही को नापने के लिए ‘सियासी स्टेथस्कोप’ लेकर बैठे हो वहां आप यह क्यों भूल जाते हैं कि आपकी जरा सी चूक-गलती आपको गड्ढे में गिरा सकती है।
शुक्रवार को ठीक यही हुआ। पता नहीं कहां से और क्यों बाहर आकर राजीव गांधी से लेकर राहुल गांधी तक के सलाहकार सैम पित्रोदा बिना जरूरत के अपना मुंह खोल बैठे और कांग्रेस को तारे दिखवा दिए। हमारे मालवा में एक कहावत है- ‘समय हो बांका तो चुप रहो काका।‘ यानी जब आपका समय ठीक न चल रहा हो तो मुंह खोलने के बजाय बेहतर यही है कि आप चुप होकर बैठें।
लेकिन कांग्रेस में कुछ बेताल शायद लटके ही इसीलिए रहते हैं कि वक्त देखें न वार, बस कंधे पर कूद पड़ें। फिर चाहे वो मणिशंकर अय्यर हों या शशि थरूर या फिर नवजोतसिंह सिद्धू या दिग्विजयसिंह… यह सूची पहले से ही अच्छी खासी समृद्ध है और अब इसमें सैम पित्रोदा ने भी खुद को शामिल कर लिया है। शुक्रवार को वे एक इंटरव्यू में पुलवामा की घटना को लेकर बोल बैठे कि चंद लोगों की हरकतों की वजह से किसी पूरे देश को अपराधी घोषित नहीं किया जा सकता।
राहुल गांधी के करीबी और इंडियन ओवरसीज कांग्रेस चीफ सैम पित्रोदा का यह बयान कोई चलते फिरते नहीं दिया गया है बल्कि बाकायदा एक इंटरव्यू में यह बात कही गई है। पुलवामा हमले को लेकर किए गए सवाल पर पित्रोदा ने कहा- ‘’मुझे हमलों के बारे में ज्यादा तो पता नहीं है लेकिन यह हमेशा होते रहते हैं। मुंबई में भी हमले हुए थे। हम उस वक्त भी प्रतिक्रिया दे सकते थे और अपने विमान भेज सकते थे। लेकिन वह सही नहीं होता।‘’
पित्रोदा ने कहा- ‘’मेरे हिसाब से दुनिया के साथ डील करने का यह सही तरीका नहीं है। आठ लोग आते हैं और कुछ करते है तो इसके लिए आप पूरे देश (पाकिस्तान) को दोषी नहीं ठहरा सकते। कुछ लोग यहां आए और उन्होंने हमला किया इसके लिए पूरे देश को जिम्मेदार मानना बहुत बचकानी बात होगी।‘’एयर स्ट्राइक पर सवाल उठाते हुए पित्रोदा ने पूछा कि ‘’हमने पाकिस्तान में किस पर हमला किया? क्या हमनें वास्तव में 300 लोगों को मारा?’’
आप यदि ऑब्जेक्टिव होकर देखें तो पित्रोदा ने कोई नई बात नहीं कही है। कांग्रेस के विवादास्पद नेता नवजोतसिंह सिद्धू पुलवामा कांड के ठीक बाद इसी तरह का बयान दे चुके हैं। एयर स्ट्राइक पर सवाल विपक्ष की ओर से लगातार उठाए जा रहे हैं। सवाल है तो सिर्फ टाइमिंग का, समय की नजाकत का और आपकी बात का आने वाले चुनाव पर पड़ने वाले असर का…
पित्रोदा हों या कोई और… क्या कांग्रेस के नेताओं को यह बात पता नहीं हैं कि भाजपा पुलवामा और बालाकोट को चुनाव में पूरी तरह भुनाने की रणनीति पर काम कर रही है। ऐसे में समय की मांग इस मुद्दे पर भाजपा को लाभ लेने का अवसर प्रदान करना है या उसे खींचकर बेरोजगारी और भ्रष्टाचार जैसे मुद्दों पर लाने का… यदि आपका ‘चौकीदार चोर है’ अभियान आपकी चुनावी रणनीति की धुरी है तो आप खुद उससे क्यों भटक रहे हैं…
कुछ दिनों से राजनीतिक बहस के केंद्र में पुलवामा और बालाकोट नहीं बल्कि चौकीदार था। भाजपा ने भी अपने ‘मैं भी हूं चौकीदार’ कैंपेन से जवाबी हमला शुरू कर दिया था। ऐसे में पित्रोदा ने कांग्रेस की मुख्य मिसाइल में ही एक तरह से छेद करने और उसकी बारूद निकालने का काम किया है। भाजपा के लिए तो यह छींका टूटने वाली बात है, वह तो चाहती ही है कि मामला ‘चोर-चौकीदार’ से हटकर भारत-पाकिस्तान पर आ टिके। ऐसे में आपके ये ‘अनवांटेड’बयान ‘एडवांटेज भाजपा’ की जमीन तैयार करते हैं।
बेचारी कांग्रेस की मजबूरी है कि इधर उसके अपने ही पट्ठे मनमाने बयान देते हैं और पार्टी के पास सिवाय इस बात के कोई चारा नहीं बचता कि मुंह छिपाने या बात को दबाने के लिए वह अपने ही नेताओं द्वारा दिए गए ऐसे बयानों से खुद को अलग करे। उसे मजबूरन यह कहकर अपनी हंसी उड़वानी पड़ती है कि यह फलां आदमी का निजी बयान है, पार्टी की राय नहीं। लेकिन पार्टी जितना ऐसे बयानों से खुद को अलग करने की कोशिश करती है उतना ही वे उसके राजनीतिक भविष्य पर दाग बनकर चिपकते चले जाते हैं।
और फिर कांग्रेस यह क्यों भूल जाती है कि एक भारत-पाकिस्तान मीडिया में भी चल रहा है। कुछ चौकीदार वहां भी हैं जो ऐसी वारदातों पर घात लगाकर बैठे रहते हैं। उन्हें बस मौका मिलना चाहिए, चिंदी को थान बनाने में वे जरा सी भी देर नहीं करते। शुक्रवार को टीवी चैनलों पर चारों तरफ सिर्फ पित्रोदा के बयान का ही हल्ला था…
कांग्रेस नेता संदीप दीक्षित की गुस्से में दी गई यह प्रतिक्रिया बिलकुल जायज है कि जब घटना की पूरी जानकारी नहीं हो तो बयान देने की जरूरत क्या थी। पित्रोदा कोई रक्षा विशेषज्ञ नहीं हैं। उन्हें कोई दिक्कत है तो अपनी दिक्कत अपने पास रखें। देश की सुरक्षा और सम्मान की रक्षा सेना कैसे करेगी, ये सेना हमसे बेहतर जानती है। और एयर स्ट्राइक पर हमारी राय क्या है यह राहुल गांधी ट्वीट कर पहले ही देश की जनता को बता चुके हैं।
दरअसल इन दिनों ‘चौकीदार’ बहुत चर्चा में है। कांग्रेस का नारा है- ‘चौकीदार चोर है’ जवाब में भाजपा ने ‘मैं भी चौकीदार’ का अभियान चलाया हुआ है। यह तो पता नहीं कि लोग चुनाव में किसको चौकीदार मानेंगे और किसको चोर… लेकिन चौकीदार शब्द को इतनी ऊंचाई तक पहुंचाने वाली कांग्रेस के लिए इस समय बहुत जरूरी है कि वो अपने घर में ही ऐसे कुछ सख्त चौकीदार तैनात करे जो पार्टी की संभावनाओं में सेंध लगाने वालों को दूर रखें।
तेरी गठरी में लागा चोर मुसाफिर जाग जरा…